तब मुलायम सहसवान छोड़कर आए थे दिल्ली, अब अखिलेश के करहल छोड़ने का दांव समझिए
इस लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने पीडीए- पिछड़ा, अल्पसंख्यक और दलित का फार्मूला ईजाद किया. इसके दम पर अखिलेश ने बीजेपी के पिछड़ा वोटबैंक में सेंध लगाई. उत्तर प्रदेश में गैर यादव ओबीसी को टिकट देकर बीजेपी ने अपना विजयपथ तैयार किया था.उसे मात देने के लिए अखिलेश ने इस चुनाव में केवल पांच यादवों और चार मुसलमानों को टिकट दिया.इसका परिणाम भी सपा के पक्ष में गया.सपा ने कुर्मी बहुल अधिकांश सीटों पर जीत हासिल कर ली.
सपा के राष्ट्रीय राजनीति में छाने के सपने को पीडीए फार्मूला पूरा कर सकता है. उसे इस फार्मूले पर राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सफलता मिल सकती है. लेकिन इसके लिए उसे कांग्रेस और राजद जैसे दलों से दोस्ती को लंबे समय तक कायम रखना होगा.क्योंकि इन राज्यों में ये दोनों पार्टियां विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टियां हैं. लालू प्रसाद यादव से रिश्ते की वजह से सपा को बिहार में बहुत मुश्किल नहीं आएगी.
अखिलेश यादव के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी प्रगाढ़ रिश्ते हैं.इसे इस तरह समझ सकते हैं कि इस लोकसभा चुनाव में सपा ने अपने कोटे की एक सीट ममता की तृणमूल कांग्रेस को दी थी.हालांकि तृणमूल को सफलता तो नहीं मिली. लेकिन उसे दूसरा स्थान जरूर मिल गया. अखिलेश अगर चाहें तो वो पश्चिम बंगाल में भी पैर पसार सकते हैं, जो सपा के राष्ट्रीय पार्टी बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा. सपा के लिए महाराष्ट्र में भी अच्छा आधार है. वहां से उसके विधायक भी जीते हैं.
अखिलेश यादव की आकंक्षा
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पांच जून को अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा था,”जनाकांक्षा का प्रतीक ‘इंडिया गठबंधन’ जनसेवा के अपने संकल्प पर अडिग रहेगा,एकजुट रहेगा और संविधान, लोकतंत्र , आरक्षण, मान-सम्मान-स्वाभिमान बचाने तथा बेरोज़गारी,महंगाई, भ्रष्टाचार के कष्ट और संकट से जनता को मुक्त करने के अपने प्रयासों को निरंतर रखेगा.”
उन्होंने लिखा था, ”इंडिया गठबंधन PDA का राष्ट्र-व्यापी विस्तार करने और PDA के लिए लगातार संघर्ष करते रहने के लिए वचनबद्ध है. इंडिया गठबंधन किसान, मजदूर, युवा, महिला, कारोबारी-व्यापारी, नौकरीपेशा और सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के मुद्दों को आधार बनाकर,उनकी आवाज बनने का काम करता रहेगा.देश की समझदार जनता का धन्यवाद, शुक्रिया और आभार.” जाहिर है अखिलेश राष्ट्रीय राजनीति में जाकर अपनी छवि ऐसी बनाना चाहते हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ का मुकाबला मिल सके. अगर वो ऐसा कर पाते हैं तो निश्चित तौर पर उन्हें और उनकी पार्टी को फायदा होगा.
पार्टी एक सूत्र के मुताबिक सपा जल्द ही दूसरे राज्यों में नए प्रभारियों की नियुक्ती करेगी.उन राज्यों में अधारा बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यक्रमों का भी आयोजन करेगी.इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से जो जोश पैदा हुआ है, पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं में बनाए रखना चाहती है, जिससे पिछले दो चुनाव में मिली हार से उबरकर एक बार फिर प्रदेश में सपा की सरकार बन सके.
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