देश

पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने का मामला, उच्चतम न्यायालय ने लिया संज्ञान

वकील गौरव अग्रवाल जेलों में कैदियों की भीड़ से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता करेंगे.

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में कैद कुछ महिला कैदियों के गर्भवती होने के मामले पर शुक्रवार को संज्ञान लिया. मामले की जांच के लिए सहमति व्यक्त करते हुए, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल से इस मुद्दे को देखने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा.

यह भी पढ़ें

अग्रवाल जेलों में कैदियों की भीड़ से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे हैं. इससे पहले गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले को आपराधिक खंडपीठ को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. जेलों में कैदियों की अधिक संख्या पर 2018 में स्वत: संज्ञान मामले में अदालत ने न्याय मित्र के तौर पर वकील तापस कुमार भांजा को नियुक्त किया था. 

उन्होंने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इन मुद्दों और सुझावों वाला एक ज्ञापन दाखिल किया. पीठ में कहा गया कि न्यायमित्र ने दावा किया है कि हिरासत में महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की अलग-अलग जेलों में 196 बच्चे रह रहे हैं. 

तापस कुमार ने महिला कैदियों की जेल में पुरुष कर्मचारियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था. इस खंडपीठ में न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य भी शामिल थे. 

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

यह भी पढ़ें :-  अक्टूबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 11.7 प्रतिशत बढ़ा, 16 महीने का उच्चस्तर

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button