"भारत के सफल लोकतंत्र बनने पर आशंका करने वाले बहुत थे": संसद में LK आडवाणी का ये भाषण आज भी प्रासंगिक
13 मई 2012 को लोकसभा में दिये गए एक भाषण में आडवाणी ने देश की आजादी की लड़ाई का जिक्र किया और भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर भी अपनी बात रखी थी….
साम्राज्यवाद से मुक्ति कब मिलेगी, कैसे मिलेगी..?
आडवाणी ने लोकसभा में दिये इस भाषण में कहा था, “मैंने देखा है कि देशभर के इस हिंदी को अधिक समझते हैं, जिसको साधारणत सरल हिंदी कहा जाता है. उसको उत्तर भारत के लोग जरूर समझते हैं, लेकिन पूरे देश के लोग नहीं समझ पाते हैं. मैं जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मेरे जीवन और जीवन की प्रमुख घटनाओं का आरंभ स्वतंत्र प्राप्ति से नहीं होता है. अंग्रेजों का शासन मैंने देखा है और जीवन के आरंभिक 20 वर्षों में मन की एक ही इच्छा रहती थी कि इस साम्राज्यवाद से मुक्ति कब मिलेगी, कैसे मिलेगी? उन दिनों में सचमुच जब महात्मा गांधी जी के बारे में सुनते थे, या एक-दो बार उन्हें देखने का अवसर भी कराची में आया. यहां आने के बाद भी उनके देखने का अवसर मिला, तो लगता था कि ऐसे महामानव विरले ही विश्व में पैदा होते हैं.”
भारत आने वाले वर्षों में एक विश्व शक्ति बन जाएगा
भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि का जिक्र करते हुए कहा, “आज मैं जब भारत के बारे में सोचता हूं, तो भारत स्वतंत्र हो गया है. भारत एक अणुशक्ति भी बन गया है. भारत आने वाले वर्षों में एक विश्व शक्ति बन जाएगा, इसमें भी कोई संदेह नहीं है. लेकिन ये सब विशेषताएं होते हुए भी आज अगर मुझसे कोई पूछता है कि आजाद भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, तो मुझे लगता है कि भारत एक महान और सफल लोकतंत्र बना… ये सबसे बड़ी उपलब्धि है.”
विदेशी विद्वानों ने कैसी-कैसी टिप्पणी की….
भारतीय लोकतंत्र का जिक्र करते हुए आडवाणी ने कहा, “भारत ने 1950 में जब लोकतंत्र अपनाया, तब विदेशी विद्वानों ने कैसी-कैसी टिप्पणी की. उन्होंने कहा- यह देश लोकतांत्रिक देश बनेगा? मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन वहां के बड़े-बड़े विद्वानों ने कहा कि जिस देश में करोड़ों लोग अपना नाम नहीं लिख सकते, दस्तावेजों पर अंगूठा लगाकर हस्ताक्षर करते हैं. वह देश लोकतंत्र कैसे बनेगा? वह देश सफल लोकतंत्र कैसे बनेगा? ये आशंका प्रकट करने वाले बहुत से लोग थे. आज उनके अविश्वास का झुठलाने वाला ये देश गर्व के साथ कह सकता है कि 60 सालों तक हमने इस देश को सफल लोकतंत्र बनाए रखा.”
क्या कारण है कि भारत में आज भी लोकतंत्र सफल है…
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, “मुझे याद है कि 1989 या 90 की बात होगी, जब मैं पार्टी का अध्यक्ष था, तब एक कनाडियाई टेलीविजन टीम नई दिल्ली आई थी. ये टीम मुझसे भेंटवर्ता करने के लिए मेरे कार्यालय में आई. उन्होंने मुझसे कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अब तक का आपका इतना अनुभव है, हम आपसे जानना चाहते हैं कि जहां दुनियाभर में जो भी विकासशील देश थे. उन्होंने साम्राज्यवाद से मुक्ति के बाद लोकतंत्र अपनाया, लेकिन अधिकांश देशों में लोकतंत्र किसी न किसी वजह से विसर्जित हो गया. कहीं पर सैनिक शासन आ गया… कहीं पर अधिनाकवादी शासन आ गया. अकेला आपका देश है, जहां लोकतंत्र आज भी सजीव है… आज भी सफल है… आज भी उसी के आधार पर अपना भविष्य बनाने का संकल्प करता है, इसका क्या कारण है? मैंने कहा कि मैं सोचता हूं, तो मुझे एक ही बात सूझती है, कि लोकतंत्र की सफलता के लिए सबसे बड़ा कोई गुण चाहिए, तो वह यह है कि एक विपरीत विचारधारा के बारे में भी सहिष्णुता का भाव हो.”
उन्होंने भाषण के दौरान कहा- “मैं इस बात का गर्व करता हूं कि हमारे यहां विपरीत विचारधारा के लिए सिर्फ सहिष्णुता का भाव नहीं होता है, बल्कि आदर का भाव होता है. यह आदर का भाव मैं उदाहरण के रूप में कहता हूं कि सबसे ज्यादा असहिष्णुता अगर किसी क्षेत्र में होती है, तो वह धर्म, पंथ, मजहब के क्षेत्र में होती है….
लालकृष्ण आडवाणी 5 बार लोकसभा और 4 बार राज्यसभा से सांसद रहे हैं. 3 बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं लालकृष्ण आडवाणी. 2002 से 2004 तक वह देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे हैं. लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान) में हुआ था. 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 7वें उप-प्रधानमंत्री रहे.