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'वसूला जाए मुआवजा…' : चमड़ा केंद्र के रूप में जाने वाले तमिलनाडु के वेल्लोर में जल प्रदूषण को लेकर SC

(फाइल फोटो)


नई दिल्ली:

भारत के चमड़ा केंद्र के रूप में जाने जाने वाले तमिलनाडु के वेल्लोर में जल प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुपचारित या आंशिक रूप से उपचारित अपशिष्ट को छोड़ने से अपरिवर्तनीय क्षति हुई है और पर्यावरण क्षरण ने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला गया है. इस प्रकार चमड़ा उद्योग के कर्मचारियों ने पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन किया है.

प्रभावित लोगों को मुआवजा दे राज्य सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस वजह से प्रभावित हुए लोगों को राज्य सरकार को मुआवजा देना चाहिए. कानून के तहत प्रदूषण फैलाने वालों से इस मुआवजे को वसूला जाना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्वच्छ पर्यावरण के रखरखाव के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के लिए भी कहा. सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि चार हफ्ते में आदेशों का पालन किया जाना चाहिए वरना तमिलनाडु नहीं तिहाड़ भेजेंगे.

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने तमिलनाडु में पलार नदी में चमड़ा उद्योग द्वारा अनुपचारित अपशिष्ट को छोड़ने से संबंधित एक मामले में यह आदेश पारित किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण तब तक जारी रहने वाला दोष है जब तक इसे उलटा नहीं किया जाता और इसलिए समिति द्वारा क्षेत्र में पर्यावरण की स्थिति का समय-समय पर आकलन किया जाना चाहिए.

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पीठ ने दिया ये निर्देश

पीठ ने आगे निर्देश दिया कि, “प्राधिकरण द्वारा दिया गया कोई भी लाइसेंस कानून का उल्लंघन नहीं कर सकता. उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की पुष्टि की जाती है.  मामले को अनुपालन के लिए 4 महीने बाद सूचीबद्ध किया जाए”. फैसला सुनाने के बाद जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा, “इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर हम आपको तमिलनाडु की बजाय तिहाड़ जेल भेज देंगे.” ये जस्टिस महादेवन द्वारा दिया गया एक पथप्रदर्शक फैसला है.


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