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"फ्री पास के दिन खत्म": अमेरिका में Meta पर मुकदमा होने पर बोले IT मंत्री राजीव चंद्रशेखर

अमेरिकी फेडरल लॉसूट में मेटा पर आरोप लगाया गया है कि युवा यूजर्स के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के बावजूद प्लेटफार्म पर बिताए जाने वाले समय को अधिकतम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मेटा पर एक बिजनेस मॉडल बनाकर “शोषण” करने का आरोप लगाया गया है.

शिकायत में कहा गया है कि, “शोध से पता चला है कि युवाओं द्वारा मेटा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का उपयोग अवसाद, चिंता, अनिद्रा, शिक्षा और दैनिक जीवन में हस्तक्षेप और कई अन्य नकारात्मक परिणामों से जुड़ा है.”

राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “दुनिया ने इन प्लेटफार्मों पर मुफ्त में जाने की छूट दी है. विशेष रूप से अमेरिका, और अब चीजों पर दोबारा विचार करने का समय आ गया है.”

उन्होंने कहा, “प्लेटफॉर्म को और अधिक जवाबदेह होना चाहिए. सामग्री को होस्ट करने की अनुमति किसे है. मुझे लगता है कि यह मुफ्त पास और छूट के दिन खत्म हो गए हैं. हमारी सरकार का भी यही इरादा है.”

भारत सरकार अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेगी? इस सवाल पर चंद्रशेखर ने कहा, “हम आशा करते हैं कि सभी प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करेंगे. उन्हें आईटी नियमों के तहत नोटिस भेजे जाते हैं. यदि वे जवाब नहीं देते हैं, तो कानून के तहत नतीजे सामने आएंगे. इसके लिए जीरो-टॉलरेंस की पॉलिसी है.”

फेसबुक व्हिसलब्लोअर, फ्रांसिस हाउगेन द्वारा आंतरिक दस्तावेज लीक करने के बाद मेटा अमेरिकी जांचकर्ताओं की नजर में आया, जिससे आलोचना हुई कि सोशल मीडिया दिग्गज ने अपने यूजरों की सुरक्षा से पहले लाभ को प्राथमिकता दी है. आरोप लगाया गया है कि फेसबुक टॉक्सिक कंटेंट को कम करने में विफल रहा है और इस बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह अपने तरीकों को बदलेगा.

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बच्चों और किशोरों की मानसिक सेहत खराब करने का आरोप

अमेरिका के राज्यों ने मेटा पर ‘लाइक्स’ की लत लगाकर बच्चों व किशोरों की मानसिक सेहत खराब करने का आरोप लगाया है. कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, कोलाराडो जैसे राज्यों ने कैलिफोर्निया की उत्तरी जिला अदालत में मुकदमा दायर किया है. आरोप है कि कंपनी ने जानबूझकर कई ऐसे फीचर तैयार किए हैं, जिससे बच्चों को लाइक्स की लत लग जाए. इससे उनके कॉन्फिडेंस में कमी आ रही है.

सोशल मीडिया की दुनिया से नए-नए सब्सक्राइबर हर पल जुड़ रहे हैं. बच्चों पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर अमेरिका के 33 राज्यों ने मेटा के खिलाफ मुकदमा कर दिया है.

इसके बाद भारत में इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि सोशल मीडिया के गलत प्रभाव को कैसे रोका जा सकता है.

ज्यादा ट्रांसपेरेंसी की जरूरत

कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा कि, बच्चों को वर्चुअल और रियल दुनिया के बीच फर्क नहीं होता इसीलिए प्रभावित हो जाते हैं. यह पहली बार है कि लीगल कार्रवाई इस प्लेटफार्म के खिलाफ हो रही है. इन प्लेटफॉर्मों को भी ज्यादा ट्रांसपेरेंसी लाने की जरूरत है.

इन मुकदमों में अमेरिका के राज्यों ने इस बात का दावा भी किया है कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मुनाफे के लिए युवाओं का शोषण कर रहे हैं. मेटा ने इन आरोपों के खिलाफ दावा किया है कि उसके प्लेटफॉर्म सुरक्षित हैं. यह निराशाजनक है कि राज्यों ने उसके साथ काम करने के बजाए यह रास्ता चुना है.

भारत में करीब 40 करोड़ लोग मेटा के विभिन्न प्लेटफार्मों से जुड़े

वैसे सोशल मीडिया के सबसे ज्यादा यूजर नाइजीरिया में हैं. वहां औसतन चार घंटे से ज्यादा समय लोग इंटरनेट सर्फ करते हैं. इसके बाद फिलिपींस और भारत का नंबर आता है. 

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कम डेटा कीमतों के साथ बढ़ते डिजिटलीकरण प्रयासों ने पूरे भारत में बड़ी संख्या में लोगों को सक्रिय रूप से इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम बनाया है. एक सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 40 करोड़ लोग मेटा के अलग-अलग प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं. इनमें से ज़्यादातर वे हैं जो 18 साल से अधिक उम्र के हैं. यानी भारत की लगभग 40 फीसदी आबादी किसी ना किसी सोशल प्लेटफार्म से जुड़ी हुई है. भारत में करीब 74 फीसदी इंटरनेट यूजर इंस्टाग्राम और फेसबुक का उपयोग करते हैं.

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