हरियाणा में चुपचाप कर दिया चमत्कार, जानें कौन हैं बीजेपी के ये चार चाणक्य

इन चारों ने दलितों को अपने पाले में लाने के लिए विशेष रूप से काम किया. कुमारी सैलजा की नाराजगी को बीजेपी ने अपने पक्ष में भुनाया. सीएम पद से खट्टर को हटाने का फैसला भी सही रहा. साथ ही खट्टर के चेहरे को प्रचार से दूर रखा गया, ताकि लोगों में उन्हें लेकर नाराजगी न हो.
बीजेपी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार की लोगों को याद दिलाई. हरियाणा के सह प्रभारी सुरेंद्र नागर ने The Hindkeshariसे कहा कि प्रदेश के लोगों को विश्वास दिलाया गया कि भ्रष्टाचार मुक्त और विकासोन्मुखी सरकार केवल बीजेपी ही दे सकती है.

साथ ही बीजेपी ने हरियाणा में किसान और जवान के मुद्दे पर काम किया. किसानों को 24 फसलों पर MSP दी. वहीं अग्निवीरों को पेंशन वाली नौकरी का भी वादा किया. साथ ही ‘बिना खर्ची-पर्ची’ का नारा भी युवाओं को भाया.
हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है. सभी Exit Polls और राजनीतिक विश्लेषकों के आकलन गलत साबित हुए.
बीजेपी की जीत के कारण :
- सभी एग्जिट पोलस्टर्स ने अनुसुचित जाति (SC) दलित समाज का वोट, जिनकी कुल आबादी हरियाणा में लगभग 22.50% है, को कांग्रेस के खाते में दिखाया, हुआ बिल्कुल उल्टा.
- इस कुल 22.50% में से केवल 8.50% वोट, जिनको रैगर, जाटव, रविदासी कहा जाता है, उनका वोट भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा, आसपा-जजपा जैसे सभी दलों को गया.
- वंचित अनुसुचित जाति, जिनका वोट 14% है, उनको हरियाणा की मनोहर लाल की भाजपा सरकार ने DSC या Deprived Scheduled Caste का नाम दिया था, उनका लगभग सारा वोट भाजपा के कमल चिन्ह पर पड़ा. हरियाणा में भाजपा को छोड़कर सभी दल वर्गीकरण के खिलाफ हैं.
- DSC समाज का वोट भाजपा को मिले, इसके लिए DSC समाज के मंचों से ऐलान किए गए, नेताओं ने समाज में अभियान चलाकर भाजपा को मजबूत किया, लेकिन अपने दलित विरोध और आरक्षण हटाने (राहुल गांधी का अमेरिका में दिया बयान ले डूबा) की मानसिकता के चलते, कांग्रेस ने पूरे समाज का उपहास किया.
- हरियाणा के 2024 विधानसभा चुनाव में 67.90% वोटिंग हुई, जो लगभग 2019 के 67.94% जितनी ही है. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से 3.1% अधिक है, जब वोटिंग परसेंट सिर्फ 64.8% था.
- इन 3.1% मतदाताओं में अधिकांश संभवतः भाजपा के वो समर्थक थे, जिन्होंने लोकसभा में किसी कारण से वोट नहीं डाला था.
- अंत में हरियाणा में एक बड़ा silent वर्ग था, जो कांग्रेस और भूपेंद्र हुड्डा की अराजक सरकार वापस नहीं चाहता था. उसने अपने वोट से अपना मत साफ कर दिया है.