DU में पढ़ी, फिर ऑक्सफर्ड गई.. CM की कुर्सी तक कैसे पहुंची दिल्ली की लड़की, जानिए आतिशी की कहानी
केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद के लिए आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा.
नई दिल्ली:
मैं जनता के बीच में जाऊंगा..गली-गली में जाऊंगा..घर-घर जाऊंगा और जब तक जनता अपना फ़ैसला न सुना दे कि केजरीवाल ईमानदार है तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा..जैसे ही दिल्ली सीएम ने ये ऐलान किया, वैसे ही दिल्ली की राजनीति में ये कयास लगने अब राजधानी का अगला सीएम कौन होगा. 15 सितंबर को अपने बयान के साथ अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम पद से दूसरी बार इस्तीफा देने का ऐलान किया तबसे सभी के जेहन में यही सवाल है कि अगला सीएम कौन. चर्चा ये कि केजरीवाल के बाद अब दिल्ली की जिम्मेदारी किसके कंधे पर आएगी. आज यानी 17 सितंबर को इस सस्पेंस से भी पर्दा उठ गया. आतिशी अब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी. खुद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद के लिए आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा. विधायकों ने भी आतिशी के नाम का समर्थन किया. हम आपको बताते हैं आतिशी से जुड़ी कुछ खास बातें…कैसे एक आम लड़की दिल्ली सीएम की कुर्सी तक पहुंच गईं…आपको बता रहे हैं कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई से लेकर दिल्ली सीएम बनने तक आतिशी का सफर का कैसा रहा.
कौन हैं आतिशी ?
8 जून 1981 में दिल्ली में जन्मीं आतिशी ने एक लंबा सफर तय किया है. किसे पता था दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दंपति विजय सिंह और तृप्ता सिंह की घर आई एक नन्हीं परी एक दिन दिल्ली की बागडोर संभालेगी. आतिशी की स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल में हुई है. फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से साल 2001 में ग्रैजुएशन..फिर आगे की पढ़ाई के लिए आतिशी इंग्लैंड चली गईं. आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी करके आतिशी भारत लौटी, कुछ दिन आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में काम किया, एक गैर-सरकारी संगठन संभावना इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के साथ भी जुड़ी रहीं.
आतिशी से जुड़ी खास बातें
- आतिशी का नाम फाइनल होने के साथ ही वो दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. इससे पहले, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित भी दिल्ली की कमान संभाल चुकी हैं.
- आतिशी कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक हैं. मौजूदा समय में उनके पास कुल 13 मंत्रालय हैं. आतिशी को केजरीवाल के भरोसेमंद साथियों में से एक माना जाता है.
- आतिशी ने सबसे पहले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान राजनीति में कदम रखा था.
- आतिशी 2015 से 2018 तक दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम कर चुकी हैं.
- आतिशी ने 2019 में लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें गौतम गंभीर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
राजनीति से कैसे जुड़ी?
राजनीतिक सफर की बात करें तो आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय से ही आतिशी इस पार्टी से जुड़ी रही हैं. आम आदमी पार्टी ने 2013 में पहली बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ा था और तभी से आतिशी पार्टी की घोषणा पत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं. आतिशी आप प्रवक्ता भी रहीं. उन्होंने जुलाई 2015 से अप्रैल 2018 तक दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर काम किया और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए कई योजनाओं पर काम किया. पार्टी के गठन के शुरुआती दौर में इसकी नीतियों को आकार देने में भी आतिशी की अहम भूमिका रही है. बाद में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आतिशी को पूर्वी दिल्ली से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया. मुकाबला बीजेपी के प्रत्याशी गौतम गंभीर से था. चुनाव में आतिशी गौतम गंभीर से 4.77 लाख मतों से हार गईं.
साल 2020 के दिल्ली चुनाव में उन्होंने कालकाजी क्षेत्र से चुनाव लड़ा और बीजेपी प्रत्याशी धर्मवीर सिंह को 11 हजार से अधिक वोट से मात दी. इसके बाद से ही आतिशी का सियासी ग्राफ तेजी से बढ़ा. 2020 के चुनाव के बाद उन्हें आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई का प्रभारी बनाया गया. केजरीवाल ने गिरफ्तारी का संकट मंडराने से पहले अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया और 9 मार्च 2023 को आतिशी को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आतिशी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई. केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही आतिशी के नाम की चर्चा तेज थी और आज विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लग गई.