The Hindkeshariकी ग्राउंड रिपोर्ट : हल्द्वानी हिंसा का कौन है मास्टमाइंड, क्या मौके पर पर्याप्त था पुलिस बल?
हल्द्वानी:
उत्तराखंड के हलद्वानी शहर के बनफूलपुरा में हुई हिंसा के मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. इस मामले में 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. बनफूलपुरा में हुई हिंसक घटनाओं में पांच लोगों की मौत हुई और 300 लोग घायल हुए. अब्दुल मलिक को हिंसा के मामले का मास्टर मांइड बताया गया है. अतिक्रमण हटाने के दौरान यह हिंसा हुई.
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बनभूलपुरा में हुई हिंसा के बाद The Hindkeshariको मार्चुरी के बाहर एक परिवार सिसकता-बिलखता हुआ मिला. इस हिंसा की चपेट में 45 साल के जाहिद तब आ गए, जब वे अपने पोते के लिए दूध लेने जा रहे थे. जाहिद ही नहीं उनके 15 साल के बेटे अनस की भी हिंसा में मौत हो गई. अनस के चाचा मो आरिफ ने बताया कि, ”पोते के लिए जाहिद दूध लेने जा रहे थे, तभी हिंसा भड़की. उनको खोजते हुए उनका बेटा अनस बाजार पहुंचा. दोनों को पुलिस ने गोली मार दी.”
हिंसा में जाहिद ही नहीं भोजपुर के रहने वाले सूरज सिंह की भी मौत हुई. 28 साल के सूरज सिंह बनफूलपुरा के नजदीक लकड़ी के टाल में मजदूरी करते थे. सूरज सिंह के परिजनों से पुलिस का संपर्क नहीं पा रहा है जिसके चलते पोस्टमार्टम की प्रकिया शुरू नहीं हो पाई. सूरज का शव 36 घंटे से मार्चुरी में रखा हुआ है.
सवाल उठ रहा है कि बनफूलपुरा में हिंसा की आग कैसे सुलगी और उसका कारण क्या था? हलद्वानी के नगर निगम कमिश्नर के आदेश पर निगम की टीम बनफूलपुरा में अवैध अतिक्रमण को हटाने गई थी. The Hindkeshariके पास वे दस्तावेज मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि 2017 के बाद तेजी से बनफूलपुरा की सरकारी जमीन पर निर्माण शुरू हुआ. इस सबके पीछे अब्दुल मलिक नाम का एक भूमाफिया था, जिसने न सिर्फ सरकारी जमीन पर अवैध मदरसा बनवाया, 50 रुपये के स्टांप पर कई लोगों को जमीनें भी बेचीं.
हल्द्वानी के निगम कमिश्नर पंकज उपाध्याय ने कहा कि, ”हमने अब्दुल मलिक को दो बार नोटिस दिया कि वह भूमि के मालिकाना हक के दस्तावेज दिखाए, लेकिन वह नहीं आया. जब हम अतिक्रमण हटाने गए तो पहले उसने हमें भगाना चाहा, फिर थानों पर हमला किया गया.”
बनभूलपुरा की हिंसा को पुलिस रोक क्यों नहीं पाई? इस मामले में स्थानीय इंटेलीजेंस यूनिट (LIU) का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें कहा गया है कि अवैध अतिक्रमण अगर हटाया गया तो बवाल होने की संभावना है. लेकिन हल्द्वानी के एसएसपी सुरक्षा खामी की संभावना से इनकार कर रह हैं. हल्द्वानी के एसएसपी दीपक मीणा ने कहा कि, ”हमारे पास पुलिस फोर्स पर्याप्त थी हम तैयारी के साथ गए थे.”
फिलहाल हल्द्वानी में शांति है और बलवाईयों की निशानीदेही करके उनको पकड़ा जा रहा है. लेकिन इस हिंसा ने कई परिवारों को ऐसा जख्म दिया है जो शायद ही कभी भर पाए.