बिहार में कांग्रेस की नई धार के लिए रणनीति तैयार! बदले अध्यक्ष और प्रभारी, अब राहुल-खरगे की बड़ी बैठक

नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी शुरू हो गई है. राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं और अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. कांग्रेस भी अपनी पुरानी जमीन को तलाशने के लिए पहल शुरू कर दी है. 25 मार्च को दिल्ली में बिहार कांग्रेस की बैठक होगी, जहां आगामी चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी.
कांग्रेस पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक 25 मार्च को दिल्ली में होने वाली है, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी मौजूद रहेंगे. यह बैठक दोपहर 2.30 बजे इंदिरा भवन में आयोजित की जाएगी. इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी. पार्टी ने पिछले एक महीने में अपने प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव किया है. पहले यह बैठक 12 मार्च को आयोजित करने की योजना थी, लेकिन अब यह 25 मार्च को होगी.
किन मुद्दों पर ‘इंडिया’ गठबंधन बिहार में चुनाव लड़ेगा? किन मुद्दों को जोर से उठाने की जरुरत है और ‘इंडिया’ गठबंधन का आकार और संरचना बिहार में कैसी होगी ? इन सारी बातों पर कांग्रेस की बैठक में चर्चा हो सकती है.
बिहार में चुनाव से आठ महीने पहले कांग्रेस ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बदलकर सबको चौंका दिया था. राजेश कुमार बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं. वो औरंगाबाद के कुटुंबा से दो बार के विधायक हैं.
बदलाव के पीछे क्या है कांग्रेस की रणनीति
राजेश कुमार के जरिए दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश होगी, जिस पर जीतन राम मांझी और चिराग पासवान का कब्जा है. बिहार में करीब 20 फीसदी दलित हैं जो परंपरागत रूप से सत्ता के साथ ही रहना चाहते हैं. बीजेपी और जेडीयू के पास भी कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है. मगर बिहार में कांग्रेस के लिए खोने को कुछ नहीं है. शायद यही बदलाव कुछ काम कर जाए, ऐसी उम्मीद कांग्रेसी बिहार विधान सभा चुनाव के लिए कर रहे होंगे.
AICC मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार सत्याग्रह और क्रांतियों का जनक है. लेकिन आज बिहार के लोग पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं. यहां के नौजवानों में हुनर की कोई कमी नहीं है, पर उनके हुनर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा. अब बिहार को बदलना है, तो बिहार की सरकार को बदलना है. ‘सरकार बदलो-बिहार बदलो’ ये नारा हम यहां से दे रहे हैं.
RJD पर दबाव बनाने की होगी कोशिश!
कांग्रेस ने पिछली बार 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत पाई थी. जानकारी के मुताबिक इस बार लालू यादव कांग्रेस को इतनी सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए कांग्रेस को अपनी जमीन तैयार करनी होगी और लोगों तक पहुंचना होगा.