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लॉरेंस बिश्नोई को 5 बार गिरफ्तार करने वाले इंस्पेक्टर ने खोले उसके बचपन से डॉन बनने के राज

Lawrence Bishnoi Story: लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) का नाम अब भारत के सबसे खतरनाक गैंगस्टर में गिना जाने लगा है. ऐसे में उसके बारे में खुफिया एजेंसियों को पूरी जानकारी नहीं है. हां, फाइलों में उसके अपराध जरूर मिल जाएंगे, लेकिन अपराध में आने से लेकर इसकी सीढ़ियां कैसे चढ़ता गया इसकी जानकारी बेहद कम लोगों को है. The Hindkeshariने लॉरेंस को 5 बार गिरफ्तार करने वाले चंडीगढ़ के पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह से बात की तो लॉरेंस के सारे राज खुलते चले गए.    

पहली बार ऐसे पकड़ा गया लॉरेंस

पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह ने बताया कि 2010-11 की बात है. लॉरेंस की पार्टी SOPU के प्रेसिडेंट होते थे विक्की मिद्दुखेड़ा. विक्की मिद्दुखेड़ा का झगड़ा होने के कारण लॉरेंस ने सेक्टर 11 चंडीगढ़ में बाहर खड़ी गाड़ियों को आग लगाई थी.उस मामले में उनकी पहली बार लॉरेंस की गिरफ्तारी हुई थी. तब वो हमारी कस्टडी में एक दिन रहा ,बाकी वो न्यायिक हिरासत में रहा, फिर बाहर आ गया था. लॉरेंस जब 6वीं बार अरेस्ट हुआ तो उसने ये बात कहनी जरूर शुरू कर दी थी कि देखना आगे 7-8 राज्यों की पुलिस मुझे ढूंढा करेगी. रंजीत सिंह डुपला इसे हथियारों की सप्लाई किया करता था.अब रंजीत भागकर अमेरिका जा चुका है.ये कभी नहीं सोचा था कि लॉरेंस इतना बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा कि सलमान को मारने की बात करेगा, बाबा सिद्दीकी और मुसेवाला को मार देगा.

लॉरेस ऐसे बना अपराधी

अमनजोत सिंह ने बताया कि इसके बाद स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स में उसकी लड़ाइयां होती रहीं और कई बार इनमें गोलियां भी चलीं. इन मामलों में लॉरेंस 5-6 बार गिरफ्तार हुआ. वो उस समय एक छोटे बच्चे की तरह था. पुलिस के पकड़ने पर कभी अंकल कहता था, कभी भाई कहता था, कभी सर कहता था.. तो कुलमिलाकर कहें तो वो बहुत ही भोला था. 18 साल का बच्चा था और इसने जब गाड़ियों को आग भी लगाई थी तो इसकी अपनी कोई इंटेंशन नहीं थी, जो इसकी पार्टी लीडरशिप ने बोला वो इसने किया. शुरुआत में 3-4 साल उन्हीं के इशारों पर काम करता रहा, लेकिन जब ये जेल आता-जाता रहा तो जेल में इसकी ट्रांसफॉर्मेशन बहुत तेजी से हुई और ये बड़े गैंगस्टर्स की लिंक में आ गया. इसके बाद इसकी क्राइम की दुनिया में पकड़ी बढ़ती चली गई.

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लॉरेंस का बढ़ने लगा रुतबा

पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह ने बताया कि लॉरेंस तब नया-नया गांव से आया था. जो भी चंडीगढ़ में आता है, उसको लगता है कि मैं अच्छा दिखाई दूं. तब इसको ब्रांडेड कपड़े पहनने का शौक नहीं था, लेकिन जब ये 5वीं 6वी बार अरेस्ट हुआ तो थोड़ा थोड़ा इसके कपड़ों में चेंज आना शुरू हो गया था.ल़ॉरेंस के डॉन बनने की कहानी ये है कि ये जब बार-बार जेल जाता रहा तो जेल में कुछ ऐसे कैदी थे, जिन्होंने बहुत बड़े बड़े क्राइम कर रखे थे. उनको लगा कि इस लड़के में कुछ बात है. कारण ये जल्दी-जल्दी 5-6 बार जेल पहुंच चुका था तो उन्होंने इसको यूज करना शुरू कर दिया. इसको अपनी शरण में ले लिया. कारण उनको पता था कि लॉरेंस की बेल हो जानी है. वो छोटे क्राइम में आता था तो जेल में बंद अपराधी इसको छोटे काम देने लग गए. इससे इसका रुतबा बाहर बढ़ने लगा.

गुरु रॉकी फाजिल्का से ऐसे मिला

लॉरेंस जब जेल में गया तो इसकी जेल में रंजीत सिंह डुपला से मुलाकात हुई. रंजीत उस समय जसविंदर सिंह रॉकी का काफी क्लोज था तो रंजीत ने जेल में ही इसको रॉकी से मिलवा दिया. रॉकी पहले ही मुख्तार अंसारी ग्रुप के साथ जुड़ा हुआ था और एक बहुत ही नामी गैंगस्टर होता था.राजिंदर सिंह डिंपी के मर्डर में रॉकी उस समय जेल में बंद था. रॉकी ने लॉरेंस को अपनी शरण में ले लिया. रॉकी फिरोजपुर के फाजिल्का का रहने वाला था और ये अबोहर का रहने वाला था. दोनों का गांव आसपास होने के कारण इनका थोड़ा प्यार बढ़ गया और फिर उसकी शरण में आने के बाद लॉरेंस की काफी ग्रूमिंग हुई और फिर ये क्राइम की दुनिया में आगे बढ़ता रहा. रॉकी को ही रॉकी फाजिल्का कहा जाता था. लॉरेंस उसे अपराध की दुनिया में अपना गुरु बना चुका था.

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रॉकी फाजिल्का का गुरु कौन था?

रॉकी फाजिल्का बहुत पुराना गैंगस्टर था. चंडीगढ़ में ही GCM कॉलेज में पढ़ता था. उसकी डिंपी नाम के गैंगस्टर से मुलाकात हुई थी. जैसे लॉरेंस रॉकी की शरण में आकर बड़ा हुआ. वैसे ही रॉकी डिंपी की शरण में आकर बड़ा हुआ. फिर इन्होंने नंदकिशोर रुंगटा और निर्मल कुमार जयपुरिया की बड़ी किडनैपिंग की. इनकी किडनैपिंग करने के बाद ये अरेस्ट हुए.ये चंडीगढ़ की बुडैल जेल में रहा, तो ये इसलिए रहा कि इसने अपने ही साथी डिंपी को कुछ विवाद होने के कारण मार दिया था. 2007 से ये अंदर था. इसी बीच लॉरेंस अंदर गया और इसकी शरण में आने के बाद आगे बढ़ता गया.

गोल्डी से ऐसे मिला लॉरेंस

विक्की मिद्दुखेड़ा अपराधी नहीं था, वो स्टूडेंट लीडर था. झगड़ों के कारण जेल चला गया था. कोई उसका ऐसा क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था. वो जब SOPU पार्टी का प्रेसिडेंट था तो उसकी शरण में लॉरेंस आया. गोल्डी बराड़ से लॉरेंस का कोई ऐसा लेना देना नहीं था. वो पंजाब यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट था. ये सारे इकठ्ठे थे. गुरुलाल गोल्डी का कजिन लगता था,तो जब गुरलाल का मर्डर हुआ तब गोल्डी उसका बदला लेने के लिए पिक्चर में आया.लॉरेंस को गोल्डी पहले से जानता था और फिर दोनों मिल गए.इस तरह के बहुत नाम हैं जो स्टूडेंट पॉलिटिक्स से गैंगस्टर बने. इनमें विक्की गोंडर, सुक्खा कालवा, भीमा लहारिया आदि स्टूडेंट पॉलिटिक्स का शिकार होकर गलत रास्ते पर चले गए और फिर वापस नहीं लौटे.


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