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कभी मृत्यु कूप तो कभी बावड़ी, रोज कुछ ना कुछ उगल रहा संभल, पढ़ें क्या है इसका बाबर कनेक्शन


नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश का संभल प्राचीन मंदिर मिलने के बाद से ही चर्चाओं में बना हुआ है. संभल में पिछले दिनों मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन की टीम इलाके में बिजली और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है. इसी अभियान के दौरान बीते दिनों खग्गू सराय इलाके में प्रशासन को एक प्राचीन मंदिर मिला है. संभल का एक लंबा इतिहास रहा है. कहा जाता है कि एक समय पर यहां मंदिर हुआ करता था जिसे बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनाई थी. आइये जानते हैं भी तक संभल में क्या कुछ हुआ है. 

अब तक क्या-क्या मिला है? 

  • चंदौसी क्षेत्र में खुदाई के दौरान एक गुप्त सुरंग और बावड़ी मिली है.
  • संभल में बांके बिहारी मंदिर के पास खुदाई के दौरान ‘रानी की बावड़ी’ नामक एक प्राचीन बावड़ी मिली है.
  • इस बावड़ी में सुरंग जैसी संरचनाएं मिली है जिसके ऐतिहासिक महत्व को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं.
  • सुरंग का निर्माण 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित माना जा रहा है.
  • खुदाई में मिट्टी के बर्तन, ईंटें और पत्थरों की कलाकृतियां भी मिली है.
  • नीमसार का कुआं में खुदाई के दौरान जल मिला है. यहां 10-12 फीट की गहराई पर जल है.
  • तोता-मैना की कब्र थोड़ी जीर्ण हालत में मिली है.उसे सुरक्षित करने का कार्य किया जाएगा.
  • राजपूत काल की बावड़ी जो कि पृथ्वीराज के समय में बनी थी,वह बहुत सुंदर और भव्य है,उसे भी सुरक्षित करने की योजना है.

बाबर ने सौंपी थी जागीर?

ऐसा कहा जाता है कि संभल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफगान सरदारों के हाथों में थी. बाबर ने बाद में संभल की जागीर को हुमायूं को सौंप दिया था. हुमायूं ने बाद में इस जागीर को अपने भाइयों में बांट दिया था. कई वर्ष बाद शेरशाह सूरी ने हुमायूं को खदेड़ने के बाद अपने दामाद को संभल की जागीर सौंप दी थी. 

बाबर के आदेश पर बनाई गई थी मस्जिद

संभल में जिस मस्जिद को लेकर विवाद है उसे बाबर ने ही बनवाया था. बताया जाता है कि बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण 1529 में करवाया था. दावा किया जा रहा है बाबर ने जहां पर मस्जिद बनाई वहां पहले मंदिर था. जिसे तोड़ने के बाद ही इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था. आज जब सर्वे हो रहा है तो इस मस्जिद के अंदर मंदिर के कई सारे सूबत मिल रहे हैं. हिंदू पक्ष ने इन्हीं सबूतों के आधार पर कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था. 

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संभल में अब मिला  मृत्यु कूप

संभल में गुरुवार को जामा मस्जिद से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक कूप (कुआं) मिला है. फिलहाल इस जगह पर अभी खुदाई का काम चल रहा है. यह कुआं हिंदू बाहुल्य इलाके में मिला है. इसे ‘मृत्यु का कुआं’ भी कहा जाता है.  इसके पास मे एक मंदिर होने का भी दावा किया जा रहा है, जो कि मृत्युजंय महादेव मंदिर था. ये मंदिर अब मिट्टी के नीचे दबा हुआ है. इसके साथ ही लोगों ने दावा किया है कि यहां की खुदाई होगी तो यहां पर मंदिर निकलेगा. जिसकी दीवार आज भी दिखाई देती है.

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अब यमदग्नि कुंड को भी तलाशा जाएगा

संभल पिछले दिनों हिंसा की वजह से चर्चा में रहा, जिसके बाद यहां प्रशासन की कार्रवाई शुरू हुई. तभी से यहां एक के बाद ऐतिहासिक इमारतें और धरोहर मिलनी शुरू हुई है. चंदौसी में राजा की बनाई गई जो बावड़ी मिली है, उसकी साफ-सफाई हो रही है. पृथ्वीराज की बनाई गई बावड़ी की खुदाई हुई है. अब जो मृत्यू कूप मिला है. उसके बारे में कहा जाता है कि इसमें नहाने पर पुण्य मिलता है. साथ ही यमदग्नि कुंड का जिक्र है, जो यहां से कुछ दूरी पर बताया गया है. अब यमदग्नि कुंड को ढूंढा जाएगा.

पौराणिक कथाओं में संभल का क्या महत्व

कहा जाता है कि संभल एक वक्त में तीर्थों का केंद्र होता था. पौराणिक कथाओं में संभल में 84 कौसी परिक्रमा मार्ग है और इस मार्ग के अंदर 68 तीर्थ है. इसमें 19 कूप का भी जिक्र किया गया. जिनका अपना धार्मिक महत्व है. समय के साथ इन पर मिट्टी जम गई, जिससे ये ढक गए. अब लोगों की निशानदेही के आधार पर इन्हें फिर से खोजा जा रहा है और इनकी साफ-सफाई कराई जा रही है. जिला प्रशासन का कहना है कि अब संभल को धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बनाने की कोशिश हो रही है.

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शाही जामा मस्जिद को लेकर क्या विवाद?

संभल में पूरा विवाद शाही जामा मस्जिद को ही लेकर है. हिंदू पक्ष का दावा है कि एक मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद को बनाया गया था.संभल की जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई.याचिकाकर्ताओं की दलील है कि मुगल शासक बाबर ने 1526 में एक हिंदू मंदिर को तोड़कर शाही जमा मस्जिद का निर्माण करवाया था.याचिका दायर किए जाने के कुछ घंटे बाद ही अदालत ने सर्वे के लिए अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया. इस मामले में मस्जिद पक्ष की दलील है कि मस्जिद का सर्वे कराकर 29 नवंबर तक रिपोर्ट मांगने के लिए दिया गया आदेश एक पक्षीय है. उसका दावा है कि अदालत ने उसे बिना सुने ही यह आदेश दिया है.संभल की यह जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक है. इसे प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत 22 दिसंबर 1920 को अधिसूचित किया गया था. सरकार इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक भी घोषित कर चुकी है. इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की केंद्र की ओर से संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है. सर्वे को लेकर मामला इतना बढ़ा कि दंगा तक हो गया. 

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क्या कुछ कहते हैं इतिहासकार

मीनाक्षी जैन और श्री राम शर्मा जैसे इतिहासकारों ने बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान संभल में एक प्राचीन मंदिर के विनाश का दस्तावेजीकरण किया है. इतिहासकार मीनाक्षी जैन के अनुसार, भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने संभल में एक मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था. ऐसा ही आदेश उसने अयोध्या के लिए भी दिया था.  इतिहासकार मीनाक्षी जैन ने 2023 में एक YouTube चैनल पर दिए एक साक्षात्कार में कहा, ”दूसरी मस्जिद जो बाबर ने भारत में बनवाई थी, वह संभल में थी. बाबर ने अपने सेनापति को उस मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था और उसके आदेश पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था” जैन ने अपनी किताब ‘द बैटल फॉर राम- केस ऑफ द टेंपल एट अयोध्या’ में लिखा है, ‘मस्जिद पर लगे शिलालेख में साफ लिखा है कि इसे बाबर के आदेश पर बनाया गया था और मंदिर के निर्माण में मंदिर के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था.’ उन्होंने कहा, ‘कहा जाता है कि बाबर के अधिकारियों में से एक हिंदू बेग ने संभल में एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था. इतिहासकार श्री राम शर्मा ने 1940 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘द रिलिजियस पॉलिसी ऑफ द मुगल सम्राटों’ में लिखा है, “उनके सद्र, शेख ज़ैन ने चंदेरी (मध्य प्रदेश) में कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर दिया, जब उन्होंने उस पर कब्जा कर लिया था.’

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1879 की रिपोर्ट में क्या

शाही जामा मस्जिद विवाद पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी रहे  ब्रिटिश पुरातत्वविद् एसीएल कार्लाइल की 1879 में तैयार रिपोर्ट में इस मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभों को पुराने हिंदू मंदिरों का बताया गया है. इन खंभों की पहचान छिपाने के लिए ऊपर से प्लास्टर कर दिया गया था. रिपोर्ट में उनका दावा था कि मस्जिद का अधिकांश हिस्सा मलबे की चिनाई का उपयोग करके बनाया गया था. कार्लाइल की ये रिपोर्ट ‘रिपोर्ट ऑफ टूर्स इन द सेंट्रल दोआब एंड गोरखपुर इन 1874-75 एंड 1875-76’ के नाम से है. 

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