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24 अकबर रोड के बगल से अचानक आई कॉल और… क्या कांग्रेस अब मजबूती से नहीं लड़ेगी दिल्ली चुनाव?










Delhi Election Congress vs AAP : दिल्ली चुनाव पर अब तक राहुल गांधी ने कोई बयान नहीं दिया है. (फाइल फोटो)

Delhi Election Congress vs AAP : दिल्ली चुनाव के ऐलान से पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के टिकटों की घोषणा कर दी. मगर इससे भी ज्यादा कांग्रेस ने चौंकाया. उसने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. यही नहीं अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को उतार दिया. इसके अलावा वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कालकाजी विधानसभा सीट से अपनी तेजतर्रार नेता अलका लांबा को टिकट दिया. उम्मीदवारों की सूची आते ही दिल्ली में राजनीति गर्म हो गई. दिल्ली के आम से लेकर खास तक में इस बात पर चर्चा होने लगी कि क्या कांग्रेस इस बार केजरीवाल से दिल्ली वापस ले लेगी? ये बातें चल ही रहीं थीं कि कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने बमबाजी कर दी. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल को फर्जीवाल और देशद्रोही तक बता दिया. इसके बाद तो तहलका ही मच गया. आप ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर कराने तक की धमकी दे दी. कांग्रेस को अजय माकन पर कार्रवाई का अल्टीमेटम दे दिया.

किसका फोन आया था?

दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने तो इसका मजाक बनाया, लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस पर कोई जवाब नहीं आया. यहां तक की पिछली प्रेस कांफ्रेंस में ही अगली प्रेस कांफ्रेंस का दावा करने वाले अजय माकन भी उसके बाद नजर नहीं आए. The Hindkeshariके कार्यक्रम ‘त्रिकोण’ में दिल्ली चुनाव पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मनोरंजन भारती उर्फ बाबा ने दावा किया है कि अजय माकन फिर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे. पूरे कांग्रेस के ग्रुप में मैसेज डाल दिया था कि प्रेस कांफ्रेंस किस विषय पर होनी है, तभी एकाएक उनको फोन आता है. फोन कांग्रेस आलाकमान का आता है और वो फोन 24 अकबर रोड के बगल से ही आता है. उनसे कहा जाता है कि आप इसको मत कीजिए. 

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क्या कांग्रेस अब मजबूती से लड़ेगी

बाबा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने एक रास्ता खोल रखा है. अलग से बैकडोर. इसमें वो अखिलेश यादव के टच में हैं. वो ममता बनर्जी के टच में हैं. वो इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं के टच में हैं और कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं. दिल्ली की कांग्रेस लीडरशिप केजरीवाल को पसंद नहीं करती. हालांकि, केंद्रीय स्तर पर बहुत चीजें देखी जा रही हैं. कांग्रेस अपने वोटबैंक को वापस पाना चाहती है. आज भी दिल्ली के लोग शीला दीक्षित के काम को याद करते हैं. इस बार कांग्रेस के पास अच्छा मौका था. मगर, केजरीवाल फिलहाल तो कांग्रेस बैकफुट पर लेकर आ गए हैं. देखना है, आगे चुनाव में कांग्रेस क्या रुख अपनाती है.

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