देश

आधी आबादी पर खास फोकस, RSS वर्कर्स को किया एक्टिव; महाराष्ट्र में ऐसे हुई महायुति की वापसी


मुंबई:

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नीत महायुति की भारी जीत लोकसभा चुनाव में हार के बाद रणनीतिक सुधार का संकेत देती है, जिसमें चुनाव अभियान में आरएसएस की सक्रिय भूमिका, लाडकी बहिन योजना, महिला मतदान में वृद्धि और हिंदुत्व के सूक्ष्म संदेश जैसे कारकों का भी अहम योगदान है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) की मदद के अलावा, महिला मतदाताओं और स्थानीय नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करना भी विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन का बड़ा कारण है. मतों की शनिवार सुबह से शुरू गिनती जारी है और भाजपा ने समाचार लिखे जाने तक 99 सीट जीत ली हैं और 34 पर बढ़त बनाए हुए है.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता वाली शिवसेना (भाजपा की सहयोगी) ने 47 सीट हासिल की हैं और 10 पर बढ़त बनाए हुए है. एक अन्य सहयोगी, अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 37 सीट जीती हैं और चार पर आगे चल रही है.

बड़े पैमाने पर हार का मतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के बाहर किसी भी दल को जरूरी 29 सीट नहीं मिल सकीं.

चुनाव प्रचार के दौरान, भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारे लगाए गए (जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से हिंदू एकता सुनिश्चित करना था) जिससे भाजपा के प्रदर्शन को बढ़ावा मिला.

सिर्फ पांच महीने पहले महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल नौ सीट मिलीं और महायुति का प्रदर्शन केवल 17 सीट तक सिमट कर रह गया था, जबकि इस राज्य से 48 सांसद चुने जाते हैं. इसके विपरीत विपक्षी महा विकास आघाडी को 30 सीट मिली थीं.

यह भी पढ़ें :-  संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान सरकार पर टिप्पणी नहीं थी : RSS
भाजपा, शिवसेना और राकांपा के चुनाव प्रबंधकों ने बैठक कर विधानसभा चुनाव में स्थिति को अपने पक्ष में करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए.

लोगों की भावना स्पष्ट रूप से महायुति के पक्ष में तब बदलने लगी जब उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार द्वारा पेश किए गए राज्य के बजट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता की पेशकश करते हुए ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ पेश की गई.

यह योजना मप्र सरकार की ‘लाड़ली बहना योजना’ की तर्ज पर बनाई गई थी, जिसके बारे में माना जाता है कि इससे पिछले चुनाव में भाजपा को भारी अंतर से सत्ता बरकरार रखने में मदद मिली थी.

महायुति सरकार ने अगस्त के मध्य में औपचारिक रूप से लाडकी बहिन योजना शुरू की और बड़े पैमाने पर इसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम आयोजित किए.

योजना की बढ़ती लोकप्रियता ने एमवीए को सत्ता में आने पर महालक्ष्मी योजना की घोषणा करने के लिए मजबूर किया, जिसमें महिलाओं को प्रतिमाह 3,000 रुपये देने की पेशकश की गई.

महायुति ने लाडकी बहिन योजना के तहत दिये जाने वाले भत्ते को बढ़ाकर 2,100 रुपये करने के आश्वासन के साथ एमवीए के चुनावी वादे का प्रतिकार किया था. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आम चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के सूक्ष्म प्रबंधन और सुधार का विधानसभा चुनावों में भरपूर लाभ मिला है.

उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने एमवीए के पक्ष में मुस्लिम वोटों के एकीकरण को भांपते हुए ‘वोट जिहाद’ और ‘वोटों का धर्मयुद्ध’ विषय उठाया जिसने वफादार भाजपा मतदाताओं को एकजुट किया.

फडणवीस ने महायुति सरकार के खिलाफ ‘वोट जिहाद’ के लिए एक इस्लामी विद्वान की कथित अपील पर जोर दिया और ‘वोटों के धर्मयुद्ध’ का आह्वान किया. शाम को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि तीनों दलों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से सीट-बंटवारे को अंतिम रूप दिया. अजित पवार ने कहा, ‘‘हमने लोकसभा की हार से सबक सीखा और सुधारात्मक कदम उठाए.”

यह भी पढ़ें :-  समाज में जाति, लैंगिक आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए विशेष प्रयास हो : मोहन भागवत

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने कहा कि भाजपा का अभियान आरएसएस द्वारा संचालित था, जिसने चुनावी मुकाबले को ‘महाराष्ट्र में भाजपा के लिए करो या मरो की लड़ाई’ के रूप में लिया.उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस जीत का अधिक श्रेय आरएसएस कार्यकर्ताओं को जाता है. सोशल मीडिया सहित सभी स्तरों पर हिंदुत्व की पैठ के साथ, भाजपा और आरएसएस ने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि हिंदुत्व ही मुख्य रक्षक है. ‘एक हैं तो सेफ हैं’ एजेंडा और मुसलमानों के प्रति नफरत ने काम किया.”

वरिष्ठ पत्रकार जतिन देसाई ने कहा कि लोगों के बीच ‘अशांति’ की स्पष्ट भावना को देखते हुए नतीजे आश्चर्यजनक थे.nजिसने भी राज्य में बड़े पैमाने पर यात्रा की है, उसने कृषि संकट को लेकर लोगों, विशेषकर किसानों के बीच जबरदस्त अशांति देखी है. उन्होंने पूछा कि क्या किसानों ने वोट देने से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज के बारे में नहीं सोचा?

पत्रकार अभय देशपांडे के मुताबिक, महायुति के पक्ष में ‘मूक लहर’ का अंदाजा किसी को नहीं था. उन्होंने कहा, ‘‘लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की संख्या 2.35 करोड़ थी. लोकसभा चुनाव की तुलना में 70 लाख अतिरिक्त वोट पड़े, जिनमें से 43 लाख महिला मतदाताओं के वोट थे.” उन्होंने कहा कि इसी तरह महायुति गठबंधन ने जाति एकीकरण के खिलाफ ध्रुवीकरण का जुआ खेला, जो लोकसभा चुनावों के दौरान एमवीए खेमे के लिए एक निर्णायक कारक था.

कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने भी कहा कि नतीजे अप्रत्याशित हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता माधव भंडारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रिकॉर्ड तोड़ जीत अप्रत्याशित है. उन्होंने कहा, ‘‘यह गर्व की बात है. लोकसभा चुनाव में सफलता के बाद कांग्रेस ने अहंकार दिखाया. लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण की उसकी राजनीति पलट गई और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे का गहरा प्रभाव पड़ा.”

यह भी पढ़ें :-  जम्मू-कश्मीर में दो दौर की वोटिंग का ट्रेंड किसके लिए गुड न्यूज? समझिए मतदान के सियासी मायने

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि चुनाव परिणाम जनता के मूड के विपरीत हैं. उन्होंने कहा, ‘‘फडणवीस और शिंदे के खिलाफ बहुत गुस्सा था. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या नाराज मतदाता वोट देने के लिए घर से निकले?”

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button