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NDA की परीक्षा में 5 बार फेल होने से लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने तक का इस नेवी अफसर का अचंभित करने वाला सफर


नई दिल्ली:

आप या हम एक दिन में कितनी दूर तक दौड़ सकते हैं या फिर चल सकते हैं? अधिक से अधिक 5-10 किलोमीटर बस चल ही सकते हैं..दौड़ नहीं सकते. नियमित दौड़ने वाले भी 10-15 किलोमीटर ही दौड़ सकते हैं. लेकिन अगर कोई शख्स रोजाना 42 किलोमीटर दौड़े, और वह भी एक दिन या दो दिन नहीं बल्कि निरंतर 82 दिनों तक, तो इसे आप क्या कहेंगे? नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर देवदत्त शर्मा ने यह असंभव लगने वाला काम संभव कर दिखाया और अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करा लिया.

भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर देवदत्त शर्मा दुनिया के इकलौते ऐसे इंसान हैं जिन्होंने 82 दिन में 82 मैराथन पूरी की हैं, यानी एक दिन में 42 किलोमीटर की दौड़. उनके इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है.

हरियाणा के हिसार के खरबला गांव के रहने वाले देवदत्त एक साधारण किसान परिवार में जन्मे. उनके पिता का जब निधन हुआ तब उनकी उम्र सिर्फ 10 साल थी. सरकारी स्कूल में उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई. वे पढ़ने के साथ-साथ खेती-बाड़ी और जानवरों की देखभाल भी किया करते थे. उन्होंने 10 वीं की परीक्षा अच्छे नंबरों के साथ उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिए हिसार पहुंच गए. वहां 11 वीं कक्षा में उनके नंबर बहुत कम आए, हालांकि आगे 12 वीं की परीक्षा में कुछ ठीक नंबर आ गए. उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में जाने की पांच बार कोशिशें कीं लेकिन लगातार निराशा ही हाथ लगी. वे आईआईटी, AIEEE और ट्रिपल आईआईटी के इंट्रेंस एक्जाम में भी असफल हुए. आखिरकार उन्होंने परिवार की सलाह पर प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया. यहां से देवदत्त शर्मा की जिंदगी ने यू टर्न लिया. 

पहला कदम- समय का सदुपयोग करना
उन्होंने अपनी कमजोरियों पर फोकस किया और ठान लिया कि वे फौज का एग्जाम क्रेक करेंगे. उनका सबसे अहम कदम था समय का सदुपयोग करना. वे सुबह चार बजे उठने से लेकर रात के दस बजे सोने तक के एक-एक मिनट का हिसाब रखने लगे और इसी हिसाब से प्लान बनाकर तैयारी शुरू की. नतीजे धीरे-धीरे सामने आने लगे. वे कॉलेज की हर प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल करने लगे. 

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उन्होंने सन 2016 में नौसेना में सब लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन लिया और अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहे. अचानक एक दिन उनके हाथ एक किताब लगी जिसका शीर्षक था ‘फिफ्टी मैराथन इन फिफ्टी डेज’. देवदत्त ने एक ही बार में पूरी किताब पढ़ डाली. उनको लगा कि जब कोई और ऐसा कर सकता है तो मैं क्यों नहीं? 

सीनियर अफसर ने किया प्रेरित
इससे पहले लेफ्टिनेंट कमांडर देवदत्त शर्मा ने मैराथन की कोई प्रैक्ट्रिस नहीं की थी. हां, कुछ करने का जुनून जरूर था. उन्होंने नौसेना के युद्धपोत पर दौड़ने का अभ्यास शुरू कर दिया. अपने सीनियर अधिकारी को उन्होंने बताया कि वह 30 दिन मैराथन करना चाहते हैं. नौसेना के ही एक अधिकारी ने उनसे कहा कि आप जब 30 दिन लगातार 42 किलोमीटर दौड़ सकते हैं तो आप 35 दिन लगातार क्यों नहीं दौड़ते हैं. इससे आप 35 दिन बाद 1500 किलोमीटर दौड़ लेंगे. 

इस तरह देवदत्त ने भारतीय नौसेना के इकलौते रनिंग अभियान को अंजाम दिया और 35 दिन में 35 मैराथन पूरी कीं. इन 35 दिनों में केवल दौड़ना ही काम नहीं था, वे हर रोज स्कूलों में जाकर बच्चों को मोटिवेशनल स्पीच देते थे. उन्होंने 35 दिनों में 70 से ज्यादा स्कूलों और कॉलेजों में मोटिवेशनल भाषण दिए. बच्चों को समय देने के कारण उन्हें दोपहर में खाने का वक्त नहीं मिलता था. उस दौरान पैर में भयंकर दर्द भी हुआ, लेकिन फिर भी उन्होंने मैराथन पूरी की. 

रोज 42 किलोमीटर की दौड़ के बाद ड्यूटी
इसी बीच बच्चों से बातचीत के दौरान कुंजपुरा के सैनिक स्कूल में उन्होंने बोल दिया कि हमारे कदम यहीं नहीं  रुकेंगे, बल्कि अब 75 दिन में 75 मैराथन करेंगे. यह बहुत मुश्किल काम था. केवल मैराथन ही नहीं करना था, साथ में नेवी की ड्यूटी भी करनी थी. लेकिन देवदत्त ने जब कुछ करने का ठान लिया तो फिर पीछे हटना कभी सीखा ही नहीं था. वे रोज सुबह ढाई बजे उठ जाते और तीन बजे से आठ बजे तक 42 किलोमीटर की रनिंग करते. फिर नौ बजे से अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाते. 

कहा जाता है जब दृढ़ इच्छाशक्ति वाला इंसान कोशिश करता है तो फिर हारने का सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने लगातार 82 दिन में 82 मैराथन पूरे करके नौसेना और देश का मान बढ़ाया. उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में ऐसा कारनामा अपने  नाम कर लिया जिसे जल्द तोड़ना संभव नहीं लगता. 

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अब 365 दिन में 365 मैराथन का लक्ष्य
देवदत्त शर्मा ने अपने लिए एक और टारगेट तय कर लिया है- 365 दिन में 365 मैराथन… यानी पूरे साल बिना रुके रोजाना 42 किलोमीटर दौड़ना. फिलहाल इस मिशन से पहले देवदत्त 365 दिन लगातार हाफ मैराथन दौड़ने के अभियान में जुटे हैं. आज 77 वां दिन था जब उन्होंने रोज 21 किलोमीटर दौड़ लगाई है. यह दौड़ 365 दिन तक लगातार जारी रहेगी. यह दौड़ बड़े अभियान के लिए एक तैयारी है. रोज सुबह सात बजे उनकी दौड़ खत्म होती है. 

जब The Hindkeshariने उनसे पूछा कि क्या खाते हैं, जिससे इतना दौड़ने के लिए स्टेमिना बनी रहती है? उन्होंने कहा कि, ”मैं तो बस उबला हुआ खाना खाता हूं. फल और सलाद जमकर खाता हूं. तला हुआ कुछ भी नहीं खाता हूं. कोल्ड ड्रिंक्स और जंक फूड से कोसों दूर रहता हूं. वे युवाओं के लिए कहते हैं कि युवा अपना हर रोज एक घंटा  अभ्यास करें. शॉर्ट टर्म गोल को छोड़कर लॉन्ग टर्म गोल चुनें. अपने आदर्शों का चुनाव अच्छे तरीके से करें. आपके आदर्श ऐसे होने चाहिए जो खुद की जिंदगी को तो अच्छा कर ही रहे हों, साथ ही साथ दूसरों की जिंदगी सुधारने के लिए समाज कल्याण में योगदान भी दे रहे हों. अनुशासन, संयम और निरंतर प्रयास… इनका कोई दूसरा विकल्प  नहीं है. इसी के बलबूते पर आप एक सफल जिंदगी जी सकते हैं. ”

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तुरंत सफलता की तरफ न भागें युवा
उन्होंने कहा कि, ”तुरंत सफलता की तरफ मत भागो. सफलता प्राप्त करने का जो तरीका है, जो प्रक्रिया है, उस पर ध्यान दें, क्योंकि जैसा हम सब जानते हैं कि शेर का बच्चा शिकार सीखने के लिए समय लगाता है.. हाथी का बच्चा हाथी बनने के लिए समय लगाता है, इसी तरह हमें एक अच्छा और कामयाब इंसान बनने के लिए समय चाहिए और समय हमें देना होगा. अगर आप सफलता के कदम छू लेते हैं तो आप अपने धरातल से जुड़े रहें, अपने गांव से जुड़े रहें, अपने गांव के लोगों से जुड़े रहें और उनका मार्गदर्शन करें. जो लोग काबिल हैं उन लोगों की मदद अवश्य करें, तभी हम अपने हिंदुस्तान को एक सशक्त और शक्तिशाली राष्ट्र बना सकते हैं.”

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