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एसिड अटैक पीड़ितों को समय पर मिले मुआवजा… सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी सेवा अधिकारियों को दिया आदेश


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक पीड़ितों के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज ना होने और मुआवजे में देरी पर सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कानूनी सेवा अधिकारियों को आदेश भी दिया है. इस आदेश में कहा गया है कि यदि निजी अस्पताल एसिड अटैक पीड़ितों को सहायता देने से मना करते हैं,तो उन्हें नोटिस में लाएं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुनिश्चित करें कि एसिड अटैक पीड़ितों को समय पर मुआवज़ा मिले.सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक पीड़ितों की याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने में केंद्र और राज्यों द्वारा की गई देरी पर नाराजगी जताई और कहा कि बहुत देर हो चुकी है. 

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है. आपको बता दें कि कोर्ट में यूपी, कर्नाटक, महाराष्ट्र, एमपी समेत 11 राज्यों ने जवाब दाखिल नहीं किया है. 

वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि एसिड अटैक की शिकार चार साल की बच्ची को आज तक पैसे नहीं मिले हैं और कई पीड़ितों को देरी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कोर्ट को आगे बताया कि कई निजी अस्पताल एसिड अटैक पीड़ितों को सहायता देने से मना कर रहे हैं. 

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सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा कि अगर पीड़ितों या याचिकाकर्ता को मुआवज़ा मिलने में देरी होती है, तो वे विधिक सेवा अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. मुआवज़े के भुगतान में किसी भी तरह की देरी या चूक को संज्ञान में लाया जाए. कानूनी सेवा प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ितों को निजी अस्पताल द्वारा उपचार से वंचित न किया जाए . 

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सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और 11 राज्यों को एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की बेंच ने राज्यों की लीगल सर्विस अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि निजी अस्पताल एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज से इनकार नहीं कर सकते. याचिकाकर्ता, एनजीओ एसिड सर्वाइवर्स साहस फाउंडेशन के वकील ने अदालत को एक ऐसे मामले के बारे में बताया जिसमें ढाई साल की बच्ची पर एसिड फेंका गया था, बच्ची अपनी मां के साथ सो रही थी.

सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि घटना की गंभीरता के बावजूद पीड़ितों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है.इसके अलावा, वकील ने यह भी कहा कि कुछ निजी अस्पताल अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें उन्हें ऐसे पीड़ितों को मुफ्त इलाज करने का निर्देश दिया गया था. 

कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निजी अस्पताल उसके निर्देशों का पालन करें. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मुआवजे में किसी भी तरह की देरी या चूक को अदालत के संज्ञान में लाया जाए.
केंद्र और राज्य सरकारों को जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने चार हफ्ते का समय दिया है. 


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