सीरिया: कुर्द सेनाएं, विद्रोही, आईएसआईएस कौन किससे लड़ रहा है?
नई दिल्ली:
सीरिया (Syria) के विद्रोही गुटों ने दावा किया है कि उन्होंने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. कई मीडिया आउटलेट्स ने विद्रोही ताकतों का हवाला देते हुए बताया कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं. ब्रिटेन स्थित युद्ध निगरानी संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, सीरियाई विद्रोही गुटों ने कहा कि विद्रोही लड़ाके रविवार तड़के दमिश्क घुस आए. इसके साथ ही लंबे समय तक चले गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद का नियंत्रण सीरिया से खत्म हो गया है. आइए जानते लंबे समय से चल रहे इस गृहयुद्ध में कौन किसे साथ दे रहा है. और किसकी क्या भूमिका रही है.
कुर्द सेना किसके खिलाफ लड़ रही है?
कुर्द सेना ने आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उसने आईएसआईएस के कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त करने में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ मिलकर काम किया है. तुर्की कुर्दों को अलगाववादी मानता है और सीरिया में कुर्द स्वायत्त क्षेत्र के गठन का विरोध करता है. तुर्की ने सीरिया में कुर्द बलों के खिलाफ कई सैन्य अभियान भी चलाए हैं. हालांकि सीरियाई सरकार और कुर्द दोनों ने आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, लेकिन उनके बीच भी अविश्वास और संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है. सीरियाई सरकार कुर्दों के स्वायत्त क्षेत्र को खत्म करना चाहती है.
कुर्द सेना क्या चाहती है?
- स्वायत्त क्षेत्र की मांग :कुर्द सेना का मुख्य उद्देश्य सीरिया के उत्तर-पूर्व में एक स्वायत्त कुर्द क्षेत्र स्थापित करना है.
- तुर्की के हस्तक्षेप का विरोध: कुर्द सेना तुर्की के हस्तक्षेप का विरोध करती है और अपने क्षेत्र की रक्षा करना चाहती है.
- आईएसआईएस का खात्मा: कुर्द सेना आईएसआईएस को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है.
- कुर्द सेना को मिलता रहा है अमेरिका का साथ: को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है, लेकिन अमेरिका ने हाल के वर्षों में अपना समर्थन वापस लेना शुरू कर दिया है.
सीरिया के संकट को ISIS ने बढ़ाया
सीरिया में आईएसआईएस की भूमिका बेहद विनाशकारी और विवादित रही. आईएसआईएस के कारण सीरिया को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. आईएसआईएस ने सीरिया और इराक में बड़े पैमाने पर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और उसने इन क्षेत्रों को मिलाकर एक इस्लामिक खलीफा राज्य घोषित किया था. आईएसआईएस के द्वारा बड़े स्तर पर नरसंहार किए गए थे. धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी आईएसआईएस के द्वारा प्रताड़ित किया गया. आईएसआईएस ने कब्जे वाले क्षेत्रों में तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर अपने वित्तीय संसाधन को काफी मजबूत कर लिया. \आईएसआईएस ने दुनिया भर में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है.
कौन-कौन से विद्रोही गुट हैं सक्रिय?
सीरिया में विद्रोही गुटों की संख्या काफी बड़ी है और समय के साथ इनकी संरचना और गठजोड़ में बदलाव भी होता रहा है. इन गुटों को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और बाहरी देशों का भी समर्थन मिलता रहा है. सीरिया में विद्रोही गुटों में भी कई तरह के आपसी फूट हैं. उनकी लड़ाई की वजहें और उद्देश्य भी अलग-अलग हैं. कुछ गुट बशर अल-असद शासन को उखाड़ फेंकना चाहते हैं, तो कुछ धार्मिक कारणों से लड़ रहे हैं.
कुछ प्रमुख विद्रोही गुट ये हैं
- हयात तहरीर अल-शाम (HTS): यह गुट अल-कायदा से जुड़ा हुआ माना जाता है और सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुटों में से एक है. इसने सीरिया के कई इलाकों पर नियंत्रण कर लिया है.
- सीरियन नेशनल आर्मी (SNA): तुर्की का समर्थन प्राप्त यह गुट सीरियाई विपक्ष का एक मजबूत समूह है. इसे विभिन्न छोटे गुटों का समर्थन प्राप्त है.
- अह्रार अल-शाम: यह एक इस्लाम विद्रोही गुट है, जो सीरिया में सक्रिय है.
- अल-नुसरा फ्रंट: यह गुट भी अल-कायदा से जुड़ा हुआ था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर हयात तहरीर अल-शाम कर दिया गया.
सीरिया में विद्रोहियों की क्या मांग है?
सीरिया में विद्रोहियों की मांगें समय के साथ और विभिन्न गुटों के अनुसार बदलती रही हैं. उनकी सबसे बड़ी मांग बशर अल-असद के शासन के शासन को खत्म करना रहा है. अधिकांश विद्रोही गुटों का मुख्य उद्देश्य बशर अल-असद को सत्ता से हटाना और एक नई सरकार स्थापित करना है. इसके लिए वो लंबे समय से लड़ाई लड़ लड़ रहे हैं. विद्रोही लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार की स्थापना चाहते हैं और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की मांग करते हैं. विद्रोही सरकार द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना चाहते हैं और सभी नागरिकों को बुनियादी अधिकार प्रदान करना चाहते हैं. कई विद्रोही गुट देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना चाहते हैं और देश को विभाजित होने से बचाना चाहते हैं. कुछ धार्मिक गुट इस्लामी शासन की स्थापना चाहते हैं और देश को इस्लामी कानून के अनुसार चलाना चाहते हैं.
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