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असम के डिटेंशन सेंटर की सुविधाओं से सुप्रीम कोर्ट नाराज, जवाब दाखिल करने को कहा

डिटेंशन सेंटर में उन लोगों को रखा जाता है जिनकी नागरिकता संदिग्ध रहती है


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने असम के डिटेंशन सेंटर में नागरिक सुविधा की कमी पर नाराजगी और असंतोष जताया है. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वहां रहने वालों के लिए समुचित पानी, बिजली, शौचालय और मेडिकल सुविधा का सर्वथा अभाव है. यह राज्य की बदतर स्थिति यानी सॉरी स्टेट बताता है. ये स्थिति असम लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सचिव की रिपोर्ट से सामने आई है.

डिंटेशन सेंटर में दुखद स्थिति

इन हिरासत केंद्रों में उन लोगों को रखा जाता है जिनकी नागरिकता संदिग्ध रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने असम के डिटेंशन सेंटर में पानी, उचित शौचालय और चिकित्सा सुविधाओं की कमी की “दुखद स्थिति” पर चिंता जताई है, जहां संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों को रखा गया है. पीठ ने असम के मटियाल में डिटेंशन सेंटर के बारे में असम विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की रिपोर्ट का हवाला दिया.

पीठ ने जवाब दाखिल करने को कहा

पीठ ने आदेश दिया कि हमें पता चला कि सुविधाएं बहुत खराब हैं, पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं है. उचित सफाई व्यवस्था नहीं है, उचित शौचालय नहीं हैं. रिपोर्ट में भोजन और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता का उल्लेख नहीं है. हम SLSA के सचिव को निर्देश देते हैं कि वे एक बार और दौरा करें, ताकि न केवल रिपोर्ट में उल्लिखित सुविधाओं का पता लगाया जा सके बल्कि भोजन की गुणवत्ता और मात्रा, रसोई में सफाई का भी पता लगाया जा सके. सचिव को 3 सप्ताह के भीतर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. केंद्र  निर्वासन के मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे.

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