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हमास के खात्मे की खाई थी कसम, फिर हिज्बुल्लाह से क्यों भिड़ा? एक्सपर्ट्स से समझिए क्या चाहता है इजरायल


नई दिल्ली:

पश्चिम एशिया में करीब एक साल से इजरायल और हमास के बीच जंग चल रही है. गाजा में 7 अक्टूबर 2023 से चल रहे इस युद्ध में अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अब इस जंग की आग लेबनान में भी फैल रही है. इजरायल और हिज्बुल्लाह ने एक-दूसरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इजरायल ने सोमवार को अपने पड़ोसी लेबनान से ऑपरेट कर रहे हिज्बुल्लाह के 800 ठिकानों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए. आसमान से हुई बमबारी और रॉकेट हमलों में अब तक कम से कम 274 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 21 बच्चे भी शामिल हैं. एयर स्ट्राइक में 5000 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं.

वहीं, हिज्बुल्लाह ने पेजर और वॉकी टॉकी धमाकों के बाद इजरायल के कई शहरों पर रॉकेट हमले तेज़ कर दिए हैं. इस सबके बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू और हिज्बुल्लाह के नेता नईम कासिम ने युद्ध को लेकर चेतावनी जारी कर दी है. इजरायल ने ऐहतिहान 7 दिनों की इमरजेंसी भी लगा दी है. इस बीच सवाल उठता है कि जब इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 को रॉकेट हमलों के बाद हमास के खात्मे की कसम खाई थी, तो अब वो हिज्बुल्लाह को टारगेट क्यों बना रहा है? आखिर दुनिया से इजरायल क्या चाहता है:-

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
इजरायल ने गाजा, फिर सीरिया और अब लेबनान में मोर्चा खोल दिया है. आखिर पश्चिम एशिया में क्या चल रहा है? इसका जवाब समझाते हुए पश्चिम एशिया विशेषज्ञ वाइल एस अव्वाद कहते हैं, “1960 में एक गरीब शिया परिवार में पैदा हुए हसन नसरल्लाह ईरान में पैदा हुए इमाम सैयद मूसा सद्र से बहुत प्रभावित थे. सद्र ने 1974 में लेबनान के शिया समुदाय को ताकतवर बनाने के लिए ‘मूवमेंट ऑफ डिप्राइव्ड’ की शुरुआत की. जिसे लेबनान में बाद में ‘अमल’ नाम से जाना गया. 1982 में शिया इस्लामिस्ट पॉलिटिकल पार्टी हिज्बुल्लाह अस्तित्व में आया.” 

अव्वाद कहते हैं, “पिछले एक साल से इजरायल और फिलीस्तीन के बीच जंग से गाजा 85% तक तबाह हो चुका है. अभी तक करीब डेढ़ लाख लोग मारे जा चुके हैं. इजरायल ने हमास को जड़ समेत खत्म करने की कसम खाई है, लेकिन अभी तक हमास खत्म नहीं हुआ है. लिहाजा जंग जारी है. हिज्बुल्लाह हमास और गाजा के प्रति हमदर्दी रखता है. जंग में अब वह भी इजरायल पर हमले कर रहे है. हिज्बुल्लाह ने साफ ऐलान किया है कि जब तक इजरायल जंग खत्म नहीं कर देता, तब तक उसके हमले भी जारी रहेंगे. इसलिए हाल के दिनों में हालात खराब हो गए हैं.”

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क्या पूरा लेबनान हिज्बुल्लाह को सपोर्ट करता है? 
इसके जवाब में पश्चिम एशिया के एक्सपर्ट कमर आगा कहते हैं, “इलिगल इमिग्रेशन पूरी तरह से हिज्बुल्लाह के पक्ष में है. हाल के हमलों को देखकर ऐसा लगता है कि हालात कहीं आउट ऑफ कंट्रोल न हो जाए. सिर्फ हिज्बुल्लाह अकेला नहीं है. उसके साथ दूसरे संगठन भी हैं. शायद भविष्य में वो भी हमले करे. आगे जाकर जंग की ये आग यमन में जाएगी, फिर इराक भी इसमें चलेगा. यानी इजरायल-फिलीस्तीन के बीच शुरू हुई ये जंग भविष्य में कई फ्रंट पर फैल सकती है.”

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आखिर क्या चाहता है इजरायल?
कमर आगा ने कहा, “जंग के माहौल में हमें ये समझने की भी जरूरत है कि आखिर इजरायल के मोटिव क्या हैं? इजरायल क्या चाहता है? दरअसल, इजरायल चाहता है कि लेबनान हिज्बुल्लाह के लड़ाकों से दक्षिण इलाके को खाली करा ले. यह एरिया इजरायल के बॉर्डर से करीब 25 किलोमीटर होगा. इसलिए इजरायल कम से कम 8 से 10 किलोमीटर इलाके में पुश बैक करना चाहता है. हालांकि, ये बहुत मुश्किल काम है.” 

आगा बताते हैं, “बेशक दक्षिण लेबनान से लोग जरूर हट रहे हैं, लेकिन हिज्बुल्लाह के लड़ाके तो सुंरगों के अंदर हैं. हिज्बुल्लाह ने लेबनान की पहाड़ियों के नीचे टनल बना रखे हैं. उनके हथियार और जंग के सामान सब टनल के अंदर ही हैं. ऐसे में टनल से हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को खोज निकालना इजरायल के लिए एक बड़ी चुनौती है. गाजा में हमास के साथ तक भी यही चुनौती देखी गई थी.”

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इजरायल-गाजा की जंग में कौन किसके साथ?
-इस युद्ध में अमेरिका, इजरायल के साथ खड़ा है. ज्यादातर पश्चिमी देश भी इजरायल के सपोर्ट में हैं. सऊदी अरब भी अमेरिका का बड़ा सहयोगी है. लिहाजा उसने भी इजरायल का साथ चुना है. हालांकि, सऊदी निष्पक्षता रखते हुए यु्द्ध रोकने के पक्ष में है. 

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-इस जंग में गाजा के साथ लेबनान, सीरिया और ईरान खड़े हैं. जबकि, कतर और मिस्त्र युद्धविराम के लिए मध्यस्थता में शामिल हैं. 

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हिज्बुल्लाह क्या है?
हिज्बुल्लाह शब्द का अर्थ है- पार्टी ऑफ गॉड. इसका जन्म 1975-90 के बीच हुआ. यह ईरान में 1979 में इस्लामिक सरकार बनने प्रेरित है. यह लेबनान से ऑपरेट होता है. सैन्य और प्रशासनिक इसके दो धड़े हैं. अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं. लेकिन हिज्बुल्लाह खुद को शिया इस्लामी पॉलिटिकल पार्टी मानता है. ईरान से इसे भारी मात्रा में फंडिंग मिलती है और पॉलिटिकल सपोर्ट भी.

हिज्बुल्लाह के पास भारी संख्या में हथियार हैं. उसके पास बैलिस्टिक, एंटी एयर, एंटी टैंक और एंटी शिप मिसाइलें हैं. 
आर्टिलरी रॉकेट का बड़ा जखीरा भी है. इनके पास रूसी कातियूशा राकेट है, जिसकी रेंज 40 किमी बताई जाती है. हिज्बुल्लाह के पास ईरान के बने राकेट राद (तूफ़ान), फज्र (सुबह) और ज़लज़ल (भूकंप) भी है. 

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हिज्बुल्लाह का क्या है रोल?
गाजा और इजरायल का ये युद्ध आसपास के कई देशों को अपनी जद में ले चुका है. लेबनान स्थित संगठन जिसे इजरायल और पश्चिमी देश आतंकी संगठन मानते हैं, वो गाजा औ इजरायल के इस युद्ध में शुरू से ही शामिल हैं. 
हिज्बुलालह के रॉकेट उत्तरी इजरायल में हमले करते रहे हैं. ऐसे में हिज्बुल्लाह, गाजा-इजरायल की जंग में शामिल हो गया है. हिज्बुल्लाह ने ऐलान किया है कि जब तक इजरायल गाजा पर हमले करना बंद नहीं कर देता, तब तक उसपर भी अटैक होते रहेंगे.

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इजरायल और लेबनान में कौन कितना ताकतवर?
-लेबनान के पास 80000 एक्टिव सैन्यकर्मी हैं, जबकि इजरायल के 1.73 लाख सैन्यकर्मी हैं.
-इजरायल के पास रिजर्व फोर्स 4.65 लाख है, जबकि लेबनान के पास है ही नहीं. 
-इजरायल के पास 8000 जवानों की पैरामिलिट्री फोर्स है, जबकि लेबनान के पास सिर्फ 25 हजार जवानों वाली पैरामिलिट्री फोर्स है. 
-इजरायल के पास 601 एयरक्राफ्ट हैं. जबकि लेबनान के पास सिर्फ 78 एयरक्राफ्ट ही हैं.
– इजरायल के पास 241 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं, जबकि लेबनान के पास एक भी नहीं है. 
-इजरायल के पास 32 डेडिकेटेड अटैक एयरक्राफ्ट हैं. लेबनान के पास सिर्फ 9 हैं. 
-इजरायल के पास ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट 86 हैं,जबकि लेबनान के पास एक भी नहीं. 
-इजरायल के पास ट्रेनिंग देने वाले फाइटर जेट्स 153 हैं, जबकि लेबनान के पास मात्र 9 हैं.  
-स्पेशल मिशन पूरा करने के लिए इजरायल के पास 23 एयरक्राफ्ट हैं, जबकि लेबनान के पास एक भी नहीं हैं. -लेबनान के पास 60 हेलिकॉप्टर हैं. जबकि इजरायल के पास 126 हेलिकॉप्टर्स हैं.
– इजरायल के पास इनमें से 48 अटैक हेलिकॉप्टर हैं. लेबनाने के पास एक भी नहीं है.

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-लेबनान के पास 361 टैंक्स हैं. इजरायल के पास सात गुना ज्यादा 2200 टैंक्स हैं. 
-लेबनान के पास 9864 बख्तरबंद वाहन हैं, वहीं  इजरायल के पास 56,290 आर्मर्ड व्हीकल हैं. 
-सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी के मामले में लेबनान की तुलना में इजरायल बहुत आगे है. उसके पास 650 आर्टिलरी है. जबकि लेबनान के पास मात्र 84 ही हैं.  
-नौसेना में जहाजों और युद्धपोतों के मामले में लेबनान इजरायल से आगे है. इजरायल के पास 67 जहाज हैं, जबकि लेबनान के पास इससे 19 ज्यादा यानी 86 जंगी जहाजों का बेड़ा है. दोनों के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं हैं.  -इजरायल के पास 5 पनडुब्बियां हैं, जबकि लेबनान के पास एक भी नहीं.  
-इजरायल के पास 7 कॉर्वेट युद्धपोत हैं. जबकि लेबनान के पास एक भी नहीं 

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