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न्यायिक अधिकारियों के संशोधित वेतन और पेंशन के पेमेंट के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

मध्यप्रदेश के इंदौर की जिला अदालत (प्रतीकात्मक फोटो).

खास बातें

  • राज्यों ने कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह या आंशिक रूप से पालन नहीं किया
  • आदेश का पालन न होने पर मुख्य सचिवों को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा
  • आदेश के अनुपालन का मतलब बकाया रकम सैलरी खातों में जमा होना है

नई दिल्ली :

देश भर की जिला अदालतों में वर्तमान न्यायिक अधिकारियों के वेतन और भत्तों में संशोधन और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के पेंशन भुगतान के मामले में CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान को लेकर दिए गए निर्देशों का अनुपालन न होने पर सख्त रुख अपनाया है. 

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पीठ ने आदेश दिया है कि ऐसी स्थिति में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट मे पेश होना पड़ेगा. कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के लिए संशोधित वेतन और बढ़ी हुई पेंशन पर पहले दिए गए आदेशों का पालन करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतिम अवसर दिया. 

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बावजूद कई राज्यों ने अदालत के निर्देशों का पूरी तरह या आंशिक रूप से पालन नहीं किया है. इस वजह से उन सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अवमानना के दायरे में हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें हमारे आदेश के अनुपालन के लिए आठ दिसंबर तक का अंतिम अवसर दिया जाता है. 

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हमारे आदेश के अनुपालन का मतलब बकाया रकम वास्तव में न्यायिक अधिकारियों के सैलरी खातों में जमा होना है, न कि सिर्फ आदेश जारी करना या कोई और बहाना.  

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट के बकाया वेतन के भुगतान के संबंध में पहले के निर्देशों के मुताबिक उनका अनुपालन 30 जुलाई 2023 तक पूरी तरह से प्रभावी होना था. रिटायर्ड न्यायिक अधिकारियों के पेंशन की दूसरी किस्त 31 अक्टूबर तक उनके खातों में जमा की जानी थी. लेकिन कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से इसका पालन नहीं किया गया. 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निचली अदालतों के जजों के बढ़े हुए वेतन और उनके भत्तों के भुगतान पर राज्य सरकारों द्वारा अमल नहीं किए जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है. इनमें निचली अदालतों के वेतनमान में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2022 के फैसले पर अनुपालन की गुहार भी लगाई गई है.

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