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The Hindkeshariबैटलग्राउंड फिनाले : BJP के लिए जनता का क्या है मूड? नतीजों की नब्ज पहचानने वाले टॉप 4 एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी

बीजेपी का किन राज्यों में कम होगा सीट नीरजा चौधरी ने बताया

नीरजा चौधरी ने बताया कि उत्तर के राज्यों में बीजेपी की सीटें कम होगी. कर्नाटक में बीजेपी की सीटें कम होगी. भरपाई अगर देखें तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी को होते हुए नहीं दिख रही है. तेलंगाना में बीजेपी को फायदा होगा. ओडिशा में बीजेपी को फायदा हो सकता है. बंगाल में 2 तरह की बात सामने आ रही है.  कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि बीजेपी बहुमत के करीब रहेगा. 

बीजेपी को नुकसान हो रहा है लेकिन कितना?-   प्रोफेसर संजय कुमार 
 प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 224 सीटों पर 50 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त किया था. ये जो कुछ भी बदलाव की चर्चा हो रही है कि बीजेपी को नुकसान हो रहा है. लेकिन कुछ ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी का वोट शेयर काफी अधिक था. इस बात की संभावना बनी रहेगी की वोट शेयर में नुकसान के बाद भी बीजेपी का आंकड़ा क्या रहेगा. चर्चा इस बात की नहीं हो रही है कि बीजेपी चुनाव हार रही है या नहीं हार रही है. चर्चा बस इस बात की हो रही है कि बीजेपी को 272 से पहले रोका जाएगा या नहीं. आज चर्चा हो रही है कि 370 तो नहीं लेकिन 300 के आसपास तो आएगा. नुकसान हो भी रहा है तो वो कितना हो रहा है ये अहम है. 

बंगाल और महाराष्ट्र तय करेंगे बीजेपी का आंकड़ा: संदीप शास्त्री
बीजेपी का आंकड़ा 304 से ऊपर रहता है या नीचे जाता है यह 2 राज्य तय करेंगे वो दोनों राज्य हैं महाराष्ट्र और बंगाल. महाराष्ट्र में बीजेपी को गठबंधन की सहयोगियों से समस्या है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी भी बेहद अहम है इन 22 राज्यों के नतीजे ही तय करेंगे. मेरे हिसाब से उत्तर प्रदेश में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता है. 

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संगठन और नेतृत्व बीजेपी की ताकत: नीरजा चौधरी
 

नीरजा चौधरी ने बताया कि बीजेपी की ताकत है नेतृत्व और संगठन वहीं उन्होंने कहा कि हालांकि अगर विपक्ष की तरफ से मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर उतारा जाता तो हालात कुछ और हो सकते थे. नीरजा चौधरी के तर्क को संदीप शास्त्री ने काउंटर करते हुए कहा कि यह बीजेपी के पक्ष में जा सकता था. विपक्ष और कांग्रेस अगर कहीं चूक रही है तो वो है साझा रणनीति का अभाव और एक साथ चुनाव प्रचार नहीं करना. 

किन मुद्दे पर हो रहे हैं चुनाव?
प्रोफेसर संजय कुमार ने बताया कि जब चुनाव शुरु हुआ था तो बीजेपी चाहती थी कि यह चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर हो. धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर बीजेपी चुनाव में उतरना चाहती थी. लेकिन शुरुआत वहां से हुई लेकिन विपक्ष की तरफ से महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर अड़ा रहा. संविधान बचाने की लड़ाई जैसी बातें भी विपक्ष की तरफ से होते रहे. बीजेपी पहली बार कांग्रेस के पिच पर खेलती नजर आयी. पहली बार कांग्रेस की तरफ से एजेंडा सेट किया जा रहा था और प्रधानमंत्री उसका काउंटर कर रही थी. चुनाव की शुरुआत किसी मुद्दे से हुई थी और वो ट्रेवल करते हुए कई मील आगे निकल गया. छोटे-छोटे मुद्दे बीजेपी के लिए बैकफायर करता हुआ दिखा. 

सोशल मीडिया की आवाज में भ्रमित हो गया है विपक्ष: अमिताभ तिवारी
आम लोग अपना और अपने बच्चों का भविष्य देखना चाहते हैं. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने ‘न्याय’ की घोषणा की थी लेकिन वो बूथ स्तर तक नहीं पहुंच पाया था. पिछले 5 साल में ज्यादातर लोग अब स्मार्ट फोन पर आ गए हैं. जिसकी वजह से अब कांग्रेस पार्टी भी मैसेज पहुंचाने में सफल रही है. लेकिन सोशल मीडिया पर जो आवाज उठ रही है उससे महिलाएं और लाभार्थी दूर हैं. यही वर्ग चुनाव को तय कर रहे हैं. 

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