श्यामा प्रसाद मुखर्जी से राम माधव तक, बीजेपी के ‘मिशन कश्मीर’ की पूरी कहानी

फिर 5 अगस्त 2019 आया और केंद्र की मोदी सरकार ने धारा 370 को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया. गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर में सुरक्षा के जबर्दस्त इंतजाम किए थे. पीएम मोदी ने तब देश को संबोधित करते हुए कहा था, “मेरे प्यारे देशवासियों, एक राष्ट्र के तौर पर, एक परिवार के तौर पर, आपने, हमने, पूरे देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. एक ऐसी व्यवस्था, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे, जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी, वो अब दूर हो गई है. जो सपना सरदार पटेल का था, बाबा साहेब अंबेडकर का था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो अब पूरा हुआ है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है. अब देश के सभी नागरिकों के हक भी समान हैं, दायित्व भी समान हैं. मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को, लद्दाख के लोगों को और प्रत्येक देशवासी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.”
पीएम मोदी ने किया था वादा

पीएम मोदी ने आगे कहा, “अभी केंद्र शासित प्रदेशों में, अनेक ऐसी वित्तीय सुविधाएं जैसे LTC, House Rent Allowance,बच्चों की शिक्षा के लिए Education Allowance, हेल्थ स्कीम, जैसी अनेक सुविधाएं दी जाती हैं, जिनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों को नहीं मिलती. ऐसी सुविधाओं का review कराकर, जल्द ही जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों और वहां की पुलिस को भी ये सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. साथियों, बहुत जल्द ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सभी केंद्रीय और राज्य के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इससे स्थानीय नौजवानों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे. साथ ही केंद्र सरकार की पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और प्राइवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भी रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के लिए, प्रोत्साहित किया जाएगा. इसके अलावा, सेना और अर्धसैनिक बलों द्वारा, स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए रैलियों का आयोजन किया जाएगा. सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना का भी विस्तार किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके.” इसके साथ ही पीएम मोदी ने विकास की नई इबारत लिखने का वादा किया.
ऐसा लोकतंत्र कभी नहीं दिखा

2019 से 2024 के बीच पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में विकास के काम करने में कोई कोताही नहीं की. कश्मीर में बंदूकों की जगह सूफी संगीत सुनाई देने लगा है. आतंकवाद अब आखिरी सांसें ले रहा है. लोगों का सरकार पर भरोसा बढ़ा है. लोकतंत्र में भरोसा बढ़ा है. तभी तो नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसे दल जो शुरूआत में राज्य का दर्जा मिलने और 370 की वापसी तक चुनाव नहीं लड़ने की बातें करते थे, अब चुनाव लड़ रहे हैं. यहां तक की जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. हालांकि, प्रतिबंधों के कारण उसके उम्मीदवार निर्दलीय ही चुनाव में उतरेंगे. इस संगठन ने अंतिम बार साल 1987 के विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था. उसके बाद से लगातार इसकी तरफ से चुनाव का बहिष्कार होता रहा है. साल 2019 में देश विरोध गतिविधियों के कारण केंद्र सरकार ने इस संगठन पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगा दिया था. 27 फरवरी 2024 को केंद्र सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध को अगले 5 साल तक के लिए बढ़ा दिया था. भाजपा के विकास कार्यों का ही नतीजा है कि एक समय जिस पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए कश्मीर में प्रत्याशी नहीं मिलते थे, अब उसी पार्टी से टिकट पाने के लिए झगड़े हो रहे हैं. अभी हाल में जब भाजपा ने उम्मीदवारों की सूची जारी की तो कार्यकर्ताओं ने बवाल काट दिया. अंतत: सूची वापस लेनी पड़ी. भाजपा के लिए यह सिर्फ एक चुनाव नहीं है, बल्कि उसकी वर्षों की मेहनता की सबसे बड़ी परीक्षा है. राम मंदिर से भी पहले 370 भाजपा और जनसंघ के एजेंड में सबसे पहले थी. 370 हटने के बाद अब देखना यह है कि क्या भाजपा जम्मू कश्मीर के लोगों का दिल जीत पाती है?