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Exit Poll में है बड़ा झोल, क्या आपको याद है चुनाव आयोग की ये बात

Maharashtra Jharkhand Exit Polls: आज महाराष्ट्र के साथ-साथ झारखंड के दूसरे और आखिरी चरण के साथ ही उपचुनावों के लिए मतदान समाप्त हो जाएगा. इसके तुरंत बाद एग्जिट पोल्स आना शुरू हो जाएंगे. हर किसी की नजर इन एग्जिट पोल्स पर होती है और लोकतंत्र में होनी भी चाहिए, मगर इन्हें सटीक समझकर ये मान लेने कि नतीजे भी ऐसे ही सौ फीसदी आएंगे ये लोकतंत्र के लिए घातक हो रहा है. ज्यादातर राजनीतित दल एग्जिट पोल में बढ़त दिखने के बाद अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ देते हैं. अब समझने वाली बात ये है कि न तो एग्जिट पोल चुनाव आयोग कराता है और न वो लोगों से किसी पार्टी के लिए वोट करवाता है. उसका जिम्मा निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराना और जनता के मत को गिनकर ये बताना है कि किस दल को कितने वोट मिले. हालांकि, सब कुछ जानते हुए भी ऐसे दलों के निशाने पर चुनाव आयोग है. आखिर एग्जिट पोल्स में क्या है झोल…यहां जानिए..

चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने क्या कहा?

झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा करने जब चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार (Chief Election Commissioner Rajiv Kumar ) मीडिया के सामने आये तो किसी ने एग्जिट पोल को लेकर उनसे सवाल पूछ लिया. बस फिर राजीव कुमार ने एग्जिट पोल और सवाल उठाने वाले राजनीतिक दलों की पोल खोल दी. उन्होंने कहा,”एक्चुअली मैं इस सवाल से बचना चाहता था लेकिन आपने पूछ लिया है तो ये जान लीजिए कि एग्जिट पोल्स के आने की वजह से एक एक्सपेक्टेशन सेट हो जाता है. इससे एक बहुत बड़ा डिस्टॉर्शन पैदा हो रहा है. ये प्रेस के लिए और खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए एक आत्म चिंतन का और आत्म मंथन का भी विषय है.  पिछले कुछ इलेक्शन से दो-तीन चीजें एक साथ हो रही हैं. अगर हम उसके पूरे कैनवस को एक साथ देखें तो और यह सबके लिए समझना जरूरी है कि एग्जिट पोल को हम गवर्न नहीं करते, लेकिन ये आत्म चिंतन की जरूरत जरूर है कि एग्जिट पोल का सैंपल साइज क्या था? उसका सर्वे कहां हुआ? उसका रिजल्ट कैसे आया? अगर एग्जिट पोल उस रिजल्ट से मैच नहीं किया तो मेरी क्या रिस्पांसिबिलिटी है? कहीं कोई डिस्क्लोजर है कि नहीं? ये सब देखने की जरूरत है.”

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समय से पहले कैसे?

राजीव कुमार ने आगे कहा, “इसी से जुड़ा हुआ दूसरा विषय है जो कि बहुत ही इंपॉर्टेंट है. जिस दिन पोलिंग खत्म हुई उसके थर्ड डे काउंटिंग होती है. तो आज शाम को 6 बजे से एग्जिट पोल आने के बाद एक एक्सपेक्टेशन राइज हुई. सबने सोचा यह होने वाला है, जिसका कोई साइंटिफिक आधार या डिस्क्लोजर पब्लिक में डिस्प्लेजर में नहीं है. जब काउंटिंग का दिन होता है तो 8:05 मिनट और 8:10 मिनट से ही रिजल्ट आने शुरू हो जाते हैं. आप बताइए मेरी पहली काउंटिंग 8:30 बजे शुरू होती है और हमारे पास प्रमाण है हर बार 8:05, 8:10, 8:15 तक टीवी पर चलने लगता है इतने की लीड, इतने की लीड, इतने की लीड, इतने की लीड.ये कैसे होता है?”

“पहले राउंड की काउंटिंग से पहले ही…”

चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने बताया, “एग्जिट पोल को जस्टिफाई करने के लिए कहा जाता है कि ट्रेंड्स आ गए. हमने एग्जिट पोल में ऐसा कहा तो वैसे ही ट्रेंड हो रहा है. बाद में जो होगा, वो होगा. सच्चाई ये है कि 8:30 बजे जब काउंटिंग शुरू हो रही है तो 9 बजकर 10 मिनट,  9 बजकर 15 मिनट या 9 बजकर 20 मिनट तक एक राउंड में लग जाता है. हम उसको 9:30 बजे वेबसाइट पर डालते हैं. कभी भी देख लीजिए. एक के बाद एक चुनाव में 9:30 बजे ही पहला राउंड का हम अपनी वेबसाइट पर डालते हैं. फिर 11:30 बजे  डालते हैं. फिर 1:30 बजे. चलिए ये भी मान लिया कि आपका मतगणना स्थल पर कोई संवाददाता मौजूद थे. उन्होंने पहले बता दिया. काउंटिंग के प्रोसेस में रिजल्ट को स्क्रीन पर दिखाना पड़ता है. एजेंट के साइन लेने पड़ते हैं. ऑब्जर्वर से जस्टिफाई कराना पड़ता है तो ऑफिशियल साइट पर आने में आधा घंटा लग सकता है, लेकिन फिर भी नौ बजे से पहले कैसे पहले राउंड की पिक्चर कैसे क्लियर हो सकती है. जब काउंटिंग पूरी ही नहीं हुई. तो एग्जिट पोल्स की एक्सपेक्टेशन को टीवी पर तब तक लीड बताते हैं. जब एक्चुअल रिजल्ट्स आने शुरू होते हैं तो एक मिसमैच होता है और तब शुरू होता है भ्रम और आरोप का दौर. यह एक विषय ऐसा है, जिस पर हम कुछ नहीं कर सकते. हमारे हाथ बंधे हुए हैं, लेकिन मुझे पता है इस पर मंथन होगा. जब भी हमारे देश में कुछ दिक्कत होती है तो उस पर मंथन होता है और रास्ता निकलता है.”

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