देश

किसी को सांप ने काटा था तो कोई था घायल…उफनती नदी को पार कर मदद करने पहुंचीं सबीना के जज्बे को सलाम है


नई दिल्ली:

किसी की जान बचाने का जज्बा आपको कई बार अपनी उन हदों को पार करने के लिए प्रेरित करता है, जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी ना हो. वायनाड में बीते दिनों हुए लैंडस्लाइड में प्रभावितों की जान बचाने वाली सबीना (नर्स) के साथ भी ऐसा हुआ है. सबीना के लिए 30 जुलाई का दिन किसी दूसरे दिन की तरह ही था. वायनाड में लैंडस्लाइड से मची तबाही की खबर धीरे-धीरे कर अब फैलने लगी थी. सबीना के पास भी 30 जुलाई की सुबह 11 बजे एक फोन आया और उसे बताया गया कि उसे तुरंत वायनाड के प्रभावित इलाके के लिए निकलना होगा. सबीना बगैर समय गंवाएं वायनाड पहुंची. लेकिन वहां पहुंचकर सबीना ने जो कुछ देखा वो बेहद भयावह था. लैंडस्लाइड की वजह से मुंडाक्कई और चूरालमलाई के बीच बना एक पुल ढह गया था. और इस वजह से करीब एक दर्जन लोग एक नदी के बीच में ही फंस गए हैं. वहां तक पहुंचना बिल्कुल असंभव सा था. सभी को ये पता था कि जो लोग वहां फंसे हैं उन्हें मेडिकल हेल्प की भी जरूरत होगी. पर हर कोई पानी के तेज बहाव और बढ़ते गाद को देखकर ये मान बैठा था कि जो लोग उस तरफ फंसे हैं उन्हें नहीं बचाया जा सकता. लेकिन सबीना कहां हार मानने वाली थीं. 

सबीना को मिला कल्पना चावला अवॉर्ड

सबीना ने उस दिन जो किया वो हौसला बढ़ाने के साथ-साथ कइयों को प्रेरणा देने वाला है. सबीना ने उस इलाके में रहते हुए उफनती नदी के बीच से जिप लाइन (रस्सी के) सहारे ना सिर्फ पहले फंसे लोगों तक पहुंची बल्कि अगले पांच दिनों में सभी का वहां मेडिकल फर्स्ट एड भी दिया. सबीना को उनकी इस बहादुरी के लिए 15 अगस्त को कल्पना चावला अवार्ड से सम्मानित किया गया है. साथ ही उन्हें प्रोत्साहन राशि के तौर पर 5 लाख रुपये का इनाम भी दिया गया है. 

यह भी पढ़ें :-  IPS Nina Singh: नीना सिंह ने सीआईएसएफ की महानिदेशक का पदभार संभाला

“हर तरफ बिघरे पड़े थे शव”

उस दिन को याद करते हुए सबीना बताती हैं कि उस दिन करीब 11 बजे मेरी NGO की तरफ से मेरे पास फोन आया था. मुझे बताया गया था राज्य सरकार को वायनाड में कुछ नर्सों की जरूरत है. फोन पर मिली इस सूचना के तुरंत बाद ही मैंने अपना बैग पैक किया और घटनास्थल पर पहुंच गई. मैंने वहां जो मची तबाही और हर तरफ लोगों के पड़े शवों की तस्वीरेंऔर वीडियो देखी हुई थी, तो मुझे इस बात का अंदाजा था कि वहां कई लोग ऐसे होंगे जो अभी भी बचे होंगे और जिन्हें तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होगी. मैं वहां जाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करना चाहती थी. 

Latest and Breaking News on NDTV

उफनती नदी को सबीना ने तैर कर किया पार

मैं जब वहां पहुंची तो मैंने देखा कि कुछ लोग पानी के तेज बहाव के बीच उस तरफ फंसे हुए हैं. वहां तक जाने या मेडिकल मदद पहुंचाने का कोई और जरिया ही नहीं था. पानी का बहाव इतना तेज था कि कोई भी वहां तक तैरकर नहीं पहुंच सकता था. नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स ने नदी को पार करने के लिए जिप लाइन बनाया था.

अपनी जान की भी नहीं की थी परवाह

सबीना के अनुसार उस दिन वायनाड में 100 से ज्यादा महिला नर्स मौके पर अपनी सेवाएं दे रही थीं लेकिन एनडीआरएफ के लोग चाहते थे कोई पुरुष ही जिप लाइन से नदी के उस पार जाएं. लेकिन कोई भी नदी के उस पार जाने को तैयार नहीं था. नदी के तेज बहाव को देखते हुए सभी महिला कर्मी भी डरी हुई थीं.जब मैंने देखा को कोई उस पार जाने को तैयार नहीं और समय तेजी से निकलता जा रहा है तो मैंने वहां मौजूद अधिकारियों से कहा कि मैं जाऊंगी उन्हें बचाने. मैं जिप लाइन के सहारे ही उस तरफ गई. मेरा मकसद सिर्फ और सिर्फ लोगों की जान बचाने का था. मैंने उस दौरान ये तक नहीं सोचा कि मेरी जान को भी खतरा है. 

यह भी पढ़ें :-  नवाज, मुशर्रफ, खालिस्तानियों का पनाहगाह रहा ब्रिटेन शेख हसीना को शरण देने से क्यों हिचक रहा?

Latest and Breaking News on NDTV

कई लोगों को थी मेडिकल हेल्प की जरूरत

सबीना रेन कोट पहनकर जिप लाइन के सहारे नदी के जैसे ही उस पार पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां हर तरफ तबाही का मंजर है. लोगों के शव चारों तरफ बिघरे पड़े हैं. कुछ लोग जैसे तैसे करके अभी भी खुदको बचा पाने में सफर रह पाए हैं. सबीना का फोकस उन बचे लोगों को वहां से बाहर निकालने पर था. लेकिन लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने से पहले सबीना ने पहले वहां रुककर पहले उन लोगों का फर्स्ट एड किया. वहां कई लोग ऐसे भी थे जिन्हें सांप ने काटा था, कई लोगों को लैंडस्लाइड की वजह से चोटें आई थी. 

सबीना ने अगले पांच दिनों में इसी जिप लाइन के सहारे करीब दस से ज्यादा बार नदी को पार किया. वह नदी के बीच इस टापू पर सुबह 11 बजे पहुंचती थी और शाम को पांच बजे वह वापस आती. सबीना वहां रहते हुए सभी लोगों का पूरे-पूरे दिन इलाज करती थी. उन्होंने इस टापू पर पहुंचकर कुल 35 लोगों की मदद की. और बाद में इन सभी लोगों को एनडीआरफ की टीम ने सुरक्षित बाहर भी निकाला.सबीना के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि वो लोग जहां फंसे थे वहां ना तो कोई बिजली ही थी और ना ही किसी से कोई संपर्क करने का साधन था.  सबीना की बहादुरी की ये कहानी उस वक्त सामने आई जब स्थानीय लोगों ने जिप लाइन को पार करते हुए उनके वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया. सभी लोगों ने नर्स सबीना के हौसले और जज्बे की तारीफ की है. 
 

यह भी पढ़ें :-  10 साल में कितनी बदली वाराणसी? इस बार PM मोदी से काशीवासियों की क्या हैं उम्मीदें?


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button