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इजरायल हमास में जंग रुकने के आसार, मसला यहां अटक गया


नई दिल्ली:

Israel Hamas war: हमास की ओर से किए गए 7 अक्तूबर के हमले के बाद से इजरायल लगातार गाज़ा में हमास के मिटाने के लिए हमले किए पड़ा है. साथ ही गाज़ा में इजरायल ने इतना नुकसान कर दिया है कि गाज़ा को दोबारा खड़े होने में अब 100 साल तक लग जाएगा. ऐसे में यह तो साफ है कि युद्ध किसी भी देश के हित में नहीं है. हमास और इजरायल के नेताओं को यह बात समझ में आ रही है. दोनों ओर से युद्ध समाप्त करने की शर्तों पर बातचीत शुरू होने के आसार नज़र आने लगे हैं. 

एक समझौता संभव है

अब हमास के एक शीर्ष अधिकारी ने संकेत दिया है कि गाज़ा में हमास अब इजरायल के साथ एक समझौते के लिए तैयार है. इसका कारण यह है कि युद्ध समाप्त करने और बंधकों को मुक्त करने के उद्देश्य से दोहा में बातचीत फिर शुरू होने की उम्मीद है. हमास के कतर स्थित राजनीतिक ब्यूरो के एक वरिष्ठ सदस्य हुसाम बदरन ने हमास समर्थक शहाब समाचार एजेंसी द्वारा दिए गए एक बयान में कहा कि एक समझौता संभव है.

बेंजामिन पर दबाव

बदरन का कहना है कि हमारी मांगें स्पष्ट और ज्ञात हैं, और एक समझौते पर पहुंचा जा सकता है, बशर्ते इजरायल की पीएम बेंजामिन नेतन्याहू उस बात के लिए प्रतिबद्ध रहें जिस पर पहले ही सहमति हो चुकी है. बता दें कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बदरन की टिप्पणियां गाजा में चार इजरायली बंधकों को कुछ फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में दो दिवसीय युद्धविराम के मिस्र के प्रस्ताव की प्रतिक्रिया में हैं, जिसके बाद 10 दिनों की वार्ता होगी.

हमास की 2 जुलाई की मांगें महत्वपूर्ण

सऊदी समाचार स्टेशन अल अरबिया ने पहले खबर दी थी कि हमास मिस्र के प्रस्ताव को तब तक स्वीकार करने को तैयार है जब तक कि उसे बंधक समझौते के लिए उसकी 2 जुलाई की मांगों में शामिल किया जाता है. इसमें यह गारंटी भी मांगी गई है कि इजराइल एक व्यापक समझौते का हिस्सा होने के नाते मिस्र के प्रस्ताव के लिए प्रतिबद्ध होगा.

हमास के सूत्रों ने सऊदी चैनल अशरक न्यूज़ को यह भी बताया कि समूह टुकड़ों में समझौते के बजाय एक व्यापक समझौते को प्राथमिकता देता है. 

दोहा में जगी उम्मीद की किरण

बता दें कि मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया सीआईए निदेशक बिल बर्न्स और कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी के साथ बंधक रिहाई समझौते की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए दोहा गए हैं. वे रविवार को दोहा पहुंचे हैं. 

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इस पूरे मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि  अधिकारी  हाल के घटनाक्रमों के आधार पर हमास की कैद से बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत फिर शुरू करने की विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा करेंगे.

सिनवार की मौत के बाद हमास पर भी दबाव

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में आईडीएफ सैनिकों द्वारा हमास नेता याह्या सिनवार को एक हमले में मार गिराया था. इसके बाद से एक बार फिर इजरायल और हमास के बीच समझौते की बात होने लगी थी. इसके साथ ही गाजा में रखे गए कुछ या सभी बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल ने सशर्त मांग हमास के बाकी बचे लड़ाकों के सामने रखी थी. 

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हमास जानना चाहता है शर्तें

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खबर यह है कि हमास इस बातचीत में तुरंत शामिल होने का इच्छुक नहीं है. हमास की ओर से इशारा है कि पहले शांति के समझौते की कुछ बातें स्पष्ट रूप से उनके सामने आएं तब वह कुछ कहने और कर पाने की स्थिति में पहुंचेगा. एक इजराइली अधिकारी ने द टाइम्स ऑफ इजराइल को बताया है कि हमास बैठक के इस दौर में शामिल नहीं होगा, लेकिन संभावित रूप से अगले दौर में शामिल हो सकता है, जिसमें आतंकवादी समूह और इजरायली वार्ताकारों के बीच मध्यस्थ बातचीत करेंगे. गौरतलब है कि कतर में हमास के कई शीर्ष नेता मौजूद हैं.

बातचीत में शुरुआत चाहता है इजरायल

इजरायली अधिकारी का कहना है कि एक व्यापक समझौते के बारे में हमास के साथ बातचीत शुरू करने और सिनवार की मृत्यु के बाद हमास के निर्णय लेने को समझने के लिए यह जरूरी है कि एक छोटा समझौता हो ताकि विस्तार वाले समझौता का रास्ता बन सके. 

मिश्र का दो दिवसीय युद्धविराम का प्रस्ताव

उल्लेखनीय है कि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सिसी ने रविवार को काहिरा में कहा कि उनके देश ने कुछ फिलिस्तीनी कैदियों के बदले चार इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए गाजा में दो दिवसीय युद्धविराम का प्रस्ताव रखा है.

चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के प्रस्ताव में कहा गया है. इसमें 4 बंधकों की रिहाई के बाद 10 दिनों की बातचीत शामिल होगी. शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार द्वारा पिछले सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा कैबिनेट में यह प्रस्ताव किया गया था.

नेतन्याहू को नामंजूर यह समझौता

मिश्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह एल सिस्सी ने कहा कि उनके देश में दो दिवसीय गाज़ा युद्धविराम का प्रस्ताव दिया है. इस दौरान चार इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की जाएगी.  बताया जा रहा है कि इस प्रकार के समझौते को इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने नकार दिया. उन्होंने कुछ और बातें जोड़े जाने के लिए कहा है. चैनल 12 ने कहा, बंधकों की रिहाई से पहले शुरुआती दो दिवसीय युद्धविराम के कारण नेतन्याहू ने प्रस्ताव को मतदान में नहीं लाने का फैसला किया और शर्तों में सुधार के लिए बार को मिस्र वापस भेज दिया.

हमास को इजरायल से व्यापक समझौते की उम्मीद

उधर हमास की ओर से भी शर्तों पर बदलाव की बात कही जा रही है. अल अरेबिया चैनल के अनुसार, हमास ने मिश्र के प्रस्ताव को स्वीकार करने की बात कही है लेकिन यह भी कहा है कि 2 जुलाई को तय बातचीत की बातों को भी समझौते में शामिल किया जाए. उनकी मांग है कि यह विस्तार वाले समझौते में शामिल किया जाए. हमास यह भी गारंटी चाहता है कि इजराइल एक व्यापक समझौते का हिस्सा बनने के लिए मिस्र के प्रस्ताव के प्रति प्रतिबद्ध होगा.

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हमास भेज सकता है वार्ताकार

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सऊदी चैनल अशरक न्यूज़ ने दावा किया है कि हमास के अधिकारियों का कहना है कि हमास युद्ध को तत्काल समाप्त करने और गाजा पट्टी से इजरायली सैनिकों की वापसी और सभी इजरायली बंधकों की एक बार में रिहाई के बदले में एक निश्चित संख्या में फिलिस्तीनी बंदियों की अदला-बदली के लिए एक व्यापक समझौते के साथ वार्ताकारों को भेजेगा. 

अशरक चैनल के हमास सूत्र का कहना है कि वे प्रस्तावों को सुनेंगे, लेकिन अपने हिस्से के लिए, वे एक व्यापक समझौते को प्राथमिकता देते हैं जो एक चरण में हो और कैदी के बदले में युद्ध को हमेशा के लिए समाप्त कर दे. अदला-बदली जिसके तहत इजरायली जेलों में फिलिस्तीनी कैदियों की एक सहमत संख्या के बदले में सभी इजरायली बंदियों को रिहा किया जाए.

बार्निया का प्रस्ताव

बता दें कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार  पिछले हफ्ते मिस्र में बार्निया ने हमास नेताओं को गाजा पट्टी से सुरक्षित रास्ता देने की पेशकश की थी. मगर शर्त यह थी कि  वे निहत्थे हो जाएं और अपने पास मौजूद 101 बंधकों को मुक्त कर दें.

हमास को गलत समझ रहा इजरायल

लेकिन, हमास ने तुरंत ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.  गाजा के लिए हमास के उप नेता खलील अल-हया ने कहा कि इस प्रस्ताव से पता चलता है कि इज़राइल ने हमास समूह को गलत समझा.

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सिनवार के सामने कहां अटकी थी वार्ता
सिनवार के मारे जाने से पहले, इज़राइल और हमास इस बात पर परोक्ष बातचीत में भिड़ गए थे कि क्या युद्धविराम युद्ध का अंत होगा. इसके अलावा मुक्त किए जाने वाले इज़रायली बंधकों और फ़िलिस्तीनी कैदियों की संख्या और पहचान पर पर मतभेद थे. इसके साथ ही इस पर भी विवाद था कि क्या इज़राइल गाजा-मिस्र सीमा पर नियंत्रण बनाए रखेगा और अंत में यह भी मुद्दा नहीं सुलझा कि क्या इज़राइल उत्तरी गाजा में निवासियों की वापसी की अनुमति देगा. इन प्रमुख मुद्दों के अलावा भी कुछ अन्य बातें नहीं सुलझ पाईं थीं.

बंधकों की स्थिति

ऐसा माना जाता है कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा अगवा किए गए 251 बंधकों में से 97 गाजा में बचे हुए हैं. इनमें आईडीएफ द्वारा पुष्टि की गई है कि कम से कम 34 के शव मिल गए हैं. हमास के पास 2014 और 2015 में गाज़ा पट्टी में प्रवेश करने वाले दो इजरायली नागरिकों के साथ-साथ 2014 में मारे गए दो आईडीएफ सैनिकों के शव भी हैं.

वरिष्ठ इज़रायली अधिकारियों ने रविवार को राजकीय समारोह के दौरान बंधकों को घर लाने के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रतिज्ञा ली है. वहीं, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि जीवित और मृत बंधकों की वापसी एक “पवित्र मिशन” है. गौरतलब है कि रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने ज़ोर देकर कहा कि हर लक्ष्य सैन्य बल के ज़रिए हासिल नहीं किया जा सकता.
गैलेंट का कहना है कि बंधकों को उनके घर लौटाना कठिन समझौते की मांग करता है. हमें बंधकों के लिए, उनके परिवारों के लिए, इस लक्ष्य के लिए शहीद हुए सैनिकों के लिए, आईडीएफ की विरासत के लिए और यहूदी और राष्ट्रीय लोकाचार के नाम पर ऐसा करना चाहिए.

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सिनवार के हस्तलिखित 3 दस्तावेज मिले

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को फिलिस्तीनी अल-कुद्स अखबार ने कथित तौर पर सिनवार द्वारा हस्तलिखित तीन दस्तावेज़ प्रकाशित किए.इसमें उन्होंने बंधकों को पकड़ने वालों के लिए निर्देश दिए थे. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि दस्तावेज़ कब के हैं. पहला दस्तावेज़ फ़िलिस्तीनी सुरक्षा कैदियों को मुक्त करने के लिए दुश्मन के कैदियों के जीवन की देखभाल करने और उन्हें सुरक्षित रखने के दायित्व पर जोर देता है. यह दस्तावेज कहता है कि ये कैदी एक महत्वपूर्ण सौदेबाजी का हिस्सा हैं. अल-कुद्स ने बताया कि दस्तावेज़ में बंधक बनाने के मामले पर कुरान की आयतें भी शामिल हैं. दूसरे दस्तावेज़ में तीन क्षेत्रों में रखे गए 112 अज्ञात बंधकों का डेटा शामिल है: गाजा शहर (14 बंधक), मध्य गाजा (25 बंधक), और दक्षिणी गाजा का राफा (51 बंधक). 22 बंधकों का चौथा समूह बिना किसी स्थान के सूचीबद्ध है.

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प्रत्येक स्थान पर बंधकों को उनके लिंग, उम्र – 60 से ऊपर या नीचे, या युवा – और चाहे वे नागरिक हों या सैनिक, के अनुसार अलग-अलग श्रेणियों में बांटा किया गया है.

दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि एक बेडौइन को गाजा शहर में और चार को राफा में बंधक बनाया गया था, उनमें से एक 55 वर्षीय व्यक्ति था. माना जाता है कि ये चारों यूसुफ ज़ियादने और उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें से दो को पिछले नवंबर में एक सप्ताह के युद्धविराम के दौरान रिहा कर दिया गया था.

तीसरे दस्तावेज़ में 11 महिला बंधकों की सूची शामिल है जिन्हें युद्ध के शुरुआत में ही रिहा कर दिया गया था, उनमें से अधिकांश को नवंबर के युद्धविराम के दौरान रिहा किया गया था. 11 बंधकों को उनके नाम, उम्र और क्या उनके पास विदेशी नागरिकता है, के साथ सूचीबद्ध किया गया है.

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गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर हमला किया था. इस हमले में 1206 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही हमास अपने साथ करीब 255 इजरायली बंधक भी ले गया था. इस हमले के जवाब में इजरायल ने गाज़ा में कहर ढा दिया. अब तक इजरायल के हमले में 50000 के करीब फिलिस्तीनी लोगों की मौत हो गई है. 


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