The HindkeshariExclusive : भारत कैसे बनेगा विकसित राष्ट्र? अरविन्द पानगड़िया और एनके सिंह ने संजय पुगलिया की खास बातचीत
नई दिल्ली:
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अगले महीने बजट पेश करने वाली हैं. इससे पहले The Hindkeshariने 16 वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविन्द पानगड़िया और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह से बात की. इस दौरान उनसे यह जानने की कोशि की गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस कार्यकाल में किन सुधार पर जोर देंगे और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रास्ता क्या और इस रास्ते की रुकावटें क्या-क्या हैं. इन दोनों से बातचीत की The Hindkeshariके एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने. पेश है अरविन्द पानगड़िया और एनके सिंह से हुई बातचीत के संपादित अंश.
किन क्षेत्रों में और सुधार की जरूरत है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में रिफार्म का अगला दौर क्या होगा. इस सवाल के जवाब में पानगड़िया ने कहा कि अगर अगले 10 साल के लिए रिफार्म करना है, तो सबसे पहले 2019-20 में पास किए गए श्रम कानूनों को लागू करना चाहिए. इन श्रम कानूनों को लागू करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. इसके बाद कई क्षेत्र हैं, जिनमें रिफार्म की जरूरत है, जैसे टैक्स.उन्होंने कहा कि जीएसटी को थोड़ा और सरल बनाने की जरूरत है. आयकर को भी और सरल बनाने की जरूरत है. पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में एअर इंडिया समेत कई कंपनियों को निजीकरण हुआ, अब सरकार की निजीकरण की इस रफ्तार को भी और गति देनी चाहिए.
पानगड़िया ने जोर देकर कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी रिफार्म लाने की जरूरत है. देश में उच्च शिक्षा 1956 के यूजीसी एक्ट के तहत चल रही है. इसमें सुधार करने की जरूरत है. सरकार ने मेडिकल शिक्षा में रिफार्म किया है, जो इसी तरह 1956 के एक कानून से चल रथा था. उसका रिफार्म नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के जरिए किया गया.उन्होंने कहा कि एक ऐसा एरिया भी है, जहां रिफार्म नहीं हुआ है, हम यह भी कह सकते हैं कि इस मामले में हमने दो कदम पीछे हटाए हैं, यह क्षेत्र है भूमि सुधार का. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून की वजह से पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर दोनों को नुकसान हो रहा है.
कितना जरूरी है कृषि क्षेत्र में सुधार
वहीं जब एनके सिंह से यह पूछा गया कि नरेंद्र मोदी सरकार लेबर और लैंड रिफार्म के लिए क्या कर सकती है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन दोनों के अलावा एक और क्षेत्र है, जिसमें सुधार की जरूरत है, वह है कृषि क्षेत्र. इसमें बहुत अधिक सुधार नहीं आया है. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2024 को ‘ईयर ऑफ मिलेट्स’घोषित किया था. उन्होंने पानी की उपलब्धता और पर्यावरण को देखते हुए कृषि में विविधता लाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मिलेट्स की पैदावार के लिए उतना पानी नहीं चाहिए जितना कि धान और गेहूं को चाहिए. उन्होंने अधिक प्रोटीन वाले फलों की खेती और पोल्ट्री पर जोर दिया. सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का जोर किसानों की आय बढ़ाने पर है. ऐसे में जरूरी है कि क्रापिंग पैटर्न को बदला जाए. इसके लिए हमें पर्यावरण, निरंतरता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि जरूरी यह भी है कि जीडीपी की विकास दर को बढ़ाकर 8-9 फीसदी तक लाया जाए. इसके लिए जरूरी है कि लेबर लॉ, भूमि अधिग्रहण कानून और कास्ट ऑफ कैपिटल में सुधार लाया जाए. उन्होंने कहा कि इस दिशा में बहुत अधिक काम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में हमने इसका आधार तैयार कर दिया है.सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की दिशा में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने कुछ कदम उठाए हैं, बाकी के राज्यों को भी वैसे ही कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
भारत के आर्थिक सुधारों में एआई की भूमिका
कैपिटल की उपलब्धता पर एनके सिंह ने कहा कि हम सबको बैठकर इस बात पर सहमति बनानी चाहिए कि फाइनेंशियल इंटरमिडियेशन को कैसे बढ़ाया जाए. इसमें टेक्नोलॉजी एक बहुत बड़ा साधन हो सकता है. उन्होंने कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को आज एक साधारण विद्यार्थी भी समझता है, इसलिए हमें इसके गवर्नेंस स्वास्थ्य, शिक्षा में उपयोग पर विचार करना चाहिए. भारत में होने वाले सुधारों में एआई की बड़ी भूमिका होगी. इससे 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने की रफ्तार में भी गति आएगी.
क्या है विकसित राष्ट्र बनने का रास्ता
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कैसे आर्थिक कदम उठाने की जरूरत है और इस रास्ते पर आने वाली रूकावटें कौन सी हैं, इस सवाल पर अरविंद पानगड़िया ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस रास्ते में कुछ अंतरराष्ट्रीय रुकावटें आएंगीं. उन्होंने कहा कि डॉनल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में अमेरिका-चीन का टैरिफ वॉर हुआ और यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं, इसके बाद भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में ट्रेड का ग्रोथ जारी रहा. पानगड़िया ने कहा कि इसी तरह हम देखते हैं कि कोविड से पहले 19 ट्रिलियन डॉलर का मर्केंडाइज और करीब छह ट्रिलियन डॉलर का सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट मार्केट था. कोविड के बाद तमाम तरह की परेशानियों के बाद भी मर्केंडाइज एक्सपोर्ट का मार्केट बढ़कर 25 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया और सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट मार्केट सात ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया. 32 ट्रिलियन का यह एक्सपोर्ट मार्केट बहुत बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. इसमें भारत का हिस्सा मर्केंडाइज में दो फीसदी और सर्विट सेक्टर में करीब चार फिसदी का है, हम इसे बढ़ा सकते हैं. यह अवसर हमारे पास है. इसे देखते हुए लगता है कि हमें किसी रुकावट की आशंका नहीं है, जहां तक रही कुछ विनाशकारी घटनाओं की बात रही, तो उससे केवल हम ही नहीं बल्कि सभी लोग प्रभावित होंगे.
पानगड़िया ने कहा कि जहां तक रही 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात तो इसके लिए जरूरी है कि हमारी प्रति व्यक्ति आय 12800-12900 डॉलर होनी चाहिए,यह आय 2022 के डॉलर में होनी चाहिए. विश्व बैंक का मानक भी यही है. उन्होंने कहा कि 2022-2023 में भारत की प्रति व्यक्ति आय करीब ढाई हजार डॉलर थी, इसके 2047 तक करीब 13 हजार डॉलर तक पहुंचाने के लिए प्रति व्यक्ति आय में 7.6 फीसदी की विकास दर चाहिए. लेकिन अगर हम अपने जीडीपी ग्रोथ को देखें तो यह रियल सेंस में 7.9 फीसदी की रही है. उन्होंने कहा कि डॉलर के अंदर रुपये की वैल्यू बढ़ी है, इसलिए जीडीपी बढ़ा है. इसे देखते हुए हमें लगता है कि अगले 25 सालों में हम इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे और हमारी जीडीपी की विकास दर 8 या 8.2 फीसदी तक होगी. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में सुधार पहले ही किए जा चुके हैं.
अर्थव्यवस्था के लिए कितना जरूरी है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’
वहीं एनके सिंह से जब यह पूछा गया कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के रास्ते में प्रशासनिक रुकावट, चुनाव सुधार और न्यायिक सुधार जैसी रुकावटें भी हैं, इस दिशा में हमें क्या करना चाहिए. इस पर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने चुनाव सुधार की दिशा में कदम उठा दिए हैं. सरकार ने संसद में ‘एक देश,एक चुनाव’बिल पेश कर दिया है. वो खुद इसकी अनुशंशा करने वाले आयोग के सदस्य रहे हैं. अगर देश में सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो इससे चुनाव में होने वाले खर्च, राजकोषीय घाटे और गर्वनमेंट स्ट्रक्चर में इसका सीधा असर पड़ेगा. यह असर लाभदायक साबित होगा.
‘एक देश, एक चुनाव’का अरविंद पनगाड़िया ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि जब एक साथ पांच साल में चुनाव होने लगेंगे तो सरकारों का काम करने के लिए अधिक समय मिलेगा. उन्होंने कहा कि पिछले साल जून में लोकसभा के चुनाव हुए, उसके बाद कई विधानसभाओं के चुनाव हुए और अब 2025 में दो विधानसभाओं के चुनाव होने हैं, इससे सरकारों को काम करने का अवसर कम मिल पाता है, अगर सभी चुनाव एक साथ होते तो ऐसा नहीं होता और सरकारों के पास काम करने का अधिक अवसर होता. ऐसे में ‘एक देश, एक चुनाव’लागू होने पर राज्य और केंद्र सरकार को इसका बड़ा फायदा मिलने वाला है. यह एक बड़ा सुधार साबित होगा.पानगड़िया ने कहा कि मतदाता बहुत बुद्धिमान होता है, वह काम करने वाली सरकारों को दुबारा चुन कर लाता है. इसके लिए उन्होंने ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पीएम नरेंद्र मोदी का उदाहरण दिया.उन्होंने कहा कि यह बात अब सरकारें और राजनीतिक दल भी समझ रहे हैं. इसलिए वो अब काम करने पर जोर दे रहे हैं. इसका लाभ केंद्र सरकार को भी मिल रहा है.
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