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मुस्लिम आरक्षण की बात देश के संविधान पर हमला… किरेन रिजिजू और खरगे में राज्यसभा में तीखी नोकझोंक


नई दिल्ली:

संसद के दोनों सदनों में आमतौर पर विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष पर हमले देखने को मिलते हैं, लेकिन सोमवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया. मामला मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने और संविधान में संशोधन के कथित बयान को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा. राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों ने इस मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया.

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में कहा, “हमारी मंशा शून्यकाल में बाधा डालने की नहीं है, लेकिन यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, जिसे उठाना जरूरी है.” उन्होंने बताया कि एनडीए सांसदों ने उनसे मुलाकात कर इस मामले को सदन में लाने की मांग की थी. 

रिजिजू ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि एक संवैधानिक पद पर आसीन इस नेता ने दावा किया है कि वह मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने के लिए संविधान में बदलाव करेंगे. रिजिजू ने इसे हल्के में न लेने की बात कहते हुए जोड़ा, “अगर यह बयान कोई आम आदमी देता, तो उसका जवाब बाहर दिया जाता, लेकिन यह एक जिम्मेदार कांग्रेस नेता की ओर से आया है। यह संविधान पर सीधा हमला है. ”  

रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से सीधे सवाल करते हुए कहा, “खरगे जी, आप सदन में मौजूद हैं. कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट करें. आप मुस्लिम समुदाय को आरक्षण कैसे देंगे और संविधान में क्या बदलाव करने जा रहे हैं?”  

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जवाब में खरगे ने कांग्रेस का बचाव किया. उन्होंने कहा, “हमारा दल संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. सत्ता पक्ष इस मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है. हमारी नीति समावेशी विकास की रही है, न कि संविधान से छेड़छाड़ की.” उन्होंने कहा कि हमने संविधान को बचाने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा निकाली. संविधान को कोई खत्म नहीं कर सकता है. खरगे के जवाब के बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा और कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई.

कर्नाटक में 4 प्रतिशत आरक्षण का क्या है मुद्दा? 
कर्नाटक में 4 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है.  हाल ही में कांग्रेस सरकार ने सरकारी ठेकों और आपूर्ति में मुस्लिम समुदाय के लिए 4% आरक्षण की घोषणा की थी, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है. इससे पहले 2023 में, बीजेपी सरकार ने मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटे के तहत 4% आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था और इसे वोकलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांट दिया था. 

कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद इसे पलटने का वादा किया था और अब इस फैसले को लागू किया है. सरकार का तर्क है कि यह कदम अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए जरूरी है, लेकिन विपक्षी बीजेपी ने इसे वोटबैंक की राजनीति और तुष्टिकरण करार दिया है. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह संविधान के खिलाफ है और कांग्रेस की सोच को उजागर करता है. वहीं, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बीजेपी पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. 

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