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'बरी नहीं हुए हैं आरोपी', सुशांत सिंह केस की क्लोजर रिपोर्ट पर बोले दिशा सालियान के पिता के वकील

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में सीबीआई ने शनिवार को क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी. 4 साल की जांच के बाद सीबीआई ने सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से जुड़े दो मामलों को बंद किए. सीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के लिए किसी ने फोर्स नहीं किया. हालांकि सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट ने नई बहस को जन्म दे दिया है. अब रविवार को इस मामले में सुशांत सिंह की मैनेजर रही दिशा सालियान के पिता के वकील नीलेश सी ओझा ने कहा कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि आरोपी बरी हो गए हैं. 

‘क्लोजर रिपोर्ट का मतलब यह नहीं कि आरोपी बरी हो गए’

दिशा सालियान के पिता के वकील नीलेश सी ओझा ने सीबीआई के कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्लोजर रिपोर्ट से आरोपी स्वतः ही दोषमुक्त नहीं हो जाते और आगे की जांच का आदेश अभी भी दिया जा सकता है. ओझा ने इस बात पर जोर दिया कि सुशांत राजपूत से संबंधित मामलों में सीबीआई द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट का मतलब यह नहीं है कि आरोपी दोषमुक्त हो गए हैं.

दिशा सालियान की मौत मामले में नई याचिका हुई दाखिल

मालूम हो कि सुशांत सिंह राजपूत की मैनेजर रहीं दिशा सालियन की मौत के मामले में भी बीते दिनों एक नया मोड़ आया है. दिशा के पिता ने मुंबई हाई कोर्ट में फिर से याचिका दाखिल की है और आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा गठित एसआईटी इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं कर रही है.

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दिशा के पिता ने नई याचिका में कुछ नए नामों को जोड़ा है और इन नामों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह राजनीति से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि उन्हें बस अपनी बेटी को न्याय चाहिए.

दिशा सालियन के पिता के वकील निलेश ओझा ने कहा है कि सीबीआई द्वारा सुशांत सिंह राजपूत मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई है, लेकिन इसका दिशा के मामले से कोई लेना-देना नहीं है. 

सुशांत और दिशा का केस अलग

ओझा ने आगे बताया कि दिशा के मामले में सीबीआई ने पहले ही स्पष्ट किया था कि उन्होंने दिशा के केस की जांच नहीं की थी, क्योंकि यह मामले अलग थे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में राजनीति से बचना चाहिए और केवल कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए.

दिशा सालियान की मौत मामले में आदित्य ठाकरे पर लग रहे आरोप

वकील ने यह भी आरोप लगाया कि आदित्य ठाकरे और उनके सिंडिकेट ने इस मामले में एक साजिश रची और दिशा की मौत को सुसाइड के रूप में पेश किया. ओझा ने सवाल किया कि दिशा के शव पर खून का कोई निशान नहीं था और ना ही उसके शरीर की कोई हड्डी टूटी थी. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आदित्य ठाकरे और उनके साथियों का उस दिन उस स्थान पर होना सिद्ध हो सकता है या नहीं.

सही तरीके से कार्रवाई करती तो दिशा को मिलता न्याय

निलेश ओझा ने इस पूरे मामले को संवेदनशीलता के साथ देखने की अपील की और यह कहा कि अगर दिशा के पिता ने जो आरोप लगाए हैं, वे गलत साबित होते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार और एसआईटी सही तरीके से कार्रवाई करती, तो दिशा के मामले में न्याय मिल सकता था.

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