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DMF Scame- टेंडर घोटाले में बड़ा खुलासा: कोरबा में कलेक्टर रहते रानू साहू ने राज्य सरकार के खजाने काे लगाया करोड़ों का चूना….

तत्कालीन राजस्व मंत्री ने उठाया था मामला

कांग्रेस शासनकाल के दौरान राजस्व मंत्री व कोरबा के विधायक जय सिंह अग्रवाल ने कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के खिलाफ सबसे पहले मोर्चा खोला था। जय सिंह अग्रवाल ने डीएमएफ में बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की थी। जय सिंह ने रानू साहू को कोरबा कलेक्टर के पद से हटाने के लिए दबाव भी बनाया था।

रानू व माया का गठजाेड़, सरकारी खजाने को जमकर लूटा

रानू साहू और माया वारियर का गजब का गठजोड़ था। डीएमएफ घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अफसरों ने रानू साहू व माया वारियर सहित अन्य आरोपियों की 23.79 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया था। इसमें 21.47 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति पाया गया था। यह संपत्ति DMF घोटाले से अर्जित की गई ब्लैक मनी से खरीदी गई थी।

कमीशनखोरी का तरीका भी अलग-अलग

डीएमएफ फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। टेंडर भरने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।

टेंडर हासिल करने के लिए ठेकेदारों ने अफसरों और नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है। यह राशि ठेके का 25% से 40% तक था। इसमे कई आपत्तिजनक विवरण,फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। 8 बैंक खाते सीज किए। इन खातों में 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।

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घोटाले के आरोपी जो हैं जेल में

छत्तीसगढ़ DMF घोटाला मामले में निलंबित IAS रानू साहू, छत्तीसगढ़ राज्य सेवा अधिकारी माया वॉरियर, NGO के सेक्रेटरी मनोज कुमार द्विवेदी रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। 4 आरोपियों में राधे श्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया है।ED प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया।

कोरबा में डीएमएफ घोटाले की शुरुआत 2021-22 से हुई। यह वह दौर था जब रानू साहू कोरबा कलेक्टर के पद पर काबिज थी। कारोबारी मनोज द्विवेदी ने तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू से संपर्क किया। कलेक्टर की सहमति के बाद मनोज ने अन्य अफसरों को अपने साथ मिला लिया। जब सब-कुछ कारोबारी मनोज द्विवेदी के अनुकूल हो गया तब 2021-22 और 2022-23 में मनोज ने अपने NGO उदगम सेवा समिति के नाम पर कई DMF ठेके ले लिया।

मनोज ने ठेके हथियाने के लिए दरियादिली भी दिखाई। कमीशनखोर अफसरों का बकायदा कमीशन बांध दिया। अधिकारियों को 42 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया। यही नहीं प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है।

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