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थर्मामीटर नहीं, राज़ कुछ और है.. जानें हर दिन इतना सटीक तापमान कैसे नापता है मौसम विभाग


नई दिल्ली:

उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी का प्रकोप जारी है और कई शहरों में अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश में सोमवार को 17 स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस के भी पार पहुंच गया है. वहीं राजस्थान के फलौदी में पारा 49.5 दर्ज किया गया. क्या आप जानते हैं कि आखिर कैसे तापमान के स्तर को मापा जाता है. तापमान का पता लगाने के लिए स्टीवेन्सन स्क्रीन (Stevenson screen) का प्रयोग किया जाता है. अधिकतम और न्यूनतम तापमान और आर्द्रता का स्तर स्टीवेन्सन स्क्रीन की मदद से आसानी से पता चल जाता है. आखिर किस तरह से स्टीवेन्सन स्क्रीन (Stevenson Screen Uses) के जरिए तापमान का मापा जाता है, आइए विस्तार से जानते हैं.

स्टीवेन्सन स्क्रीन (Stevenson screen) क्या है

स्टीवेन्सन स्क्रीन को स्कॉटिश सिविल इंजीनियर थॉमस स्टीवेन्सन ने डिजाइन किया था. थॉमस स्टीवेन्सन ने ही लाइटहाउस डिजाइन किया था. स्टीवेन्सन स्क्रीन का उपयोग अधिकतम और न्यूनतम तापमान और आर्द्रता को मापने के लिए विश्व स्तर पर होता है. ये एक बॉक्स के आकार का होता है, जो लकड़ी से बना होता है. इसके अंदर चार थर्मामीटर ड्राई बल्ब (DB), वेट बल्ब (WB), अधिकतम और न्यूनतम (अधिकतम और न्यूनतम) होते हैं. इस बॉक्स को केवल सफेद रंग से रंगा जाता है.

किस जगह इसे रखा जाए, इसका चयन भी काफी सोच समझकर किया जाता है. स्क्रीन को खुली हवा में रखा जाता है और सटीक अधिकतम तापमान मिल सके इसलिए थर्मामीटर को सीधे सूर्य की रोशनी या किसी भी गर्मी के स्रोत के पास नहीं रखा जाता है. इसकी ऊंचाई आमतौर पर जमीन से लगभग 4 फीट होती है. बॉक्स की फेसिंग नॉर्थ की तरफ होती है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि सूर्य की किरणें डायरेक्ट उसके अंदर न पड़े.

अधिकतम तापमान का कैसे पता चलता है

अधिकतम तापमान थर्मामीटर सुबह 8:30 बजे सेट किया जाता है. दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे के बीच, स्क्रीन अधिकतम तापमान रिकॉर्ड करती है. चरम पर पहुंचने के बाद, यह एक विशेष डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहता है, जिसे एक पर्यवेक्षक हर दिन शाम 5:30 बजे मैन्युअल रूप से रिकॉर्ड करता है. वहीं मिनिमम टेंप्रेचर सुबह साढ़े आठ बजे मापा जाता है. 

ह्यूमिडिटी की भी लगता है पता 

ह्यूमिडिटी मापने के लिए ड्राई बल्ब (DB) और वेट बल्ब (WB) का प्रयोग होता है. ये उपकरण सुबह 5.30 बजे से चौबीसों घंटे तक शुष्क और गीली हवा का मापन करते हैं. इन थर्मामीटरों की मदद से आसानी से पता चल जाता है कि किसी स्थान पर कितनी ह्यूमिडिटी है. (भाषा इनपुट के साथ)

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