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जो गिरा, वो दबता चला गया… मेरी बीवी-पत्नी मर गई… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की 10 दर्दनाक आपबीती


नई दिल्‍ली:

किसी ने अपनी मां को खो दिया, तो किसी की पत्‍नी उसे छोड़कर चली गई…नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर शनिवार की रात का मंजर बेहद खौफनाक था. प्‍लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर इतनी भीड़ उमड़ी कि हालात बेकाबू हो गए. प्‍लेटफॉर्म तक आने वाली सीढ़ियों पर भारी भीड़ के बीच एक शख्‍स का पैर फिसला और उसके पीछे कई लोग गिर गए और भगदड़ मच गई. ऐसे में जो दबा था, वो दबता चला गया और देखते ही देखते 18 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. स्‍टेशन पर मौजूद एक प्रत्‍यक्षदर्शी ने बताया कि ऐसी भीड़ उन्‍होंने पहले कभी नहीं देखी… भगदड़ के बाद सीढ़ियों के पास कई शव नजर आए. दर्दनाक हादसा था.   

1- ‘मेरी मां की डेथ हो गई’

नई दिल्‍ली हादसे में अपनी मां को गंवाने वाले पप्पू गुप्ता ने बताया, ‘मेरी मम्मी की डेथ हो गई. वह भगदड़ में दब गई थीं. हम अपने घर बिहार के छपरा जा रहे थे. हम बहुत लोग थे, बाकी तो बच गए, लेकिन वह चली गईं. पता ही नहीं चला कि भगदड़ कैसे हुई. प्लेटफॉर्म खाली था. पता ही नहीं चला कि इतने लोग कहां से आ गए. लोग स्पीड में एक-दूसरे को धक्का देते हुए जा रहे थे. वहां कोई  पुलिसवाला नहीं थी. 

2- ‘प्लेटफॉर्म 7 पर भी बुरा हाल था’

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हादसे के समय मौजूद एक यात्री ने बताया, ‘मेरा 12582 टिकट था. 10.40 की ट्रेन थी. हम लोग यहां पर आठ साढ़े आठ बजे आ गए थे. इतनी गंदी स्थिति थी. भगदड़ मची, ट्रेन के आगे गिरे, कितने गिरे नहीं पता. बहुत लोग कटे हैं. दब गए लोग. जो गिरा तो गिरा. प्रशासन आया और एक ही बार में सबको लेकर चला गया. यह प्लेटफॉर्म नंबर 14-15 की घटना है. प्लेटफॉर्म 7 पर भी बुरा हाल था. साढ़े 7 से लेकर साढ़े 9 तक बहुत ही बुरी स्थिति थी.’

यहां बहुत सारे लोग इकट्ठे हो गए थे. इतनी भीड़ थी कि खुद देखना मुश्किल हो रहा था. पुलिस भी वहां भीड़ को कम करने की कोशिश कर रही थी. लोग बता रहे थे कि ट्रेन को यहां से हटाकर कहीं और शिफ्ट किया जा रहा था. दोनों तरफ प्लेटफॉर्म पर भीड़ थी. इसके बाद लोग भागने लगे और भगदड़ मच गई.

3- ‘किसी ने बताया कि कोई पुल गिर गया’

एक अन्‍य यात्री ने बताया, ‘प्रयागराज जाने के लिए एक स्पेशल ट्रेन थी. वह 14 नंबर प्लेटफॉर्म से रवाना होने वाली थी. तभी अचानक भगदड़ शुरू हो गई. किसी ने बताया कि कोई पुल गिर गया है. ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने के अनाउंसमेट भी हो रहे थे. इतनी ज्यादा भीड़ थी कि समझना मुश्किल था कि आखिर क्‍या करें, कहां जाएं. इस बीच ही भगदड़ मच गई है.’  

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4- ‘मेरी बेटी मर गई है. मेरा बेटा खो गया’

बिहार जाने के लिए नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पहुंचे एक यात्री ने बताया, ‘मेरा नाम राजकुमार मांझी है. मेरी बीवी मर गई है. मेरी बेटी मर गई है. मेरा बेटा खो गया है. हम अपने घर नवादा जिला जा रहे थे. हम चार लोग थे. रात आठ बजे की बात है. हम सात नंबर प्लेटफॉर्म पर थे. ट्रेन 10 बजकर कुछ मिनट पर आनी थी. अचानक भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लग गए.’ 

5- कुली ने बताया- ‘ऐसी भीड़ जिंदगी में कभी नहीं देखी’

हादसे के दर्दनाक मंजर को बयां करते हुए एक कुली ने बताया, ‘मैंने ऐसी भीड़ जिंदगी में कभी नहीं देखी. प्रयागराज स्पेशल ट्रेन को 12 नंबर से 16 नंबर कर दिया.12 नंबर की पब्लिक 16 नंबर पर आई और 12 की पब्लिक 16 पर जाने लगी, तो भगदड़ मच गई. कुछ लोग सीढ़ियों पर गिर गए. कुछ कुलियों ने रास्ता रोककर मर चुके लोगों को निकाला. मैंने खुद लाशें निकाली हैं. 15 लाशें मैंने खुद लोड की हैं. कहीं जूता पड़ा है, कही चप्पल पड़ी है. पब्लिक दब गई एकदम. हमारी हालत ऐसी हो गई साहब कि मेरे को रुआई आ गई, हमने रात को खाना भी नहीं खाया. कसम से हमने अब तक खाना नहीं खाया. कुली भाइयों ने तीन घंटे तक ऐसी मदद की है कि ऐसी पुलिस ने भी नहीं की है.’ 

6- ‘हमारे ऊपर लोग गिरते चले गए’

ननद को गंवानी वाली यात्री पिंकी ने बताया, ‘प्रयागराज के लिए हम जा रहे थे सर. जब हम प्लेटफॉर्म के लिए सीढ़ी से उतर रहे थे, तो धक्कामुक्की होने लगी. हम पीछे से बहुत चिल्लाए कि पीछे से धक्का मत दो. लेकिन फिर भी वे लोग बहुत तेजी से धक्का दे रहे थे. हम उस धक्कामुक्की में नीचे गिर गए. हमारे ऊपर ऊंचाई पर मौजूद लोग गिर गए. मेरी बेटी, मेरी देवरानी, मेरी छोटी बेटी सभी दबे हुए थे. मेरी ननद उसमें एक्सपायर कर गई.’ 

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7- ‘लाशें बहुत गिरी हुई थीं’

एक यात्री ने बताया मेरी पत्नी शीला देवी की इस हादसे में मौत हो गई है. हम महाकुंभ जा रहे थे. हम अजमेरी गेट से चढ़े. 14 नंबर पर प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन खड़ी थी. बहुत ज्यादा भीड़ होने के कारण यह घटना घटी है. लाशें बहुत गिरी हुई थीं. पहले से लाशें नीचे गिरी हुई थीं. उनसे टकराकर वे भी नीचे गिरे. मेरे ऊपर से न जाने कितने लोग निकले होंगे. जीने के पास लाशों का ढेर लगा था. 

8- ‘हम प्‍लेटफॉर्म चल पहुंच ही नहीं पाए… ‘

दर्दनाक हादसे को याद करते हुए एक यात्री ने बताया, हम लोग 12 लोग महाकुंभ के लिए प्रयागराज जा रहे थे. रात 10 बजकर 10 मिनट की ट्रेन थी. हम प्लेटफॉर्म उस तक पहुंच ही नहीं पाए. उससे पहले ही लोगों की मौत हो गई. जीने पर लोग उतर रहे थे, पीछे से भीड़ आई और लोग दबने लगे.

9- ‘प्लेटफॉर्म पर दोनों तरफ गाड़ियां आ गई थीं’

नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन के प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाले वेंडर ने बताया, ‘यह घटना नौ बजे के आसपास हुई थी. पुल के ऊपर बहुत ज्यादा पब्लिक हो गई थी. पुलिस ने पब्लिक को बहुत ज्यादा कंट्रोल किया, लेकिन पब्लिक इतनी ज्यादा हो गई थी कि लिमिट से ज्यादा. संभल ही नहीं पा रहे थे, इतनी ज्यादा पब्लिक आ गई थी. प्लेटफॉर्म पर दोनों तरफ गाड़ियां आ गई थीं. पुल के ऊपर भगदड़ मच गई. जो नुकसान हुआ है, वहीं हुआ है. प्लेटफॉर्म तो खाली था. सवारियां गाड़ी में बैठी हुई थीं. जितनी भी भीड़ थी, वह पुल के ऊपर थी. जो भी हादसा हुआ, वह पुल के ऊपर ही हुआ.’ 

10- ‘भगदड़ के समय मैं पुल के ऊपर खड़ा था’

स्टेशन पर कुली का काम करने वाले रिंकू मीणा ने बताया, ‘भगदड़ के समय मैं पुल के ऊपर खड़ा था. ट्रेन पहले प्लेटफार्म नंबर 14 पर आनी थी. अनाउंसमेंट में उसका प्लेटफार्म बदल दिया गया. उसी वजह से सीढ़ियों पर बैठे लोगों में अफरा-तफरी मच गई. सीढ़ियों पर बैठे लोग भीड़ के नीचे दब गए और उनकी जान चली गई.’

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हैं. घायलों को एलएनजेपी और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. इस दर्दनाक हादसे में मरनेवालों में सबसे ज्‍यादा महिलाएं हैं. मरनेवालों में 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे हैं. इनमें सबसे ज्यादा बिहार के 9 लोग शामिल हैं. 

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