ट्रंप के 'टैरिफ मैन' बनने की कहानी: 1980 के दशक में शुरू ट्रेड वॉर से आशिकी, 78 के उम्र में चढ़ा परवान

डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ के लिए इश्क किसी से छिपा नहीं है. बहुत कम ही चीजें होंगी जिसके बारे में वो इससे ज्यादा बात करते होंगे. लेकिन यह कोई नई बात भी नहीं है: वह 1980 के दशकों से ही ऐसी बात कह रहे हैं. ट्रंप ने 2024 के चुनाव के लिए अपने कैंपेन के दौरान बार-बार कहा, “मेरे लिए, शब्दकोश (डिक्सनरी) में सबसे सुंदर शब्द ‘टैरिफ’ है”. उन्होंने मजाक में कहा कि प्रेम, ईश्वर और परिवार के बाद अब यह उनका चौथा पसंदीदा शब्द है.
78 साल के रिपब्लिकन राष्ट्रपति बुधवार, 2 अप्रैल को अमेरिका के लिए लिबरेशन डे यानी “मुक्ति दिवस” का वादा कर चुके हैं. इस दिन वह अमेरिकी वस्तुओं के खिलाफ आयात शुल्क लगाने वाले किसी भी देश को टारगेट करके जवाबी टैरिफ लगाने जा रहे हैं. अचानक दिख रहा है कि दुनिया में एक टैरिफ वॉर शुरू हो गया है. इसने दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं को संकट में डाल दिया है. लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो ट्रंप का यह स्टैंड कोई नया नहीं है. दशकों से वह अपना यह स्टैंड दोहरा रहे हैं.
ट्रंप ने खुद 2018 में अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान एक सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की थी, “मैं एक टैरिफ मैन हूं.” ट्रंप ऐसा 1980 के दशक से ही कहते रहे हैं. तब उनका मुख्य टारगेट जापान था, क्योंकि ट्रंप उन दिनों एक प्रॉपर्टी डीलर और टैब्लॉइड फिक्सर के रूप में जाने जाते थे. ट्रंप ने तब 1987 में कहा था, “बहुत से लोग यह देखते हुए थक गए हैं कि अन्य देश अमेरिका को पछाड़ रहे हैं.. हमारी पीठ पीछे वे हमारी मूर्खता के कारण हम पर हंसते हैं.”
चैट शो होस्ट ओपरा विन्फ्रे के साथ एक अलग इंटरव्यू में, उन्होंने नाराज होकर कहा था: “हमने जापान को अंदर आने दिया और सब कुछ सीधे हमारे बाजारों में डाल दिया.”
1990 के दशक और 2000 के दशक की शुरुआत में, चीन उनके निशाने पर आ गया और कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ के साथ बीजिंग उनके शीर्ष टैरिफ लक्ष्यों में से एक बना हुआ है. 2016 के अपने सफल चुनावी कैंपेन में, ट्रंप ने बयानबाजी तेज करते हुए कहा: “हम चीन को हमारे देश पर बलात्कार करने की अनुमति नहीं दे सकते.”
(इनपुट- न्यूज एजेंसी एएफपी)