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योजना है और लाभार्थी भी… फिर 9 साल से क्यों जंग खा रही हैं 5500 साइकिलें?


अंकलेश्वर:

गुजरात में अगर किसी सरकारी योजना का लाभ तय समय सीमा के भीतर लाभार्थी तक पहुंच जाए तो इसे चमत्कार माना जाता है. सरकार बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा तो करती है, लेकिन उन्हें लागू करने में सरकारी बाबुओं की सुस्ती और योजना की कमी साफ नजर आती है. नतीजा यह होता है कि कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं भी सरकारी अधिकारियों, नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण तय समय सीमा के भीतर अपने सही लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाती हैं. इसके कारण लाभार्थियों को ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अंकलेश्वर में ऐसी ही एक महत्वपूर्ण योजना इस समय सरकारी सुस्ती की भेंट चढ़ रही है. 

अंकलेश्वर के खेड़ा जिले में सरकारी स्कूल में 5500 साइकिलें 9 साल से खुले में बेकार पड़ी हुई हैं. इन साइकिलों को सरकारी योजनाओं के तहस अंकलेश्वर के MTM गर्ल्स हाईस्कूल और जिनवाला हाईस्कूल में छात्राओं को दी जानी थी. लेकिन अलॉटमेंट नहीं हो पाया. खुले में पड़े होने के कारण बारिश और धूप की वजह से ज्यादातर साइकिलों में जंग लग चुकी है. अब ये साइकिलें किसी काम की नहीं रहीं. कइयों को पार्ट्स गलने लगे हैं.
 

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छात्र-छात्राओं को स्कूल जाने के लिए राज्य सरकार साइकिल बांटने पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन, बच्चों के बीच साइकिल वितरण की व्यवस्था जिनके जिम्मे होता है, वह अलग लापरवाह होता है तो नई चमचमाती साइकिलों को जंग लगकर सड़ते देर नहीं लगती.

अंकलेश्वर पालिका के पूर्व अध्यक्ष भूपेन्द्र जानी बताते हैं, “साइकिलों की यह मात्रा अंकलेश्वर नगर पालिका द्वारा संचालित विभिन्न स्कूलों में पड़ी है, जिसे अंकलेश्वर, हंसोट और जंबूसर सहित तालुकाओं के छात्रों को वितरित किया जाना था. अलॉटमेंट नहीं होने से छात्रों को सरकार द्वारा दी जाने वाली योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है.”

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इसी तरह जंबूसर के स्कूलों में भी साइकिलों की संख्या गिर गई है. जंबूसर में भी बड़ी मात्रा में साइकिलें जंग खा रही हैं. 

इस संबंध में जब भरूच के समाज कल्याण अधिकारी कल्पना चौधरी से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “इन साइकिलों को सरस्वती साधना योजना के तहत विद्यार्थियों को वितरित किया जाना है, लेकिन अभी तक वितरण का आदेश नहीं मिला है. अगले कुछ दिनों में ऑर्डर आते ही ये साइकिलें वितरित कर दी जाएंगी.”

 


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