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लोकसभा चुनाव 2024: BJP का मुकाबला करने के लिए अपनी 'पीडीए' रणनीति तेज कर रही सपा

सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा पीडीए के लिए दी गयी परिभाषा (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों) के भरोसे पार्टी को लगता है कि उसे भाजपा का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम उप्र के सभी बूथों पर ‘पीडीए’ कैडर तैयार कर रहे हैं. इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है और पार्टी के प्रमुख संगठन इस पर काम कर रहे हैं. राज्य के प्रत्येक बूथ पर पीडीए के 10 प्रभावशाली लोगों को शामिल करने की योजना है.”

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार कैडर तैयार हो जाए तो यहां पार्टी मुख्यालय में उन लोगों का पूरा विवरण होगा और इसका उपयोग पार्टी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने और पार्टी के खिलाफ किसी भी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए किया जा सकता है.”

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘यह पीडीए कैडर जिले में मौजूद पार्टी संगठन के साथ काम करेगा और इसका उद्देश्य पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों तक पहुंचना और उन्हें पार्टी का समर्थन करने के लिए प्रभावित करना है.” उत्तर प्रदेश में ‘पीडीए’ आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है.

सपा पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप से जब पूछा गया कि पार्टी अपने ‘पीडीए’ एजेंडे पर कैसे आगे बढ़ रही है, तो उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पार्टी के पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख के रूप में मैं पिछड़े वर्ग के लोगों के बीच पार्टी की पहुंच मजबूत करने के लिए विभिन्न जिलों में बूथ स्तर तक प्रशिक्षण शिविर और बैठकें आयोजित कर रहा हूं.”

उन्होंने कहा, ‘‘पिछड़े समुदाय से लोगों के नाम मांगे गए हैं और हम बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करेंगे.” कश्‍यप ने कहा, ‘‘पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दी गई ‘‘पीडीए रणनीति” इस साल भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम होगी.”

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यादव अपने संबोधन में बार-बार कहते हैं कि ‘‘पीडीए” 2024 में राजग को हरा देगा और इसे भाजपा के खिलाफ पार्टी की रणनीति बताते हैं.

हालांकि यादव ने कहा है कि पीडीए में ‘अगड़े’ (उच्च जाति), ‘आधी आबादी’ (महिलाएं) और ‘आदिवासी’ (आदिवासी) भी शामिल हैं, लेकिन पार्टी का मुख्य ध्यान पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर है. पिछड़ों में यादव समाज और मुस्लिम वोट पार्टी का मुख्य वोट बैंक माना जाता है.

‘‘पीडीए” कैडर के लिए पार्टी ने एक सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है जिसमें बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का विवरण डाला जाएगा. पार्टी का मानना है कि इससे बूथ स्तर पर लोगों से सुझाव लेने और संभावित उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने में भी मदद मिलेगी.

पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी ने बूथ, खंड और सेक्टर प्रमुखों के ऊपर पार्टी गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय प्रभारी भी बनाए हैं. जिलों में पार्टी ने 9 से 12 बूथों वाला एक सेक्टर और सात-आठ सेक्टर वाला एक क्षेत्र बनाया है.

उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीट हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और केवल पांच सीट हासिल कर सकीं, जबकि बसपा को 10 सीट मिलीं. सपा लोकसभा चुनाव से पहले बने विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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