सबसे बड़ी चुनौती टेक्नोलॉजी को समझना नहीं बल्कि … : एआई के दौर में शिक्षकों की भूमिका पर बोले मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली:
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड के शिक्षकों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में शिक्षकों की भावी भूमिका पर की बात की. सिसोदिया ने कहा कि एआई के युग में स्कूलों की सबसे अहम भूमिका बच्चों को यह सिखाने की होगी कि वे अपने साथियों के साथ कैसे रहें? साथ ही सिसोदिया ने कहा कि मशीनों के इस दौर में पढ़ाई-लिखाई में भावनाओं को समझना, दूसरों का दर्द महसूस करना और सबके साथ मिलकर रहना सबसे जरूरी होगा.
सिसोदिया ने कहा कि एआई जिस तेजी से दुनिया को बदल रही है, उसमें स्कूलों को अब सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि बच्चों को दूसरों के साथ अच्छे से जीना सिखाना होगा. आने वाले वक्त में सबसे बड़ी चुनौती टेक्नोलॉजी को समझना नहीं, बल्कि अपने आप से, दूसरों से और प्रकृति से सही तालमेल बिठाना होगा. शिक्षकों को बेहतर बनाने का काम करने वाले एक मशहूर एनजीओ के शिक्षकों से बातचीत में मनीष सिसोदिया ने कहा कि एआई की वजह से दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. ऐसे में अब शिक्षक का पुराना रोल, जो बस किताबी ज्ञान देने का था, वह खत्म हो रहा है.
एआई बहुत कुछ कर सकता है, लेकिन…: सिसोदिया
उन्होंने देश के करोड़ों बच्चों और लाखों शिक्षकों को लेकर कहा कि इतने बड़े और अलग-अलग तरह के शिक्षा सिस्टम में एआई बहुत कुछ कर सकता है, लेकिन संदर्भ, नैतिकता, भावनात्मक साथ और जिंदगी का अनुभव जैसी चीजें सिर्फ शिक्षक ही दे सकते हैं. वह कोई मशीन नहीं दे पाएगी. अब स्कूलों का मकसद किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों का चरित्र बनाना, उनकी सोच को नया रंग देना, सबके साथ काम करना और दूसरों का ख्याल रखना और सिखाना होना चाहिए.
बच्चे आसपास की दुनिया का ख्याल रखना सीखें: सिसोदिया
पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब शिक्षकों को बच्चों को सही सवाल पूछना सिखाना चाहिए, जवाब देने की चिंता न करें. जवाब तो एआई भी दे देगा. शिक्षकों को बच्चों को ऐसे सवाल सिखाने चाहिए जो जिंदगी, नैतिकता और समाज से जुड़े हों.
मनीष सिसोदिया ने शिक्षकों की ट्रेनिंग को लेकर कहा कि शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाने का तरीका नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी, नैतिकता, मनोविज्ञान और भावनाओं को समझने की ट्रेनिंग भी चाहिए. साथ ही कहा कि क्लासरूम ऐसे बनाएं जहां बच्चे मिलकर काम करना, सही तरीके से डिबेट करना, अपनी भावनाओं को काबू करना और अपने आसपास की दुनिया का ख्याल रखना सीखें.