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सिलक्यारा: ऑगर मशीन फिर अटकी, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद जताई

आपदा स्थल पर आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ डिक्स ने पत्रकारों से कहा, ”ऑगर मशीन का ब्लेड टूट गया है, क्षतिग्रस्त हो गया है.” श्रमिकों के सुरक्षित होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ” ऑगर मशीन को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए हम अपने काम करने के तरीके पर पुनर्विचार कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि सभी 41 लोग लौटेंगे.”

जब डिक्स से इस संबंध में समयसीमा बताने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा वादा किया है कि वे क्रिसमस तक घर आ जाएंगे.” दरअसल, बहुएजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया – मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’.

वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘‘इस अभियान में लंबा समय लग सकता है.” हाथ से ‘ड्रिलिंग’ (मैनुअल ड्रिलिंग) के तहत श्रमिक बचाव मार्ग के अब तक खोदे गए 47-मीटर हिस्से में प्रवेश कर एक सीमित स्थान पर अल्प अवधि के लिए ‘ड्रिलिंग’ करेगा और उसके बाहर आने पर दूसरा इस काम में जुटेगा.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, निर्धारित निकासी मार्ग में फंसे उपकरण को बाहर लाते ही यह (कार्य) शुरू हो सकता है. लंबवत ‘ड्रिलिंग’ के लिए भारी उपकरणों को शनिवार को 1.5 किलोमीटर की पहाड़ी सड़क पर ले जाया गया. इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन द्वारा कुछ ही दिनों में तैयार किया गया है.

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हसनैन ने कहा यह प्रक्रिया ‘‘अगले 24 से 36 घंटे” में शुरू हो सकती है. उन्होंने संकेत दिया कि अब जिन दो मुख्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है उनमें से यह सबसे तेज विकल्प है. अब तक मलबे में 46.9 मीटर का क्षैतिज मार्ग बनाया गया है.सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है.

धामी ने संवाददाताओं को बताया कि ब्लेड के लगभग 20 हिस्से को काट दिया गया है और शेष काम पूरा करने के लिए हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर हवाई मार्ग से लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ‘मैन्युअल ड्रिलिंग’ शुरू हो जाएगी.

धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राज्य में शुरू किए गए बचाव अभियान के बारे में हर रोज अद्यतन जानकारी ले रहे हैं. ऑगर मशीन से काम बाधित होने के इस घटनाक्रम ने फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों की चिंता बढ़ा दी है. आपदा स्थल के आस-पास ठहरे हुए परिजन बचाव कार्यकर्ताओं द्वारा स्थापित की गई संचार प्रणाली के जरिये अकसर श्रमिकों से बात करते करते हैं.

श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं. पाइप का उपयोग करके एक संचार प्रणाली स्थापित की गई है और श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की है. इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं.

बिहार के बांका निवासी देवेंद्र किस्कू का भाई वीरेंद्र किस्कू सुरंग में फंसे श्रमिकों में शामिल है. देवेंद्र ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अधिकारी पिछले दो दिन से हमें भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हें (फंसे हुए श्रमिकों को) जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे प्रक्रिया में देर हो जाती है.”

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चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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