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तमिलनाडु सरकार को ‘ब्लैकमेल’ किया जा रहा है…तीन भाषा फॉर्मूला पर बोले स्टालिन के सांसद


नई दिल्ली:

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एक सदस्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के जरिये देशभर में ‘त्रिभाषा फॉर्मूला’ लागू किये जाने का विरोध करते हुए सोमवार को लोकसभा में सवाल किया कि क्या उत्तर भारत के सांसद हिंदी के अलावा किसी और भाषा में बातचीत कर सकते हैं. द्रमुक सदस्य के. वीरास्वामी ने आरोप लगाया कि नयी शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा फॉर्मूला लागू कराने के लिए तमिलनाडु सरकार को ‘ब्लैकमेल’ किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम 2,152 करोड़ रुपये की निधि आवंटित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार को त्रिभाषा फॉर्मूला लागू करने की आड़ में ‘ब्लैकमेल’ किया जा रहा है. हालांकि, हमारे मुख्यमंत्री (एम.के. स्टालिन) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि आप 10,000 करोड़ रुपये भी देंगे तो भी हम त्रिभाषा फॉर्मूला लागू नहीं करेंगे.”

द्रमुक सदस्य ने कहा कि आप त्रिभाषा फॉर्मूला पूरे देश में लागू करने की बात करते हैं लेकिन उत्तर भारत के ज्यादातर सांसद हिंदी के अलावा अंग्रेजी क्यों नहीं बोलते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानना चाहता हूं कि इस संसद में मौजूद कोई भी उत्तर भारतीय (संसद सदस्य) हिंदी के अलावा क्या किसी और भाषा में बातचीत कर सकते हैं.”

वीरास्वामी ने कहा, ‘‘वे त्रिभाषा नीति की बात करते हैं, हिंदी के अलावा कोई भाषा नहीं बोलते और दक्षिण भारत में हमसे त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाने की उम्मीद करते हैं. मुझे लगता है कि यह खासतौर पर छात्रों के साथ अनुचित व्यवहार है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कुछ और नहीं, बल्कि ‘कर आतंकवाद’ बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कारोबारियों को धमका कर (जीएसटी के नाम पर) पैसा वसूला जा रहा है और करदाताओं से असंवैधानिक तरीके से ‘लूटा’ हो रही है.”
 

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