देश में जल्द शुरू होगी दुनिया की सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब, रेल मंत्री ने दी जानकारी

नई दिल्ली:
आप जल्द ही 300 या उससे ज्यादा किलोमीटर का सफर कुछ मिनट में तय कर पाएंगे. दरअसल, देश में एक ऐसा हापरलूप ट्यूब तैयार हो रहा है जिसके शुरू होने के बाद आप महज 30 मिनट में 300 किलोमीटर का सफर तय कर पाएंगे. इस हाइपरलूप ट्यूब को रेलवे, आईआईटी मद्रास की मदद से डेवलप कर रहा है. इस हाइपरलूप को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि एशिया की सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब (410 मीटर)… जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी होगी.
रेल मंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट कर दी जानकारी
Longest Hyperloop tube in Asia (410 m)… soon to be the world’s longest.@iitmadras pic.twitter.com/kYknzfO38l
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 16, 2025
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ दिन पहले भी इसे लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स एक पोस्ट भी साझा किया था. 422 मीटर के इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को IIT मद्रास की मदद से तैयार किया गया है. रेल मंत्री ने टेस्ट ट्रैक के तैयार होने पर बधाई भी दी थी. साथ ही कहा था कि ये भविष्य के यातायात को और सुगम बनाएगा.
हाइपर लूप को भविष्य की तकनीक माना जा रहा है. इस तकनीक के तहत ट्रेन को एक खास ट्यूब में हाई स्पीड में चलाया जा सकता है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसपर ट्रेन के ट्रायल शुरू होंगे. सब कुछ ठीक रहा और भारत में हाइपरलूप ट्रेन की शुरुआत होती है तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का पूरा ढांचा ही बदल जाएगा.
हाइपरलूप ट्रैक आखिर होता क्या है?
सरल भाषा में अगर आपको समझना चाहें तो हाइपलूप एक अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो वैक्यूम ट्यूब में विशेष कैप्सूल के जरिए अत्यधिक तेज रफ्तार से यात्रा करने की संभावना प्रदान करती है. वर्जिन हाइपरलूप का टेस्ट 9 नवंबर 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 500 मीटर के ट्रैक पर एक पॉड के साथ आयोजित किया गया था. इसकी रफ्तार 161 किलोमीटर प्रति घंटा थी.

यूरोप में इस्तेमाल में लाई जा रही है ये तकनकी
विश्व के कई देशों में हाइपरलूप तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यूरोप में सबसे लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक खुल चुका है. इसे ऑपरेट करने वालों का कहना है कि यह सुविधा आने वाले समय में लोगों के सामने हाइपरलूप की आवश्यकता को और बेहतर तरीके से परिभाषित करेगी. कहा जा रहा है कि वर्ष 2050 तक यूरोप के चारों ओर हाइपरलूप का कुल 10000 किलोमीटर लंबा जाल विकसित हो चुका होगा.