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जगन्‍नाथ मंदिर के खजाने में युद्ध के अस्‍त्र और राजाओं के मुकुट भी, रत्‍न भंडार में क्‍या मिली कोई सुरंग?


नई दिल्‍ली:

Jagannath Temple Ratna Bhandar: जगन्नाथ मंदिर के खजाने में बेशकीमती जेवरात हैं, ये बात बहुत पहले ही सामने आ गई थी. लेकिन रत्न भंडार में सदियों पुराने अस्‍त्र और उस समय के राजाओं के मुकुट होने की बात भी सामने आ रही है. इन अस्‍त्र और मुकुट का ऐतिहासिक महत्‍व है, जिसे लेकर लोगों की उत्‍सुकता बढ़ना लाजिमी है. हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर पर जगन्‍नाथ मंदिर के खजाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. जगन्नाथ मंदिर के बहुमूल्य सामान को रत्न भंडार से अस्थायी भंडार कक्ष में स्थानांतरित किया गया है. इस बीच यह भी सुनने को मिला था कि रत्‍न भंडार के भीतर एक सुरंग है. लेकिन गुप्‍त सुरंग के राज से अब पर्दा उठ गया है.  

रत्‍न भंडार में राजाओं के मुकुट, तलावार और भाले भी…  

The Hindkeshariके देव कुमार ने बताया कि रत्‍न भंडार में सिर्फ बहुमूल्‍य आभूषण और कीमती सामान ही नहीं है, बल्कि राजा-महाराजाओं के युद्ध के अस्‍त्र और मुकुट भी हैं. इनमें तलवार, भाले, कवच समेत कई ऐसे सामना भी है, जो इतिहास से रूबरू करा सकते हैं. ऐतिहासिक महत्‍व की ये चीजें भी बेशकीमती हैं. ऐसा कहा जाता है कि गजपति महाराजा जितने राजाओं से युद्ध जीतते थे, उनके मुकुट भगवान के जगन्‍नाथ के चरणों में अर्पित कर देते थे. बताया जा रहा है कि ये सभी मुकुट आज भी रत्‍न भंडार में रखे हैं. रत्‍न भंडार जांच समिति के अध्‍यक्ष विश्‍वनाथ रन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि रत्‍न भंडार में आभूषणों के साथ-साथ मुकुट, तलवार, भाले और युद्ध के अन्‍य साजो-सामान रखा है. हालांकि, उन्‍होंने यह नहीं बताया कि ये चीजें किस काल की हो सकती हैं.     

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क्‍या रत्‍न भंडार में कोई गुप्‍त सुरंग?

पुराने मंदिर और इमारतों से कई किदवंतियां जुड़ी होती है. जगन्‍नाथ मंदिर के साथ भी ऐसी ही कई किदवंतियां जुड़ी हैं. इनमें से एक है रत्‍न भंडार में गुप्‍त सुरंग. जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गोपनीय सुरंग होने को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच, पुरी के राजा एवं गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है. देव ने रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में सुरंग या गुप्त कक्षों की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही. कई स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गुप्त सुरंग है. देव ने कहा, “भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कक्ष की स्थिति का आकलन करने के लिए ‘लेजर स्कैन’ जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग कर सकता है. ऐसी तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण करने से सुरंगों जैसी किसी भी संरचना के बारे में जानकारी मिल सकती है.”

गुप्‍त सुरंग के राज से उठा पर्दा…! 

जगन्‍नाथ मंदिर की पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष एवं उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने कहा, “हमारे निरीक्षण के दौरान हमें सुरंग जैसी किसी विशेष चीज का कोई साक्ष्य नहीं मिला.” उन्होंने अन्य 10 सदस्यों के साथ भीतरी कक्ष में सात घंटे से अधिक समय बिताया. उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया पर और मीडिया से इस बारे में गलत सूचना फैलाने से बचने का आग्रह किया. समिति के एक अन्य सदस्य और सेवादार दुर्गा दासमहापात्रा ने कहा, “हमें रत्न भंडार में कोई गुप्त कक्ष या सुरंग नहीं दिखी. रत्न भंडार लगभग 20 फुट ऊंचा और 14 फुट लंबा है.”

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रत्‍न भंडार की दीवार में दरार

जगन्‍नाथ मंदिर के खजाने को रत्‍न भंडार में हुई टूट-फूट की मरम्‍मत के लिए खोला गया है. उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने निरीक्षण के दौरान सामने आईं कुछ छोटी-मोटी समस्याओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “छत से कई छोटे पत्थर गिरे थे और रत्न भंडार की दीवार में दरार आ गई. सौभाग्य से, फर्श में उतनी नमी नहीं थी जितनी आशंका थी.” बता दें कि रत्‍न भंडार की मरम्‍मत के लिए यहां रखी गयी मूल्यवान सामग्री और आभूषणों को एक अस्थायी भंडार में रखा गया है. 

बहुमूल्य सामान रत्न भंडार से अस्थायी भंडार कक्ष में स्थानांतरित

पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने  रत्न भंडार में रखी गयी मूल्यवान सामग्री और आभूषणों को एक अस्थायी भंडार कक्ष में स्थानांतरित करने का कार्य बृहस्पतिवार को सात घंटों के भीतर पूरा हो गया.  अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को इस सप्ताह दूसरी बार खोला गया ताकि बहुमूल्य चीजों को मंदिर परिसर के भीतर एक अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में रखा जा सके. जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरविंद पाढ़ी ने संवाददाताओं को बताया, “रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष से सभी कीमती सामान को सफलतापूर्वक मंदिर परिसर के भीतर एक अस्थायी ‘स्ट्रांग रूम’ में स्थानांतरित कर दिया गया है. लकड़ी और स्टील की अलमारियों और संदूकों सहित सात कंटेनरों को स्थानांतरित करने की पूरी प्रक्रिया में सात घंटे लगे.”
(भाषा इनपुट के साथ…)



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