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सुनीता विलियम्स की जल्द होगी घर वापसी, कुछ ही दिनों में खत्म होगा इंतजार, जानें पहले क्यों क्वारंटीन में रहते थे एस्ट्रोनॉट्स


नई दिल्ली:

एक वक्त के बाद हर किसी को अपने घर की याद सताने लगती है, लेकिन इसकी गहराई तब समझ आती है जब उसके लौटने का समय तो तय हो लेकिन किसी कारण वो लौट नहीं पाए और उनके लौटने का इंतजार बढ़ता चला जाए. हालांकि, हम यहां किसी देश से लौटने की नहीं बल्कि अंतरिक्ष से लौटने की बात कर रहे हैं. दरअसल, हम धरती से करीब चार सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की बात कर रहे हैं, जहां से दो अंतरक्षि घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. दोनों ने आठ दिनों में वापस आना था लेकिन उनका ये वक्त नौ महीनों तक खिंच गया और अब भी ये इंतजार खत्म नहीं हो रहा. 

सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की घर वापसी का अब भी इंतजार

हम बात कर रहे हैं भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथ अमेरिकी मूल के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बुच विलमोर की. 13 मार्च को पूरी उम्मीद थी कि उनका ये इंतजार ख़त्म हो जाएगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दखल के बाद इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने क्रू 9 नाम से गए इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए अपना क्रू 10 मिशन दो हफ्ते पहले ही भेजने का फैसला कर लिया था. क्रू 10 मिशन को फ्लोरिडा में केप कैनेवरल के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स के Falcon 9 rocket से भेजे जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. क्रू 10 से चार अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाना था. इनमें दो अमेरिकी, एक जापानी और एक रूसी अंतरिक्ष यात्री थे. इन्हें सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की जगह लेनी थी, जिन्हें इसी स्पेस एक्स के स्पेसक्राफ्ट से वापस लौटना था. कैनेडी स्पेस सेंटर पर इस मिशन के लिए काउंट डाउन जारी था कि अचानक 45 मिनट पहले लॉन्च को टालने का फैसला ले लिया गया. 

शनिवार को तड़के 4 बजकर 33 मिनट पर होगा क्रू 10 मिशन

नासा ने एलान किया कि Falcon 9 rocket के ग्राउंड सपोर्ट क्लैम्प आर्म के हाइड्रॉलिक सिस्टम में दिक्कत आने के कारण लॉन्च को ऐन मौके पर टालना पड़ा. नासा की लॉन्च टीम दिक्कत का हल करने में जुटी है. इसके बाद ही लॉन्च की नई तारीख का एलान किया जाएगा. नासा ने एलान किया है कि नया लॉन्च भारतीय समय के मुताबिक शनिवार तड़के 4 बजकर 33 मिनट से पहले नहीं हो पाएगा. इसकी वजह है कि तेज हवाएं चलने वाली हैं और बारिश का भी पूर्वानुमान है.

मिशन के टलते ही सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की वापसी की राह देख रहे लोग मायूस हो गए. हालांकि उनकी ये मायूसी अब बस कुछ ही दिनों की बात है. दरअसल, दोनों ही अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में लंबा समय गुजार चुके हैं जिसका असर उनकी सेहत पर भी पड़ रहा है. पिछले साल 5 जून, 2024 को अमेरिका के केप कैनेवेरल के कैनेडी स्पेस स्टेशन से इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में एटलस वी रॉकेट के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरी थी. वो बोइंग के स्टारलाइन स्पेसक्राफ्ट की पहली टेस्ट फ्लाइट भी थी लेकिन वापसी की तैयारियों के दौरान स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के प्रोपल्शन सिस्टम में दिक्कत आ गई. 

दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को दस दिन बाद वापस लौटना था लेकिन स्टारलाइनर में तकनीकी दिक्कत होने के कारण उन्हें इसमें वापस लाना सुरक्षित नहीं समझा गया. इस दिक्कत को सुलझाने की कोशिश की गई. इसमें सितंबर तक का समय लग गया. तब भी दोनों को स्टारलाइनर से लाना सुरक्षित नहीं माना गया. पिछले साल पांच महीने बाद स्टारलाइनर एयरक्राफ्ट बिना अंतरिक्ष यात्रियों के वापस लौट आया. वैसे बुच विलमोर और सुनीता विलियम्स दोनों ही अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं और अमेरिकी नेवी के टेस्ट पायलट हैं लेकिन उन्हें इतने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की तैयारी के साथ नहीं भेजा गया था लेकिन अपने पुराने अनुभव के आधार पर दोनों कामयाबी के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर टिके हुए हैं और पूरे समय वहां प्रयोगों और मेंटीनेंस के काम में जुटे रहे हैं.

इस बीच कई बार उनके वापस लौटने की तैयारी की गई लेकिन अलग अलग कारणों से ये सब टलता रहा. नासा ने स्पष्ट किया कि विलमोर और विलियम्स को तब तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहना होगा जब तक क्रू 10 वहां न पहुंच जाए ताकि स्टेशन पर मेंटीनेंस के लिए पर्याप्त अंतरिक्ष यात्री रहें. इस बीच सात मार्च को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के सामने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में जब पत्रकारों ने ये मुद्दा उठाया तो ट्रंप ने कहा कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द ही वापस लाया जाएगा. उन्होंने दोनों के स्पेस स्टेशन में अटके रहने के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को दोषी ठहराया. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने एलन मस्क से उन्हें वापस लाने के लिए पूछा है और उन्होंने हां की है.

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इस बीच सुनीता विलियम्स को लेकर डोनल्ड ट्रंप के शब्दों पर भी सवाल उठे. जैसा कि कई बार वो कुछ ज्यादा ही बोल जाते हैं. उन्होंने सुनीता विलियम्स के बालों पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर दी जो सोशल मीडिया में चर्चा की बड़ी वजह बन गई. हालांकि, ट्रंप के बयान के बाद एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को आठ दिन के लिए ही जाना था लेकिन वो अब आठ महीने से वहां हैं. SpaceX एक और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भेजकर छह महीने पहले उन्हें वापस ला सकता था लेकिन बाइडेन के व्हाइट हाउस ने इसके लिए इजाजत नहीं दी. राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें जल्द से जल्द वापस लाने को कहा है और हम ऐसा कर रहे हैं.

हालांकि, मस्क के बयान में बाइडेन को वजह बताए जाने की काफी आलोचना भी हुई. खैर अब उम्मीद है कि जल्द ही सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर का इंतजार खत्म हो जाएगा. इस बीच दोनों ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में तमाम प्रयोगों और रख रखाव के काम में जुट गए हैं. इस साल जनवरी में विलियम्स ने किसी भी महिला के लिए स्पेसवॉक का रिकॉर्ड तोड़ दिया. बुच विलमोर के साथ उन्होंने 62 घंटे और 6 मिनट की स्पेस वॉक की यानी इतना समय वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से बाहर अंतरिक्ष में रहे या अंतरिक्ष में चले और मेंटीनेंस का काम करते रहे. इससे पहले 2012 में सुनीता विलियम्स जब पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गईं तो अंतरिक्ष में ट्राइऐथलन पूरा करने वाली पहली व्यक्ति बनीं. इस दौरान उन्होंने तैराकी की कमी को पूरा करने के लिए एक वेट लिफ्टिंग मशीन का इस्तेमाल किया और एक स्ट्रैप से बंधी रहकर ट्रेडमिल पर दौड़ीं. सुनीता विलियम्स अभी तक कुल मिलाकर 600 से भी ज्यादा दिनों तक अंतरिक्ष में रह चुकी हैं.

धरती पर वापसी के बाद दिक्कतों का सामना करेंगी सुनीता विलियम्स

लेकिन सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की धरती पर जब वापसी होगी तो उनके सामने कुछ शारीरिक दिक्कतें भी आएंगी. दोनों ही लंबे समय से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर हैं और नीचे लौटने पर उन्हें पहले अपने शरीर को ग्रैविटी के हिसाब से ढालना होगा. नासा के एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री Leroy Chiao के मुताबिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को बेबी फीट का अनुभव होता है. इसका मतलब ये है कि आप अपने पैर के तलुए की जो मोटी चमड़ी है उसे धीरे धीरे खो देते हैं. अंतरिक्ष में भारहीनता के कारण ऐसा होता है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को वापस धरती पर लौटने पर चक्कर आने या जी मिचलाने जैसे साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ता है. ऐसा लगता है जैसे फ्लू हो गया हो. सामान्य होने में कई हफ्ते लग सकते हैं.

एक और अंतरिक्ष यात्री Terry Virts ने भी कहा कि फ्लू जैसा महसूस होता है. उन्होंने कहा मुझे बहुत ज्या्दा चक्कर आने जैसा महसूस हुआ. अंतरिक्ष से वापस लौटने में शरीर को नए सिरे से ढालने में कई हफ्ते लग जाते हैं. दरअसल, माइग्रोग्रैविटी में अंतरिक्ष यात्री चलते नहीं हैं बल्कि फ्लोट करते हैं यानी तैरते रहते हैं. स्पेसक्राफ्ट में हाथ से हैंडल पकड़ कर लगभग उड़ते हुए आगे पीछे बढ़ते हैं. खड़े रहने या चलने से पैरों पर जो दबाव पड़ता है उसका उन्हें अनुभव नहीं हो पाता. इससे उनकी एढ़ियों पर जो मोटी चमड़ी होती है वो समय के साथ साथ ढीली पड़ती जाती है. जब वो धरती पर लौटते हैं तो तुरंत गुरुत्वाकर्षण का अहसास होता है जिसे लेकर पैर काफी संवेदनशील होते हैं. कुछ ऐसा ही लगता है जैसे महीनों तक सॉफ्ट जूते पहनने के एकदम बाद अब सख्त जमीन पर नंगे पैर चलने लगें. इससे दिक्कत भी होती है और बैलेंस बनाए रखने में भी दिक्कत होती है. बेबी फीट के अलावा अंतरिक्षयात्रियों के शरीर में मांसपेशियां भी धीरे धीरे कमजोर पड़ती हैं. हालांकि, इसके लिए अंतरिक्ष में वो लगातार एक्सरसाइज करते हैं लेकिन मांसपेशियों उतनी मजबूत नहीं हो पाती. लौटने पर शरीर को संतुलन में रखने वाला सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है. शरीर में बोन डेंसिटी लॉस भी होता है यानी हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं. इसीलिए अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की ग्रैविटी के हिसाब से ढालने के लिए स्पेस एजेंसीज खास rehabilitation program बनाती हैं.

  • जमीन पर चलाने की शुरुआत धीरे धीरे की जाती है.
  • पहले नरम सतह पर चलाया जाता है.
  • पैरों को मजबूत बनाने के व्यायाम कराए जाते हैं.
  • बैलेंस यानी संतुलन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
  • उसी हिसाब से खान-पान और जरूरी दवाएं भी तय होती हैं.
  • कई हफ़्तों तक rehabilitation किया जाता है. 
  • अंतरिक्ष यात्री लगातार नासा की मेडिकल टीम की निगरानी में रहते हैं.
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पिछले ही साल 25 अक्टूबर को नासा के तीन अंतरिक्ष यात्री और एक रूसी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में आठ महीने रहने के बाद वापस लौटे. उन्हें लेकर लौटा स्पेस एक्स कैप्सूल गल्फ ऑफ मैक्सिको में उतरा. इसके तुरंत बाद तीनों को फ्लोरिडा के अस्पताल ले जाया गया. इनके साथ रूस के भी एक अंतरिक्ष यात्री भी थे लेकिन तीनों अमेरकी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक को किसी मेडिकल वजह से रात भर अस्पताल में रखा गया. मेडिकल गोपनीयता का हवाला देते हुए नासा ने ये नहीं बताया कि किस अंतरिक्ष यात्री को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. तब एक अंतरिक्ष यात्री Michael Barratt ने कहा था कि स्पेसफ्लाइट ऐसी चीज है जिसे अभी हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं. हमें ऐसी चीजें पता लग रही हैं जिनकी हमें कई बार उम्मीद नहीं होती. ये ऐसा ही एक समय था. हम अब भी चीजो को समझ ही रहे हैं. एक और अंतरिक्ष यात्री Jeanette Epps के मुताबिक हर व्यक्ति का अंतरिक्ष में अनुभव अलग होता है. इसका पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता. हर दिन पहले दिन से बेहतर होता है. तीसरे अंतरिक्ष यात्री मैथ्यू डोमिनिक ने कहा कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद एक सख़्त कुर्सी पर ठीक से बैठने में ही कई दिन लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं 235 दिन तक किसी सख़्त चीज़ पर बैठा ही नहीं. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान उन्होंने ट्रेडमिल का इस्तेमाल नहीं किया, ये देखने के लिए मंगल ग्रह तक लंबी यात्रा के दौरान कौन से उपकरणों को कम किया जा सकता है. मैं कैप्सूल से बाहर आने के बाद ही पहली बार चला.

सुनीता विलियम्स के बारे में अन्य अहम बातें

तो सुनीता विलियम्स के लौटने का इंतजार है और उम्मीद है कि वापस लौटने के बाद उन्हें दुरुस्त होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा और अब सुनीता विलियम्स के बारे में कुछ और जानकारियां. अमेरिका के ओहायो में 1965 में पैदा हुईं सुनीता विलियम्स अमेरिकी नौसेना की एक रिटायर्ड अधिकारी हैं जिन्हें नासा ने 1998 में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना. वो फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ टैक्नॉलजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एमएससी हैं. 30 प्रकार के अलग अलग एयरक्राफ्ट्स में उन्हें 3000 घंटे उड़ान का अनुभव है. ये सुनीता विलियम्स का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का तीसरा दौरा है.

उन्होंने पहली बार 9 दिसंबर 2006 को उड़ान भरी, 11 दिसंबर से लेकर 22 जून 2007 तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फ़्लाइट इंजीनियर के तौर पर रहीं. तब उन्होंने महिलाओं के लिए स्पेसवॉक में रिकॉर्ड बनाया. कुल चार स्पेस वॉक में 29 घंटे, 17 मिनट स्पेस स्टेशन से बाहर बिताए. सुनीता विलियम्स हिंदू धर्म को मानती हैं और खास बात ये है कि पहले अंतरिक्ष दौरे में वो अपने साथ भगवद गीता की एक प्रति लेकर गईं थीं.

करीब छह साल बाद वो फिर अंतरिक्ष में गईं. इस बार कजाकिस्तान के बाइकानोर कॉस्मोड्रोम में उन्होंने रूस और जापान के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 14 जुलाई, 2012 को उड़ान भरी. चार महीने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर तमाम शोध किए, कुल 50 घंटे 40 मिनट की तीन स्पेसवॉक कीं, अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत की. 127 दिन बाद वो 18 नवंबर, 2012 को क़ज़ाख़स्तान में उतरीं. दूसरे अंतरिक्ष दौरे में सुनीता विलियम्स अपने साथ ओम का निशान, भगवान शिव की एक पेंटिंग और उपनिषद की कॉपी लेकर गईं.

पिछले साल जून में वो तीसरी बार अंतरिक्ष गईं और नौ महीने से ज्यादा समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर बिता चुकी हैं. अपने शानदार करियर में सुनीता विलियम्स को कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है. इनमें Defense Superior Service Medal , Legion of Merit, Navy Commendation Medal और Humanitarian Service Medal शामिल हैं.

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उनके पति माइकल जे विलियम्स, टैक्सस में फेडरल मार्शल हैं और एक पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट रह चुके हैं. फौज में रहने के दौरान 1987 में जब सुनीता विलियम्स हेलीकॉप्टर पायलट थीं तभी उनकी माइकल विलियम्स से मुलाकात हुई जो बाद में शादी में बदल गई. सुनीता विलियम्स के लौटने का इंतजार कर रहे माइकल विलियम्स शांत चित्त व्यक्ति हैं और सितंबर में उन्होंने सुनीता की काबिलियत पर विश्वास जताते हुए कहा था कि वो अंतरिक्ष में खुश हैं. दोनों का अपना कोई बच्चा नहीं है लेकिन अहमदाबाद से एक बच्ची को गोद लेने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं.

सुनीता विलियम्स जब अंतरिक्ष से लौटेंगी तो कुछ समय तक उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर में रहना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आदमी सबसे पहली बार चांद पर उतरा तो धरती पर वापस लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को क्वॉरंटीन में रखा गया. कोरोना महामारी के बाद से क्वॉरंटीन शब्द से लगभग हर व्यक्ति परिचित हो गया है. यानी किसी को अकेले ऐसी जगह रख दिया जाए जहां कोई और उसके संपर्क में न आ सके.

पहले अंतरिक्ष यात्रियों को किया जाता था क्वारंटीन

20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन से चांद पर गए अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग पहले इंसान बने जिन्होंने चांद पर कदम रखा. उनके बाद एडविन एल्ड्रिन ने चांद पर कदम रखे. इस दौरान तीसरे अंतरिक्ष यात्री माइकल कोलिंस कमांड मॉड्यूल कोलंबिया में ही रहे और करीब 21 घंटे तक अकेले चांज का चक्कर लगाते रहे. 24 जुलाई, 1969 को जब अपोलो 11 स्पेसक्राफ्ट प्रशांत महासागर में उतरा तो तीनों ही अंतरिक्ष यात्रियों को सबसे पहले एक क्वारंटीन होम में ले जाया गया जहां उन्हें 21 दिन तक अलग रखा गया.

दरअसल कोई अंतरिक्ष यात्री पहली बार धरती के अलावा किसी और आकाशीय पिंड के सीधे संपर्क में आए थे और तब इस बात की आशंका थी कि हो सकता है चांद की सतह पर वो किसी खतरनाक सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस या किसी अन्य अज्ञात तत्व के संपर्क में आ गए हों जो धरती पर बाकी लोगों के लिए भी खतरनाक हो सकता हो. क्वॉरंटीन में रखने के दौरान डॉक्टरों ने लगातार तीनों अंतरिक्ष यात्रियों पर निगाह रखी. एक अलग से बनाई गई टीम ने चांद से लाई गई चट्टान और धूल पर अलग अलग परीक्षण किए ये पता लगाने के लिए उनमें कोई ऐसी चीज तो नहीं है जो धरती पर रहने वाले जीवों के लिए ख़तरनाक हो सकती हो.

इसी दौरान नील आर्मस्ट्रॉन्ग का 39वां जन्मदिन भी आया जो क्वारंटीन में बड़े ही सामान्य तरीके से मनाया गया. उनकी सरप्राइज पार्टी में मोमबत्तियों से सजा एक केक काटा गया. इसे ह्यूस्टन में Lunar Receiving Laboratory जहां अब Johnson Space Center है वहां के स्टाफ ने तैयार किया. यहीं अंतरिक्ष यात्रियों को क्वॉरंटीन में रखा गया था. आर्मस्ट्रॉन्ग ने मोमबत्तियां बुझाने के बाद केक अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों और उनकी देखरेख में लगे स्टाफ को खिलाया. शीशे से बने पार्टिशन के उस पार दूसरे कमरे में इन अंतरिक्षयात्रियों की पत्नियों ने भी आर्मस्ट्रॉन्ग के जन्मदिन का जश्न बनाया.

अपोलो 12 और अपोलो 14 मिशन तक चांद से लौटे अंतरिक्ष यात्रियों को क्वॉरंटीन में रखा जाता रहा. एक बार वैज्ञानिकों को यकीन हो गया कि चांद से लौटे अंतरिक्ष यात्रियों के साथ ऐसी कोई चीज़ नहीं आई है जो धरती के लिए खतरनाक हो सके तो उन्हें क्वॉरंटीन में रखा जाना बंद कर दिया गया. 


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