Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
देश

मणिपुर में 22 महीने बाद खुले थे रास्ते, कुछ ही घंटों में बढ़ गया बवाल, दागने पड़े आंसू गैस के गोले

मणिपुर में एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है. केंद्र के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की आवाजाही से रोक हटाने वाले निर्देश का विरोध कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करना पड़ा. उन्होंने इंफाल घाटी और कांगपोकपी जिले के बीच बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले दाग विरोध कर रही भीड़ को हटाने की कोशिश की. दरअसल केंद्र सरकार ने निर्देश दिए थे कि मैतेई और कुकी समुदाय के बीच संघर्ष की वजह से पिछले 22 महीने से बंद सभी रास्तों को शनिवार को आम लोगों के लिए खोल दिया जाए. जिससे लोग आसानी से आ-जा सकें.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद अधिकारियों ने राज्य के सभी बंद रास्तों को खोल दिया. लेकिन बहुत से लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आवाजाही से खुश नहीं हैं. वह इसका विरोध कर रहे हैं. जिसकी वजह से तनाव फिर से बढ़ गया है.   कांगपोकपी में महिला समूहों ने इंफाल से लाई गई मणिपुर राज्य परिवहन की बस को रोकने की कोशिश की. जिसके बाद सुरक्षाबलों को प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा.

इससे पहले मणिपुर के राज्यपाल ए.के. भल्ला के नेतृत्व वाले प्रशासन ने केंद्र के निर्देश को मानते हुए बंद रास्तों को खुलवा दिया. लोगों की आसान आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक बसों की व्यवस्था की है, जो केंद्रीय बलों की सुरक्षा के बीच शनिवार से पहाड़ी और घाटी क्षेत्र के बीच चल रही हैं.

मणिपुर में चलने वाली बसों का रूट देखिए

  • इम्फाल-कांगपोकपी-सेनापति
  •  सेनापति-कांगपोकपी-इम्फाल
  •  इम्फाल-बिष्णुपुर-चुराचंदपुर 
  •  चुराचंदपुर-बिशुपुर-इम्फाल
  •  इम्फाल-चुराचंदपुर और उखरुल के बीच हेलीकॉप्टर सेवाएं भी शुरू होने जा रही हैं.
यह भी पढ़ें :-  महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई रीजन में डीजल-पेट्रोल की कीमतें घटाईं, यहां पढ़ें अंतरिम बजट की प्रमुख घोषणाएं

मणिपुर में जातीय संघर्ष के बाद से बंद थे बहुत से रास्ते

बता दें कि मई 2023 में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष शुरू हुआ था. इसमें 250 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. बवाल इतना ज्यादा बढ़ गया कि मैतेई समुदाय के लोगों ने कुकी-बहुल पहाड़ियों में अपने घरों को छोड़ दिया. वहीं  कुकी समुदाय के लोग भी मैतेई क्षेत्रों में घरों को छोड़कर चले गए. 

हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि दोनों समुदायों के सदस्यों ने उन क्षेत्रों में जाना ही बंद कर दिया, जहां पर दोनों का ही प्रभाव ज्यादा है. गृह मंत्री अमित शाह से सामान्य स्थिति फिर से बहाल करने के लिए म्यांमार के साथ सीमा पर डेजिग्नेटेड एंट्री पॉइंट्स के दोनों तरफ बाड़ लगाने का काम जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया. 

मणिपुर में फिर बढ़ा तनाव

हालांकि हाईवे पर आसान आवाजाही शुरू करने के लिए निर्देश के बीच शनिवार को प्रस्तावित शांति मार्च ने तनाव को एक बार फिर से बढ़ा दिया. घाटी के करीब 20 संगठनों के समूह,  फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटीज (FOCS) के नियोजित मार्च से पहले मैतेई बहुल इंफाल और कुकी जनजातियों वाली पहाड़ियों में सुरक्षा बढ़ा दी गई.

FOCS के प्रमुख टीएच मनिहार ने कहा, “हम यह शांति रैली घाटी और पहाड़ियों को एकजुट करने के लिए इंफाल से सेनापति तक निकाल रहे हैं. हम वहां जाकर उनके साथ बैठकर चर्चा करेंगे, उन्होंने कहा कि हम अपने कुकी और नागा लोगों के बीच कोई दुश्मनी नहीं रखेंगे, हम सभी मणिपुर के निवासी हैं.

यह भी पढ़ें :-  200 पुलिस वालों की सुरक्षा में घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर पहुंचा दलित युवक

“आवाजाही के आह्वान को न मानें”

वहीं कुकी संगठनों ने प्रस्तावित मार्च को “खतरनाक उकसावा” बताया. उन्होंने FOCS सदस्यों को पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवेश न करने की चेतावनी दी. जनजातीय एकता समिति (CoTU) ने भी अमित शाह के फ्री मूवमेंट के आह्वान को अस्वीकार कर दिया. समिति ने कहा कि मार्च को सुविधाजनक बनाना “बफर ज़ोन” का “स्पष्ट उल्लंघन” होगा.

ITLF के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा, “हम माल की आवाजाही का स्वागत करते हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से लोगों की आवाजाही का स्वागत नहीं करते.लोग अभी भी बहुत बावुक हैं. वहीं कुकी समुदायक की अलग प्रशासन की मांग पर कोई बातचीत नहीं हुई है.” 
 


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button