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25 दिनों से अनशन कर रहे किसान नेता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना पंजाब की जिम्मेदारी: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि 25 दिनों से अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि उसे किसान नेता को अस्थायी अस्पताल में भर्ती कराने के बारे में फैसला लेना चाहिए, जहां उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके. गुरुवार को डल्लेवाल गिर पड़े और 8-10 मिनट तक बेहोश रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने यह चेतावनी उस घटना के एक दिन बाद दी. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी जान खतरे में है.

शुक्रवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से पूछा कि डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया, जो कि पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर उस स्थल से सिर्फ 700 मीटर की दूरी पर है जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

डल्लेवाल 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. वे किसानों की मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए अनशन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी भी शामिल है. गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि डल्लेवाल का इकोकार्डियोग्राम (ECG) और रक्त परीक्षण सहित अन्य टेस्ट किए गए हैं. उनका स्वास्थ्य स्थिर प्रतीत होता है.

पीठ ने कहा, “पंजाब सरकार को उन्हें (डल्लेवाल को) अस्पताल में भर्ती कराने के बारे में फैसला लेना चाहिए. उनके स्थिर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना पंजाब सरकार का संवैधानिक कर्तव्य और जिम्मेदारी है. उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जानी चाहिए और उसके अनुसार व्यवस्था की जानी चाहिए.”

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एडवोकेट जनरल सिंह ने अदालत को यह भी बताया कि पंजाब के मुख्य सचिव ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए डॉक्टरों का एक पैनल गठित किया है.

इसके बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 2 जनवरी तय की और पंजाब के मुख्य सचिव तथा अस्थायी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को उस तारीख तक हलफनामा पेश करने को कहा.

किसानों के एक जत्थे को 14 दिसंबर को तीसरी बार अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर अपना मार्च वापस लेना पड़ा. इस जत्थे में 101 किसान थे. उन पर आंसू गैस छोड़ी गई थी और पानी की बौछारें की गई थीं. इससे कम से कम 10 किसान घायल हो गए थे. छह दिसंबर और 8 दिसंबर को दो अन्य प्रयासों को भी इसी तरह असफल कर दिया गया था. इसके बाद किसानों ने 16 दिसंबर को हरियाणा और पंजाब के बीच शंभू सीमा पर ट्रैक्टर मार्च निकाला और 18 दिसंबर को पंजाब में ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन किया.

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