देश

राज्य का अधिकार नहीं छीना जा सकता… औद्योगिक शराब को लेकर SC ने सुनाया बड़ा फैसला


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को औद्योगिक शराब को लेकर राज्यों की बड़ी जीत की तरह है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि राज्य औद्योगिक शराब को भी रेगुलेट कर सकता है. इस कानून में औद्योगिक और नशीली शराब के उत्पाद दोनों शामिल हैं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि नशीली शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य का है और इसे नहीं छीना जा सकता है. कोर्ट ने अपने फैसले के साथ ही 34 साल पुराने सात जजों के फैसले को भी पलट दिया है.

इस बार कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है वो इसलिए भी खास है क्योंकि संविधान पीठ के 9 जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से ये फैसला लिया है. वहीं, पीठ में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसे लेकर असहमति जताई है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने बहुमत का फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्यों को मिला और राजस्व अधिकार कहा कि औद्योगिक अल्कोहल और इसके कच्चे माल सहित सभी प्रकार के अल्कोहल पर उनके पास विधायी कर नियंत्रण है.

इस मामले को लेकर पिछली दफा 18 अप्रैल को सुनवाई हुई थी. उस दौरान संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब पीठ ने 6 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है. जिस पीठ ने ये फैसला सुनाया है उसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़,जस्टिस हृषिकेश रॉय,जस्टिस अभय एस ओक,जस्टिस बी वी नागरत्ना,जस्टिस जेबी पारदीवाला,जस्टिस मनोज मिश्रा,जस्टिस उज्जल भुइयां,जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं.

यह भी पढ़ें :-  ऐसा क्यों किया? उत्तराखंड के सुलगते जंगलों पर सुप्रीम कोर्ट ने धामी सरकार से पूछे कई सवाल

Latest and Breaking News on NDTV

यह मामला पहली बार 2007 में नौ-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था.यह उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की धारा 18जी की व्याख्या से संबंधित है.धारा 18जी केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने की अनुमति देती है कि अनुसूचित उद्योगों से संबंधित कुछ उत्पादों को उचित रूप से वितरित किया जाए और ये उचित मूल्य पर उपलब्ध हों.वे इन उत्पादों की आपूर्ति, वितरण और व्यापार को नियंत्रित करने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करके ऐसा कर सकते हैं.

हालांकि, संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची III की प्रविष्टि 33 के अनुसार, राज्य विधायिका के पास संघ नियंत्रण के तहत उद्योगों और इसी तरह के आयातित सामानों के उत्पादों के व्यापार, उत्पादन और वितरण को विनियमित करने की शक्ति है.यह तर्क दिया गया कि सिंथेटिक्स एंड केमिकल लिमिटेड बनाम यूपी राज्य मामले में, सात न्यायाधीशों की पीठ राज्य की समवर्ती शक्तियों के साथ धारा 18जी के हस्तक्षेप को संबोधित करने में विफल रही थी.

Latest and Breaking News on NDTV

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि 1951 अधिनियम की धारा 18-जी की व्याख्या के संबंध में सिंथेटिक्स एंड केमिकल मामले (सुप्रा) में निर्णय को कायम रहने की अनुमति दी जाती है, तो यह सूची III की प्रविष्टि 33 (ए) के प्रावधानों को निरर्थक  बना देगा.इसके बाद मामला नौ जजों की बेंच के पास भेजा गया. गौरतलब है कि प्रविष्टि 33 सूची III के अलावा, प्रविष्टि 8 सूची II भी ‘नशीली शराब’के संबंध में राज्य को विनियमन शक्तियां प्रदान करती है.



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button