राज्यों का कोई GST बकाया नहीं, कुछ प्रदेशों ने एजी रिपोर्ट नहीं सौंपी : वित्त मंत्री
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उन्होंने कहा, ‘यह समझना अहम है कि एजी का प्रमाणन (अनिवार्य) है… अगर एजी का प्रमाण पत्र हमें नहीं मिलता है, तो हम इसे मंजूरी नहीं दे सकते.’
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ राज्य, एजी का प्रमाण पत्र भेजने के बाद भी केंद्र से तब तक रुकने के लिए कहते हैं जब तक वे इसे अंतिम मंजूरी नहीं दे देते.
वह तृणमूल कांग्रेस सदस्य साकेत गोखले के एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे, जिन्होंने राज्यों, खासकर पश्चिम बंगाल के जीएसटी बकाया के बारे में सवाल किया था.
वित्त मंत्री ने कहा कि वह विशेष तौर पर कुछ राज्यों के नाम बताएंगी ‘ताकि लोगों के मन में कोई संदेह नहीं रहे’.
उन्होंने कहा कि गोवा ने वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए एजी का प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है. उसने अब तक वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 की पहली तिमाही की रिपोर्ट भी नहीं भेजी है.
वित्त मंत्री ने कहा, ”2022-23 के लिए कर्नाटक को छोड़कर किसी राज्य ने अभी तक एजी का प्रमाणपत्र नहीं दिया है. पश्चिम बंगाल ने वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 की पहली तिमाही तक एजी की रिपोर्ट नहीं भेजी है.”
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल से एजी का प्रमाण पत्र नहीं आया है, इसलिए राशि जारी नहीं की जाएगी. इसे लंबित कहना, उचित नहीं होगा. उन्हें एजी का प्रमाण पत्र भेजने दीजिए, हम इसे मंजूरी दे देंगे.’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘केरल ने हमें एजी का प्रमाण पत्र भेजा है, लेकिन हमें तब तक रुकने के लिए कहा है जब तक वे एजी के साथ संख्याओं का मिलान नहीं कर लेते। इसलिए हम रुके हुए हैं. यह हमारी ओर से लंबित नहीं है.’
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक अन्य पूरक सवाल के जवाब में कहा कि किसी भी राज्य सरकार का कोई जीएसटी बकाया नहीं है और संबंधित राज्यों को पहले ही राशि जारी की जा चुकी है.
उन्होंने कहा, ‘कुछ राज्यों ने अपनी एजी रिपोर्ट नहीं भेजी है, इसके बावजूद हमने कुछ अस्थायी भुगतान किए हैं. एजी की रिपोर्ट मिलने के बाद उन्हें अंतिम भुगतान मिल जाएगा.”
कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने गिरफ्तारी के प्रावधानों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और सवाल किया कि सरकार जीएसटी ‘फाइलिंग’ प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए क्या कदम उठाएगी.
इसके जवाब में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद में राज्य सरकारों के वित्त मंत्री शामिल हैं और परिषद को व्यापारियों और व्यापारिक समुदायों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया जा रहा है. उन्होंने कहा, ”जीएसटी परिषद इन चीजों पर चर्चा करती है और समय-समय पर प्रक्रिया को उसी के अनुसार सरल बनाया जाता है.”
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