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देश

'…तो भारत और बांग्लादेश में क्या अंतर' : अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर बोलीं महबूबा मुफ्ती


नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती की भारत और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार की तुलना ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. 24 नवंबर की संभल घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति की तुलना बांग्लादेश से कर दी. महबूबा ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाई उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, लेकिन अगर हम यहां (भारत में) अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा ही करते हैं, तो क्या अंतर रहेगा? हमारा इतना महान देश है, जिसे दुनिया भर में उसके धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के लिए जाना जाता है.”

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ‘हमारे देश में अधिकांश हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं और मुझे इस बारे में कोई संदेह नहीं है. हमें इस उभरती स्थिति का मुकाबला करने के लिए खड़ा होना होगा क्योंकि हमें एक साथ रहना है और कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

देश पीछे जा रहा है

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख मुफ्ती ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, “…आज मुझे डर है कि जो स्थिति 1947 के दौरान थी, हमें उसी दिशा में ले जाया जा रहा है. जब युवा नौकरी की बात करते हैं, तो उन्हें नौकरी नहीं मिलती. हमारे पास अच्छे अस्पताल, शिक्षा नहीं है…वे सड़कों की हालत नहीं सुधार रहे हैं, बल्कि मंदिर की तलाश में मस्जिद को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. संभल की घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कुछ लोग दुकानों में काम कर रहे थे और उन्हें गोली मार दी गई.”

शाही जामा मस्जिद पर दी अपनी प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. यह मस्जिद कानूनी लड़ाई के केंद्र में है, क्योंकि कुछ याचिकाओं में दावा किया गया है कि यह एक हिंदू मंदिर के स्थल पर बनाई गई थी. इसी सिलसिले में एक स्थानीय न्यायालय ने इसके सर्वेक्षण का आदेश दिया था. स्थानीय निवासियों ने सर्वेक्षण का विरोध किया और स्थिति पूरी तरह से हिंसा में बदल गई.

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  • महबूबा ने कहा, ‘‘देश में बिल्कुल यही हो रहा है. हाल में संभल (उत्तर प्रदेश) में चार निर्दोष युवकों की हत्या कर दी गई, लेकिन उनके लिए कौन बोलेगा? ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को उमर खालिद की तरह जेल में डाल दिया जाएगा, जो पिछले चार सालों से सलाखों के पीछे है. मौजूदा हालात में कोई सुनने वाला नहीं है.”

मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर कही अपनी बात

उन्होंने कहा, राजस्थान के अजमेर में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से जुड़ा एक ऐसा ही विवाद उठाया. “अजमेर शरीफ दरगाह, जहां सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करते हैं, भाईचारे का सबसे बड़ा उदाहरण है. अब वे मंदिर की खोज के लिए उसमें खुदाई करने की कोशिश कर रहे हैं,” मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली एक याचिका के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और केंद्र को अदालती नोटिस का हवाला देते हुए कहा. सितंबर में दायर की गई याचिका में अदालत से उस स्थान पर फिर से पूजा करने की अनुमति मांगी गई है.

  • पीडीपी नेता ने एक याचिका का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि हिंदुओं और सिखों सहित विभिन्न धर्मों के लोग 800 साल पुराने इस दरगाह में जाते हैं जो गंगा-जमुनी संस्कृति का एक शानदार उदाहरण है.
  • उन्होंने कहा, ‘‘वे मंदिर की तलाश में इस दरगाह को भी खोदना चाहते हैं…यह कब तक चलेगा?” पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि लोगों को इसका मुकाबला करने के लिए खड़ा होना होगा अन्यथा बांग्लादेश और हमारे देश में क्या अंतर है.
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अल्पसंख्यकों पर विवादित बयान

इसके बाद मुफ्ती ने भारत और बांग्लादेश की तुलना इस आधार पर की कि वे अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं. उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं. अगर भारत में भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं तो फिर भारत और बांग्लादेश में क्या अंतर है? मुझे भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नजर नहीं आता.”

क्या है बांग्लादेश का मामला?

भारत और बांग्लादेश के बीच एक बड़ा कूटनीतिक विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास, जो कि इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISCON) के पूर्व सदस्य थे, को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया. बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता श्री दास को मंगलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया गया और देशद्रोह के मामले में जेल भेज दिया गया. इससे उनके समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें शुरू हो गईं, जिसके कारण एक वकील की हत्या हो गई.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के कई दृश्य सोशल मीडिया पर सामने आए हैं. कई तस्वीरों में बांग्लादेश के युवा भारतीय झंडे को रौंदते हुए दिखाई दे रहे हैं. ताज़ा हमले में, बांग्लादेश के चटगाँव में शुक्रवार को भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की.

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार और वहां भारतीय ध्वज के अपमान की तस्वीरों ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया है.

भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बयान में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों को तत्काल रोकने का आह्वान किया है. अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए भारत ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है.

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उन्होंने कहा, ‘‘देश में हालात अच्छे नहीं हैं. महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार (वल्लभभाई) पटेल, (बी आर) आंबेडकर जैसे नेताओं ने इस देश को हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों के लिए घर बनाया. गांधी ने इसके लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी.”


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