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The HindkeshariOpinion Poll: 63% जनता की राय-शिवराज सरकार में कम हुआ भ्रष्टाचार, महंगाई-बेरोजगारी बड़े चुनावी मुद्दे

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections 2023) में क्‍या ‘भ्रष्‍टाचार’ प्रमुख मुद्दा रहने वाला है? भ्रष्टाचार से लड़ने में शिवराज सरकार का काम कैसा रहा है? जनता भ्रष्टाचार से लड़ने में केंद्र सरकार को किस तरह आंकती है?   The Hindkeshariने अपने ओपिनियन पोल में कुछ ऐसे ही महत्‍वपूर्ण सवालों के जवाबजानने की कोशिश की है. मध्‍य प्रदेश की 63 प्रतिशत जनता का मानना है कि भ्रष्टाचार से लड़ने में शिवराज सरकार का काम अच्‍छा रहा है. इसे अच्‍छा आंकड़ा कहा जा सकता है. 

सर्वे में शामिल 18% लोगों का मानना है कि भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर शिवराज सरकार (Shivraj Singh Chouhan Government) का काम खराब रहा. वहीं, सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मध्‍य प्रदेश सरकार ने भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर बहुत खराब काम किया है यानि सिर्फ 28 फीसदी लोगों को लगता है कि भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर शिवराज सरकार हल्‍की पड़ी है. 

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्र सरकार

केंद्र की मोदी सरकार भ्रष्‍टाचार के मुद्दे को जोश-शोर से उठाकर ही सत्‍ता में आई थी. देश से भ्रष्‍टाचार मिटाने के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े कदमों को उठाया गया. कुछ लोगों ने मोदी सरकार के इन कदमों को सराहा, तो कुछ ने इन्‍हें व्‍यर्थ बताया. मध्‍य प्रदेश की जनता भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार को किस तरह आंकती है. The Hindkeshariके ओपिनियन पोल के मुताबिक, 34% लोगों को लगता है कि भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने बहुत अच्‍छा काम किया. 

33 प्रतिशत लोगों को लगता है कि केंद्र ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अच्‍छा काम किया. यानी 67 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी सरकार ने भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर अच्‍छा काम किया है. वहीं, सिर्फ 15% लोगों को लगता है कि भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार ने खराब किया और 8% लोगों को लगता है कि बहुत खराब काम किया.     

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शिवराज सरकार के बुनियादे ढांचें से खुश है सूबे की जनता

इस सर्वे के मुताबिक, राज्य की अधिकतर जनता ये मानती है कि शिवराज सरकार ने सड़क, बिजली, पानी, सरकारी अस्पताल, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे पर शानदार काम किया है. अगर बात बेहतर सड़कों की करें, तो राज्य की 55 फीसदी जनता ये मानती है कि सड़कों की स्थिति पहले की तुलना में सुधरी है. 28 फीसदी जनता का मानना है कि पहले के मुकाबले सड़कों की स्थिति बिगड़ी है. 

54% लोगों की राय- बिजली की आपूर्ति में पहले की तुलना में सुधार

बात अगर बिजली की करें, तो राज्य की 54 फीसदी जनता का मानना है कि राज्य में बिजली की आपूर्ति में पहले की तुलना में सुधार हुआ है. लेकिन 24 फीसदी जनता इससे सहमत नहीं है. उनका मानना है कि हालात पहले की तुलना में बिगड़े ही हैं. इसी तरह अगर पानी की आपूर्ति की बात करें तो सूबे के 43 फीसदी जनता का मानना है कि स्थिति पहले से बेहतर हुई है. जबकि 32 फीसदी जनता का मानना है कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है और यह पहले की तुलना में बिगड़ी ही है. 

महंगाई और बेरोजगारी सबसे बड़े चुनावी मुद्दे

The Hindkeshariके ओपिनियन पोल के मुताबिक, महंगाई और बेरोजगारी रहने का अनुमान है. 27-27 फीसदी लोगों को लगता है कि ये दोनों मुद्दे मध्‍य प्रदेश के लिए सबसे अहम हैं. 13 प्रतिशत लोग गरीबी को आगामी विधानसभा चुनाव को बड़ा मुद्दा मानते हैं. वहीं, विकास की कमी 8% और भ्रष्टाचार 5% लोगों को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा लगता है.

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सरकारी अस्पातलों की स्थिति काफी हद तक सुधरी

इस सर्वे में आम जनता से पूछा गया कि राज्य में सरकारी अस्पातलों की स्थिति शिवराज सरकार में बेहतर हुई या बिगड़ी है?  इसके जवाब में 36 फीसदी जनता का कहना था कि शिवराज सिंह की सरकार में सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार हुआ है. वहीं, 33 फीसदी जनता मानती है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति पहले की तुलना में बिगड़ी है. सरकारी स्कूलों को लेकर भी आम जनता का कमोबेश ऐसा ही मानना है. सूबे की 41 फीसदी आबादी मानती है कि शिवराज के राज में सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार हुआ है. जबकि 24 फीसदी जनता ऐसा नहीं मानती है. 

कानून-व्यवस्था पर क्या है राय?

सर्वे में अधिकतर जनता कानून-व्यवस्था के बारे में पूछे गए सवाल पर भी शिवराज सिंह सरकार के साथ खड़ी नजर आई. 36 फीसदी जनता का मानना है कि राज्य में कानून-व्यवस्था शिवराज सिंह के सत्ता में आने के बाद सुधरी है. जबकि 30 फीसदी जनता मानती है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति पहले से भी ज्यादा बिगड़ गई है. 

राज्या में महिलाएं कितनी सुरक्षित?

इस सर्वे में शामिल लोगों से राज्य में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं? ये अहम सवाल भी किया गया था. 36 फीसदी जनता मानती हैं कि शिवराज सिंह की सरकार में महिला सुरक्षित महसूस करती हैं. जबकि 36 फीसदी का ही मानना है कि महिलाओं में अभी भी असुरक्षा का भाव व्याप्त है.

इस ओपिनियान पोल का सैंपल साइज 3019 है और इसमें 30 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया.

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