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नीतीश कुमार के आज इस्तीफा देकर शाम तक भाजपा के समर्थन से नयी सरकार बनाने की संभावना-सूत्र

सूत्र ने कहा कि राज्यपाल सचिवालय सहित कार्यालयों को रविवार को खुले रहने का आदेश दिया गया है. उन्होंने दावा किया कि कुमार ने कुछ दिन पहले अपने विश्वस्त सहयोगियों को अपने अगले कदम के बारे में बताया था. कुमार ने राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल पर चुप्पी साध रखी है. नीतीश कुमार ने शनिवार की सुबह पटना के पशु चिकित्सा कॉलेज मैदान में नए फायर ब्रिगेड इंजन को हरी झंडी दिखाने के अलावा बक्सर जिला में एक प्रसिद्ध मंदिर के सौंदर्यीकरण परियोजना के उद्घाटन किया. यह उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मातहत आने वाले पर्यटन विभाग की परियोजना है पर इस समारोह में तेजस्वी अनुपस्थित रहे.

नीतीश कुमार करीब दो साल पहले भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे और उसके बाद उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को हराने का संकल्प लिया था. कुमार के फिर से पाला बदलने की अटकलों के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने स्थिति का जायजा लेने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए अपने नेताओं के साथ शनिवार को एक बैठक की.

बैठक के बाद राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से आज या कल होने वाले घटनाक्रम के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए पार्टी सुप्रीमो (लालू प्रसाद) को अधिकृत किया है.” इस बीच, जद (यू) के वरिष्ठ नेता एवं प्रवक्ता केसी त्यागी ने स्पष्ट किया कि बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरने के कगार पर है और कांग्रेस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बार-बार ‘‘अपमान” करने का आरोप लगाया. त्यागी ने दिल्ली में संवाददाताओं से यह भी कहा कि उन्हें विपक्ष से ‘‘काफी सशक्त” भाजपा को वास्तविक चुनौती मिलने की कोई संभावना नहीं दिखती.

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केसी त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस” (इंडिया) टूटने के कगार पर है. पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में इसमें शामिल दलों का गठबंधन लगभग खत्म हो चुका है.” त्यागी ने कहा कि जिस लक्ष्य और इरादे के साथ जद (यू) अध्यक्ष कुमार गैर कांग्रेसी दलों को कांग्रेस के साथ लाने में सफल हुए, वे (उद्देश्य) विफल हो गए हैं और कहा कि उनके नेता को ‘गलत समझा गया.”

नीतीश कुमार 18 महीने से भी कम समय में दूसरी बार पाला बदल रहे हैं. इससे पहले उन्होंने जद (यू) में विभाजन की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए भाजपा से नाता तोडकर राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ हाथ मिला लिया था. वह 2017 में भी भाजपा से रिश्ता तोड़कर राजद-कांग्रेस गठबंधन शामिल हो गए थे.

भाजपा नेताओं ने पटना के पार्टी कार्यालय में शनिवार को एक बैठक की, जो देर शाम तक जारी रही. इस बैठक में बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के अलावा सांसदों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों ने भाग लिया. बैठक में कुमार को समर्थन देने की औपचारिक तौर पर घोषणा नहीं की गई लेकिन वीरचंद पटेल मार्ग पार्टी कार्यालय में खुशी का माहौल था.

बैठक के बाद महाराजगंज से भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह राजग ही था, जिसे 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार पर शासन करने का जनादेश मिला था. अब राजग सत्ता में वापस आएगा.”

पार्टी के एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सभी उपस्थित नेताओं को कागज के एक टुकड़े पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया. उन्होंने कहा कि यह एक औपचारिकता है, जिसकी आवश्यकता तब हो सकती है जब भाजपा राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को सूचित करना चाहेगी कि वह नयी सरकार बनाने के लिए तैयार है.

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नयी सरकार के गठन के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम कुछ नहीं कह सकते…क्योंकि किसी ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है.”

भाजपा के रविशंकर प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राज कुमार सिंह जो क्रमशः बेगूसराय और आरा लोकसभा सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं, बैठक से अनुपस्थित रहे.

पार्टी नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि समर्थन की औपचारिक घोषणा दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद की जाएगी जो शायद मुख्यमंत्री के इस्तीफे का इंतजार कर रहा है. राजद की बैठक लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर हुई. बैठक में राज्य विधानमंडल के सदस्यों समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे. राजद 79 विधायकों के साथ बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और महागठबंधन का हिस्सा है, जिसमें कांग्रेस तथा तीन वामपंथी दल भी शामिल हैं.

जद(यू) के हटने की स्थिति में महागठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत से आठ सदस्य कम हैं. राजद के जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को राजग से अलग करके कुमार को मात देने की अफवाहों के बारे में पूछे जाने पर मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे पिता को मुख्यमंत्री पद की पेशकश नहीं की गई है. अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की जाती तो भी हम स्वीकार नहीं करते.” उन्होंने कहा, ‘‘राजद दलित कार्ड खेलना चाहता है. उन्हें एक दलित को उपमुख्यमंत्री बनाकर और अधिक दलितों को कैबिनेट में शामिल करके उदाहरण स्थापित करना चाहिए था. हम नयी राजग सरकार में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं.”

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विधानसभा में मांझी की पार्टी के चार विधायक हैं. ऐसी भी खबरें आई हैं कि कांग्रेस के विधायक घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और उनमें से कई पाला बदलने की योजना बना रहे हैं. इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसी सभी अफवाहें झूठी हैं. भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत बिहार पहुंच रहे राहुल गांधी की 30 जनवरी की रैली की तैयारियों पर चर्चा के लिए पूर्णिया जिले में हुई बैठक में सभी 19 विधायक मौजूद थे.”

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