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5 महीने… 461 किसानों की आत्‍महत्‍या… पश्चिमी विदर्भ में नहीं थम रहा किसानों के जान देने का सिलसिला 

अमरावती संभागीय आयुक्त कार्यालय ने किसानों की आत्‍महत्‍या के आंकड़े जारी किए हैं. (प्रतीकात्‍मक)


मुंबई:

अपने श्रम से धरती का सीना चीरकर अन्‍न उपजाने वाले किसान कई बार विषम परिस्थितियों के कारण अपना जीवन समाप्‍त कर लेते हैं. देशभर में किसानों की आत्‍महत्‍या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. खासतौर पर महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में किसानों की आत्‍महत्‍याएं (Farmers Suicide) रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. महाराष्‍ट्र के पश्चिमी विदर्भ (Western Vidarbha) इलाके में किसानों की आत्‍महत्‍या का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. जहां पर इस साल जनवरी से मई तक के पांच महीनों में पश्चिमी विदर्भ में 461 किसानों ने अपनी जान दे दी. अमरावती जिले में महज 5 महीने के दौरान ही 143 किसानों ने मौत को गले लगा लिया है. 

अमरावती संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा किसानों की आत्‍महत्‍या के आंकड़े जारी किए गए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, 5 महीनों के दौरान अमरावती में 143, अकोला में 82, यवतमाल में 132,  बुलढाणा में 83 और वाशिम जिले में 21 किसानों ने आत्महत्या की है. 

आत्‍महत्‍या करने को किसान क्‍यों होते हैं मजबूर? 

एक किसान को आत्‍महत्‍या क्‍यों करनी पड़ती है, यह बड़ा सवाल है. किसानों की आत्‍महत्‍या के लिए प्राकृतिक आपदा, बेमौसम बारिश और बंजर भूमि को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसके कारण फसल खराब होने से उन्‍हें काफी नुकसान होता है.

साथ ही किसानों की आत्‍महत्‍या के पीछे का एक बड़ा कारण किसानों को उनकी फसल का उचित दाम ना मिल पाना और सरकार की आयात-निर्यात की गलत नीति को भी बताया जा रहा है. 

महाराष्‍ट्र के आंकड़े अभी आने बाकी 

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फिलहाल जो आंकड़े जारी हुए हैं, वो सिर्फ पश्चिम विदर्भ के हैं. पूरे विदर्भ और मराठवाड़ा के साथ पूरे महाराष्ट्र के आंकड़े आने अभी बाकी हैं. जाहिर है महाराष्ट्र सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने की जरूरत है. 

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