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"बिलों को मंजूरी देने में जानबूझकर देरी": राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

एमके स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि (फाइल फोटो)

तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि (Tamilnadu Government RN Ravi) के बीच एक बार फिर से टकराव देखने को मिला है. पिछले कुछ महीनों से दोनों के बीच टकराव जारी है. अब सरकार बिलों में देरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सरकार ने राज्यपाल आरएन रवि पर जानबूझकर मंजूरी के लिए भेजे गए बिलों में देरी करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सरकार ने अदालत से अपील की है कि  राज्यपाल को एक निश्चित समय सीमा में विधेयकों पर सहमति देने या उनका निपटान करने का निर्देश दिया जाए.

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CM स्टालिन-राज्यपाल के बीच फिर टकराव

ये पहली बार नहीं है जब सीएम और राज्यपाल के बीच किसी मुद्दे पर टकराव हुआ है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल रवि लंबित विधेयकों, स्टालिन की विदेश यात्राओं, सरकार के द्रविड़ मॉडल और राज्य के नाम पर उनकी टिप्पणियों पर भिड़ चुके हैं. 

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने अनुरोध में दावा किया है कि राज्य विधानसभा द्वारा भेजे जा रहे बिलों और आदेशों को राज्यपाल समय पर मंजूरी नहीं दे रहे हैं. सरकार ने कहा कि बारह विधेयक, चार अभियोजन मंजूरी और 54 कैदियों की समयपूर्व रिहाई से संबंधित फाइलें फिलहाल राज्यपाल रवि के पास लंबित पड़ी हैं. स्टालिन सरकार ने राज्यपाल पर “लोगों की इच्छा को कमज़ोर करने” और “औपचारिक प्रमुख के पद का दुरुपयोग” करने का भी आरोप लगाया.

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‘तमिझगम’ को लेकर भी हुआ था विवाद

बता दें कि तमिलनाडु के राज्यपाल रवि ने इस साल 4 जनवरी को चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी टिप्पणी से राज्य के नाम पर बहस छेड़ दी थी. उन्होंने कहा था, “तमिलनाडु को लेकर अलग तरह की सोच बन गई है. जब भी कुछ पूरे देश पर लागू होता है, तो तमिलनाडु उसे करने के लिए ‘नहीं’ कहता है. यह एक आदत बन गई है.” इसके साथ ही उन्होंने तमिलनाडु को ‘तमिझगम’ कहकर संबोधित किया था. राज्यपाल के इस बयान के बाद तमिलनाडु सरकार ने इसका जमकर विरोध किया था. जिसके बाद राज्यपाल ने सफाई देते हुए कहा था कि यह सोचना गलत है कि उन्होंने तमिलनाडु का नाम बदलने का सुझाव दिया था. 

जनवरी में ही एक बार विवाद तब हुआ जह राज्यपाल आरएन रवि ने सरकार द्वारा तैयार भाषण के कुछ अंशों को छोड़ दिया था. जिसके बाद सीएम स्टालिन ने उन पर भाषण के अंशों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए गुस्सा जाहिर किया था. दरअसल भाषण के जिस हिस्से में तमिलनाडु को शांति का स्वर्ग बताया गया था और द्रविड़ियन मॉडल की बात कही गई थी. साथ ही धर्मनिरपेक्षता वाले अंशों को भी राज्यपाल ने भाषण में नहीं पड़ा था. सीएम स्टालिन ने इस पर गुस्सा जताया था. 

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