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पंजाब में एक दिन में 740% तक बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं, NASA ने सैटेलाइट इमेज में दिखाई जगहें

नई दिल्ली:

हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने (Stubble Burning) के कारण वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर बढ़ता जा रहा है. मुंबई के बाद दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. वायु प्रदूषण से दिल्लीवासियों का दम घुट रहा है. लेकिन किसानों को जागरूक करने की कोशिशें नाकाम दिखाई पड़ रही हैं. सबसे बुरा हाल पंजाब का है. यहां एक दिन में पराली जलाने की घटनाओं में 740% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. भारत में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर अमेरिका की नेशनल एरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने तस्वीरें जारी की हैं.  

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NASA के वर्ल्डव्यू सैटेलाइट ने 25 से 29 अक्टूबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं की तस्वीरें कैद की हैं. खेत की आग को लाल बिंदुओं से दिखाया गया है. पंजाब में रविवार को 1068 खेतों में पराली जलाया गया. यानी एक दिन में पराली जलाने की घटनाओं में 740 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. ये मौजूदा कटाई के मौसम में एक दिन में सबसे ज्यादा है. शनिवार को पराली जलाने की सिर्फ 127 घटनाएं हुई थीं.

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25 अक्टूबर की तुलना में 26 अक्टूबर की तस्वीरों में लाल बिंदुओं में वृद्धि देखी गई है. 27 अक्टूबर को पराली जलाए जाने की घटनाओं में वृद्धि के अगले दिन (शनिवार) में तेज गिरावट देखी गई.

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आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम रवाना

सैटेलाइट इमेज अलर्ट के बाद अब प्रशासन ने खेतों में लगी आग को बुझाने के लिए अपनी फायर ब्रिगेड टीम को रवाना कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि जहां फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच पाती, वहां अन्य माध्यमों से आग बुझाई जाती है. इस सीजन में पिछले साल की तुलना में 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाओं में 57 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

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15 सितंबर से 29 अक्टूबर तक पंजाब में खेतों में आग लगाने की कुल 5254 घटनाएं हुईं. जबकि पिछले साल इसी अवधि में ऐसे 12112 मामले आए थे. हालांकि, इसका कारण बाढ़ और अन्य अप्रत्याशित मौसम घटनाएं हो सकती हैं. जिसके कारण पराली जलाने में देरी हुई. केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कटाई की गतिविधियां चरम पर होंगी.
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अक्टूबर और नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना एक कारण माना जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं के लिए समय बहुत कम होता है. इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुआई के लिए फसल के अवशेषों को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. इसी से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है. केंद्र ने पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की राज्य सरकारों को फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत लगभग 3,333 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जारी किया नोटिस

बता दें कि दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण पराली जलाने पर चिंता व्यक्त करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पंजाब के मुख्य सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को निर्धारित की गई है. वहीं, PPCB ने पराली जलाने के मामलों में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है.

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15 सितंबर से 30 नवंबर तक जलती हैं पराली

NGT पीठ का कहना था कि जिस अवधि में पराली जलाई जाती है, वह मुख्य रूप से 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच का समय है. इसलिए, इस अवधि के दौरान, संबंधित अधिकारियों को उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने और जुर्माना लगाने सहित सुधारात्मक उपाय अपनाते हुए सतर्क रहने की आवश्यकता होती है.

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NGT पीठ ने NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की एक रिपोर्ट भी रिकॉर्ड में ली, जिसमें 2022 में पराली जलाने की घटनाओं की वास्तविक गणना और इस दौरान उन्हें कम करने के लक्ष्य बताए गए थे. ट्रिब्यूनल ने PPCB को क्षेत्र-वार फसल अवशेष प्रबंधन योजना तैयार करने और रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था.

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