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तय हुई तिथि, इस दिन बंद होंगे गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ धाम के कपाट

नई दिल्‍ली :

उत्‍तराखंड के चार धाम यात्रा यानि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा हो गई है. मंगलवार को मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरशाली गांव स्थित मंदिर परिसर में पुरोहित समाज की बैठक में मुहूर्त निकालकर तया हुआ कि यमुनोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को बंद होंगे. इस दिन भाई दूज का पावन पर्व भी है. 

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गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए 14 नवंबर को अन्नकूट के पावन पर्व पर अभिजीत मुहूर्त की शुभ बेला पर 11 बजकर 45 मिनट पर बंद किए जाएंगे. वहीं, 15 नवंबर को केदारनाथ धाम के कपाट बंद भी होंगे. बद्रीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे.

चारधामों के तीर्थयात्रियों की संख्या पहली बार 50 लाख के पार

उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारधामों के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पहली बार 50 लाख के पार हो गई है. पिछले सप्‍ताह पुलिस ने यहां बताया था कि विश्वप्रसिद्ध चारधाम-बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन के लिए देश-विदेश से रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं और इस यात्रा सीजन में अब तक 50 लाख तीर्थयात्री यहां पहुंच चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, 16 अक्टूबर तक चारधाम के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 50 लाख के पार पहुंच गई. इसके साथ ही लगभग 5.41 लाख वाहन भी चारधाम पहुंचे. 

हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए हो चुके हैं बंद

अप्रैल-मई में यात्रा आरंभ होने के बाद केदारनाथ धाम में लगभग 17.08 लाख, बदरीनाथ धाम में 15.90 लाख, गंगोत्री में 8.46 लाख, यमुनोत्री में 6.94 लाख यात्री 16 अक्‍टूबर तक दर्शनों के लिए पहुंचे.  इसके अलावा, हेमकुंड साहिब में भी 1.77 लाख से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन किये जा चुके हैं. हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं.

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पिछले साल पहुंचे थे 47 लाख श्रद्धालु 

पिछले साल रिकॉर्ड 47 लाख श्रद्धालु चारधाम की यात्रा के लिए पहुंचे थे. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सुरक्षित व निर्बाध चारधाम यात्रा के लिए पुलिस की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि राज्य पुलिस द्वारा प्रत्येक स्तर पर तीर्थयात्रियों की हर संभव सहायता की जा रही है. गढ़वाल हिमालय में स्थित चारधाम हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में दीवाली के बाद शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं और ये छह माह बाद अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं.

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